तारिक आज़मी
वाराणसी. शहर के बहुचर्चित हत्याकांड में से एक बिल्डर बलवंत सिंह हत्याकांड ने अपना सर एक बार फिर उठाना शुरू किया है। घटना के सम्बन्ध में पकडे गए हत्यारोपी पंकज चौबे की पत्नी ने पहले आरोप लगाते हुवे तहरीर दिया था कि तत्कालीन एसएसपी के आवास पर बिल्डर रामगोपाल ने एक स्विमिंग पुल बनवाया था। इस तहरीर की जाँच वर्त्तमान एसएसपी को मिली हुई है। इसके बाद अब हत्यारोपी पंकज चौबे ने अदालत में वाद दाखिल करके हत्याकांड में रामगोपाल और जीतेन्द्र सिंह को अभियुक्त बनाने की मांग करते हुवे कहा है कि हत्या का वह चश्मदीद गवाह है और हत्या रामगोपाल और जीतेन्द्र सिंह ने किया है।
गौरतलब हो कि 20 अक्टूबर को अशोक बिहार कालोनी में बिल्डर बलवंत सिंह को गोली मार दिया गया था। इस घटना के बाद एक निजी चिकित्सालय लेकर जब बलवंत सिंह को परिजन पहुचे तो चिकित्सको ने बलवंत सिंह को मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में परिजनों ने बलवंत के साथ बिल्डर पंकज चौबे पर हत्या का आरोप लगाया था। घटना के मात्र चंद घंटो के अन्दर हत्यारोपी पंकज चौबे को गिरफ्तार कर लिया गया था। वर्त्तमान में पंकज चौबे जेल में बंद है। आज पंकज चौबे के तरफ से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन देकर रामगोपाल सिंह, रमेश प्रताप और जितेंद्र सिंह को आरोपी बनाए जाने की मांग की गई है।
अपने आवेदन में पंकज चौबे ने कहा है कि घटना वाले दिन 20 अक्टूबर को रामगोपाल सिंह ने उसे फोन कर अपने आवास पर बुलाया था। इसके बाद उसके सामने ही रामगोपाल सिंह ने बलवंत को भी फोन कर बुलाया। रामगोपाल औऱ बलवंत के बीच किसी बात को लेकर झगडा होने लगा। इस बीच जितेंद्र ने बलवंत को गोली मार दी। उसने अपने आवेदन में कहा है कि बलवंत को गोली लगने के बाद मै घबरा गया। इतना ही नही रामगोपाल ने प्रार्थी को भी मारा पीटा, मोबाइल छीन लिया और धमकी दी कि जो हाल बलवंत का हुआ है, वही तुम्हारा भी होगा। पंकज चौबे के तरफ से पड़े वाद में कहा गया है कि प्रार्थी थाने जाकर सूचना देना चाह रहा था। नगर थाने पर इन लोगों ने पहले से ही सूचना देकर प्रार्थी को ले जाकर गिरफ्तार करा दिया। पंकज ने अपने आवेदन में मांग किया है कि इन लोगो के विरूद्ध मुक़दमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया जाये। प्रकरण में अदालत ने इस मामले में 7 दिसबंर तक आख्या देने के लिए सारनाथ थाने को आदेशित किया है।
बलवंत सिंह हत्याकांड में भले ही नामज़द मुक़दमे के कारण पुलिस ने प्रकरण में हत्यारोपी पंकज चौबे को हिरासत में ले लिया और जेल भेज दिया। मगर घटना में कई सवाल अधूरे रह गए है। यूपी कालेज से पढ़े लिखे बलवंत सिंह के पिता डीआईजी रह चुके है। बलवंत सिंह युपी कालेज में छात्र राजनीत के तहत काफी नाम कमा चुके थे। इस दौरान मृतक बलवंत सिंह ने पढाई के दौरान ही ज़मीन का कारोबार शुरू कर दिया। बलवंत सिंह अपने तीन भाइयो में सबसे बड़े थे। मृतक बलवंत सिंह के दो बेटे है जिसमे एक बेटा पढ़ाई करता है और दूसरा उनके कारोबार में हाथ बटाता है।
घटना के सम्बन्ध में दावा है कि बलवंत सिंह को पंकज चौबे ने रामगोपाल सिंह के घर के बाहर ही गोली मार दिया था। इस सम्बन्ध में परिजनों की लिखित तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करते हुवे चंद घंटो में ही पंकज चौबे को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए पंकज चौबे की पत्नी ने उसी दिन बताया था कि घटना के बाद उसके मोबाइल पर रामगोपाल का फोन आया था और वह उसको काफी भद्दी भद्दी गलिया दे रहा था। वही दूसरी तरफ पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस को अपने पहले बयान में पंकज चौबे ने साफ़ कहा था कि हां उसने ही गोली मारी है।
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इस सबके बीच अगर गौर किया जाए तो एक सवाल का जवाब अधुरा रह गया था। बलवंत सिंह का रामगोपाल के यहाँ खाने की दावत में जाने की बात परिजन भी कह रहे थे। घटना के दिन बलवंत सिंह अपने वाहन से रामगोपाल के यहाँ गए थे। इसके बाद हुई घटना के बाद जब बलवंत सिंह को निजी चिकित्सालय लाया गया तो वह जिस वाहन से आये थे उसका नंबर युपी 62 से था। यही नही जब घटना स्थल के सम्बन्ध में तत्कालीन क्षेत्राधिकारी चेतगंज मुश्ताक अहमद उस ड्राईवर से पूछताछ कर रहे थे तो उस ड्राईवर का पुलिस को बयान था कि वह बाहर का है और उसको शहर के रास्ते नही पता है। अब सवाल ये उठता है कि वह वाहन लेकर कौन आया था जिससे बलवंत सिंह को अस्पताल लाया गया। जबकि घटना के समय बलवंत सिंह का खुद का वाहन भी मौके पर था।
है कई शक की बाते
घटना के एक महीने से ज्यादा होने के बाद अब पंकज चौबे का बयान और उसकी पत्नी द्वारा लगातार कई आरोप लगे है। जबकि घटना के बाद जब पंकज चौबे की गिरफ़्तारी हुई थी तो पुलिस सूत्रों के अनुसार उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। अब अचानक एक महीने से अधिक समय के बाद हत्यारोपी पंकज चौबे के परिजनों और खुद हत्यारोपी के द्वारा आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी हुआ है। बहरहाल अदालत के चौखट पर पहुचे इस मामले में अदालत ने सम्बंधित थाने से आख्या तलब किया है। जिसके लिए पुलिस को अदालत ने 7 दिसम्बर का समय प्रदान किया है।
(इनपुट साभार अरशद आलम के व्हाट्सअप पोस्ट से)
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