आदिल अहमद
नई दिल्ली: कलम खाकी और दलील का एक दुसरे से चोली दामन का साथ रहता है। मगर वक्त के साथ तीनो अपने अपने रास्ते जाते दिखाई दे रहे है। एक दुसरे से खुद को बेहतर दिखाने की कोशिश में कलम तो शायद सबसे पीछे रह गई, वही खाकी ने अपना रास्ता अख्तियार कर लिया। इस सभी के बीच दलील ने भी अपना रास्ता अपना लिया। एक सभ्य और पढ़ा लिखा तबका अचानक कानून से इन्साफ दिलाने की कोशिश में खुद ही इन्साफ करने के लिए कानून अपने हाथो में लेने लगा और मारपीट हुड़दंग जैसी घटनाओ की भरमार होने लगी। इसके जीता जागता उदहारण दिखाई दिया दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट में। जहा वकीलों और पुलिस के बीच पार्किंग के नाम पर जमकर हिंसा हुई। हिंसा के इस मामले में पूरे देश में सोमवार को निचली अदालतों में हड़ताल रही।
तीस हजारी के अलावा कड़कड़डूमा, साकेत कोर्ट के वकील भी प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट के पास वकीलों ने बाइक सवार एक लड़के को बेवजह मारा। उसकी इतनी पिटाई की कि वो अपनी बाइक छोड़कर भाग गया। कई पत्रकारों से बदसलूकी हुई, 2 महिला पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया। ये हिंसा उस हिंसा के विरोध में हुई जो शनिवार को तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हुई।
मौका मिलने पर वकील पुलिस, आम जनता और ऑटो चालकों के ऊपर हाथ छोड़ने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। अदालत में कानून की बड़ी-बड़ी दलीलें देने वाले वकीलों का यह रूप देखकर हर कोई हैरान है। इस पूरे मामले की शुरुआत शनिवार की दोपहर हुई। करीब 2:30 बजे एक वकील ने जब लॉकअप के बाहर अपनी कार पार्क करनी चाही तो लॉकअप की सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी से कार पार्क करने को लेकर उसकी बहस हो गई। इस बहस के बाद वकील ने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिसवाले को पीट दिया। करीब 2:40 बजे लोकल पुलिस को घटना की जानकारी दी गयी।
जानकारी मिलने पर पुलिसवाले इकट्ठा हो गए और देखते-देखते मामला हिंसक मारपीट में बदल गया। करीब पौने 3 बजे पुलिसवाले एक वकील को पीटते हुए अंदर ले आये। उसे छुड़ाने के लिए वकीलों का झुंड लॉकअप में घुस गया और पुलिसवालों को बेरहमी से पीटा। एक पुलिसवाले को बेल्ट से इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया। करीब 3:15 बजे उत्तरी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी फ़ोर्स के साथ तीस हज़ारी कोर्ट पहुंचे। वकीलों ने उन्हें भी पीट दिया। वह अपनी जान बचाने के लिए लॉकअप के अंदर चले गए। इसी बीच पुलिस ने कथित तौर पर फायरिंग की। अब वकीलों की मांग है कि दोषी सीनियर पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाए।
सोमवार को पूरे देश में निचली अदालतों के वकील हड़ताल पर थे। वकीलों का कहना है वो गुस्से में इसलिए हैं क्योंकि जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। रविवार को दिल्ली हाइकोर्ट ने मामले की 6 हफ्ते के अंदर न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।
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