तारिक आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र की दालमंडी चौकी अक्सर चर्चाओं का हिस्सा हुआ करती है। कहने तो पुलिस चौकी है और क्षेत्र को एक चौकी इंचार्ज और सिपाही भी मिला हुआ है, मगर क्षेत्र में पुलिस चौकी का स्थान न होने के कारण कार्य सरकारी थाना परिसर से ही होता रहता है। वर्त्तमान में यहाँ चौकी प्रभारी नागेन्द्र उपाध्याय है और उनका साथ देने के लिए सिपाहियों में नोमन है। चौकी क्षेत्र बड़ा है एक घने वाणिज्यिक इलाके के कारण क्षेत्र अक्सर चर्चा का केंद्र बिदु बन जाता है। यहाँ की घटनाओ में अधिकतर पूरा थाना ही लग जाता है।
इस सम्बन्ध में प्राप्त समाचार और नोटिस की कापी के अनुसार चौक पुलिस के रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र के कुल 7 लोगो से स्थानीय पुलिस को शांति भंग की आशंका है। वैसे लिस्ट को ध्यान से देखे तो एक परिवार के कुल 4 लोग इसमें है। परिवार भी जो शांति भंग में नोटिस पाया है वह ऐसा है जो लाखो का कर प्रतिवर्ष भारत सरकार और प्रदेश सरकार को देता है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस परिवार के मुखिया साबिर इलाही मेयर पद के प्रत्याशी रहने के साथ साथ क्षेत्र के संभ्रांत नागरिक और थाने की शांति समिति के सदस्य भी बताये जाते है।
शांति समिति के सदस्य से दरोगा जी को है शांति भंग की आशंका
चौक पुलिस ने एक ही परिवार के कुल चार लोगो पर 107/116 में पाबंद करने की कार्यवाही किया है। इस नोटिस में उस परिवार के मुखिया साबिर इलाही का नाम पहले नंबर पर है। साबिर इलाही को चौक थाने पर होने वाली शांति समिति की बैठकों में भी स्थानीय पुलिस द्वारा बुलाया जाता है। अब सवाल ये उठता है की अगर स्थानीय पुलिस को शांति समिति के सदस्य से ही शांति भंग की आशंका है तो फिर ये बात तो उसी प्रकार हुई कि जिसके ऊपर शक हो उसी को रखवाली दे दिया जाए।
क्या है नोटिस का मूल कारण
वैसे चर्चाओं के अनुसार नोटिस के मूल में सम्पति से सम्बंधित विवाद हो सकता है। एक संपत्ति जो साबिर इलाही के द्वारा क्रय किया गया था और जिसके ऊपर स्थानीय प्रशासन द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्यवाही माननीय हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में करके साबिर इलाही का कब्ज़ा दखल करवाया गया था को लेकर कतिपय क्षेत्रीय नागरिक से कुछ समय पहले विवाद की स्थिति हुई थी। इसके बाद मामले में दोनों पक्षों में सुलाह हुई और मामला शांत हो गया। इस विवाद को अगर केंद्र में रखकर भी पुलिस ने कार्यवाही किया है तो फिर इसमें केवल एक पक्ष का नाम देना कही न कही से पुलिस की चुक भी हो सकती है। क्योकि ऐसी स्थिति में शांति भंग दोनों पक्षों के द्वारा ही होती है।
वही दूसरी तरफ नोटिस में एक अन्य पिता पुत्र का नाम है। फरमान इलाही और शान इलाही। इन पिता पुत्र का भी स्थानीय एक कारोबारी से संपत्ति का विवाद है। इसमें एक बार मारपीट भी हुई थी और तत्कालीन चौकी इंचार्ज और थाना प्रभारी ने कार्यवाही भी किया था। इसके अलावा किसी अन्य प्रकार का विवाद इन पिता पुत्र के भी नाम होने की बात तो सामने नही आ रही है। मगर शांति भंग की नोटिस में इस परिवार के पिता पुत्र का नाम होना और विपक्ष का नाम न होना भी क्षेत्र में चर्चा का केंद्र है। चर्चोओ में सुना जा रहा है कि दुसरे पक्ष से सम्बन्ध ठीक ठाक होने से इस परिवार को पाबंद किया गया है।
बहरहाल, शांति भंग के तहत ऐसी कार्यवाहियों का समाज को स्वागत करना चाहिए। पुलिस को लगता है अगर कि किसी से क्षेत्र की शांति को खतरा हो सकता है तो उसके ऊपर ऐसी पाबन्दी अति आवश्यक है जिसकी मैं प्रशंसा करता हु। मगर सवाल तो साहब एक इसमें भी निकल कर सामने आता है कि जब शांति भंग की संभावना शांति समिति के सदस्य से ही है तो फिर विश्वास किसके ऊपर किया जाए। फिर आखिर क्यों नही दरोगा जी शांति समिति की बैठक में ऐसे लोगो की आमद को रोकते है। बिलकुल रुकना चाहिए ऐसे लोगो की आमद को। मैं एक बार फिर स्पष्ट कहता हु कि शहर हमारा है, इसके लिए हम जवाबदेह है और हमारी ज़िम्मेदारी इस शहर की आबो हवा के लिए बनती है। शहर के अमन-ओ-सुकून के लिए हम अपनी जिम्मेदारियों को समझे।
मगर इस ज़िम्मेदारी की समझ में पहचान भी सही होनी चाहिए और कार्यवाही न्यायोचित होनी चाहिए न कि एक पक्षीय कार्यवाही हो। यदि दो लोगो के बीच विवाद है तो फिर शांति को खतरा दोनों से ही हो सकता है। ऐसा नही है कि एक पक्ष से खतरा हो और दुसरे पक्ष से शांति को खतरा नही हो। अगर ऐसा होता है तो फिर कही न कही से कार्यवाही ही सवालो के घेरे में आ जाती है।
बिना शक चौक थाना प्रभारी निरीक्षक डॉ आशुतोष तिवारी के लिए क्षेत्र में सम्मान और तारीफों के ही शब्द हमको चर्चाओ में सुनाई दिए। एक स्पष्ट वक्ता और सुझबुझ के साथ काम करने वाले इस्पेक्टर के तौर पर चौक थाना प्रभारी की पहचान क्षेत में बनी हुई है। मगर कही न कही से इस प्रकार की कार्यवाही क्षेत्र में चर्चा का विषय बन जाती है।
बहरहाल, इस प्रकरण में थाना प्रभारी निरीक्षक चौक ने कहा कि प्रकरण मेरे संज्ञान में आया है, इसका निस्तारण कर दिया जाएगा। वही दूसरी तरफ शांति समिति के सदस्यों में आपसी सुगबुगाहट भी सुनाई दे रही है। इस नोटिस को देख कर एक सदस्य ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर अपना रोष प्रकट करते हुवे कहा कि इस प्रकार की कार्यवाही से कही न कही हमारे मन में बैठे विश्वास को ठेस पहुची है।
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