तारिक आज़मी
नई दिल्ली: शनिवार को दिल्ली एक तीस हजारी कोर्ट में वकील पुलिस हिंसा के कई पहलू लगातार सामने आ रहे है। देश में पहली बार पुलिस खुद पुलिस (उच्चाधिकारियों) के सामने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करती है। एक तरफ वकील इन्साफ मांग रहे है वही दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस खुद को असुरक्षित कह रही है। और कहे भी क्यों न ? जिस प्रकार से एक एक कर वीडियो फुटेज सामने आ रहे है, उससे एक बात तो ज़ाहिर होती है कि हिंसा के दौरान हिंसा कर रहे अधिवक्ता के रूप में भीड़ ने महिला पुरुष किसी को नहीं छोड़ा।
हिंसा का एक दिल दहला देने वाला वीडियो आज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ है। वीडियो में एक महिला डीसीपी को अधिवक्ता जहा अपने गुस्से का शिकार बना रहे है, उनसे अभद्रता कर रहे है, वही महिला डीसीपी का स्टाफ उनको अपनी जान पर खेल कर भीड़ से बचाने का प्रयास कर रहे है। इस घटना में कथित रूप से महिला डीसीपी की लोडेड सर्विस पिस्टल भी कथित रूप से गायब बताई जा रही है। मगर सबसे चौकाने वाली बात ये है कि इस घटना की कोई ऍफ़आईआर अभी तक नही हुई है।
इस दौरान एक बाइक में आग भी लगा कर ब्लास्ट किया जाता है। महिला अधिकारी की सर्विस पिस्टल लोडेड स्थिति में कथित रूप से गायब है। शनिवार से गायब पिस्टल की अभी तक ऍफ़आईआर तक नही हुई है। मामले में जाँच चल रही है। एक स्पेशल जांच टीम इसकी अदालत के हुक्म के बाद जाँच कर रही है। मगर मीडिया को कवरेज से नही रोका गया है। घटना के सभी पहलू रोज़ ब रोज़ सामने आ रहे है।
अब आप खुद सोचे जब एक महिला अधिकारी की यह स्थिति रही होगी तो फिर पुरुष पुलिस कर्मियों के साथ क्या व्यवहार हुआ होगा। पुलिस द्वारा कथित रूप से गोली चलाये जाने से कुछ वकील भी घायल होने की बात आ रही है। मगर यहाँ सवाल यही रहता है कि मुवक्किलों के लिए अदालत से इन्साफ मांगने वाले और मुवक्किलों को अदालत से इन्साफ लेने के लिए प्रोत्साहित करने वाला अधिवक्ता समाज खुद के लिए फैसला आखिर खुद के हाथो से सड़को पर कैसे कर सकता है।
आप सोचे सिर्फ तो रोंगटे खड़े हो जायेगे कि एक महिला के साथ इस प्रकार से मारपीट करना और उसके साथ अभद्रता करने को हम क्या कोई भी सही नहीं कहेगा। अधिवक्ता समाज को सभ्य और पढ़ा लिखा समाज कहा जाता है। जब पढ़ा लिखा समाज महिला सम्मान के मामले में इस प्रकार की हरकते करेगा तो भी अन्य समाज जिनमे शिक्षा का आभाव हो वह क्या करेगा ?
फुटेज में साफ़ दिखाई दे रहा है कि कैसे वकीलों ने लॉक अप के बाहर बाइक में आग लगा दी जिससे बलास्ट हुआ। वकील पुलिस कर्मियों को बुरी तरह मार रहे हैं। डीसीपी के ऑपरेटर को पीटा जा रहा है। डीसीपी नार्थ मोनिका भरद्वाज के साथ वकील बदसलूकी कर रहे हैं और वे भाग रही हैं। उनका स्टाफ उन्हें जान पर खेलकर बाहर निकालकर ले जा रहा है। पुरुष वकीलों के झुंड ने डीसीपी से साथ बेहद बदसलूकी की। सैकड़ों वकीलों की भीड़ महिला डीसीपी मोनिका भरद्वाज के पीछे भाग रही है।
बहरहाल एसआईटी मामले की जाँच कर रही है। राजनितिक बयानबाजी इस समय शुन्य है। कलमकारी पर पहरा समझ में आ रहा है। आखिर हो भी क्यों न ? ऐसे वर्ग के खिलाफ किसकी जुर्रत होगी जो लिख सके। जब इस वर्ग से पुलिस मार खा सकती है तो आम नागरिको के सम्बन्ध में तो पूछना ही नही है। राजनैतिक बयानबाजी से कोई भी पार्टी अपना वोट बैंक नही खराब करना चाहती है। सब मिलाकर इस पूरी घटना में जारी होने वाला वीडियो दिल और हिम्मत दोनों को दहलाने वाला है।
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