फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी÷ दुधवा टाइगर रिजर्व हर साल की तरह इस बार भी प्रवासी पंछियों से गुलज़ार होना शुरू हो गया है और एक फिर दुधवा पक्षियों की कलरव से गूंजने लगा है। जिसकी जानकारी मिलते ही सैलानियों में खुशी की लहर दौड़ गयी है और एक बार फिर देश विदेश से सैलानी प्रवासी पक्षियों के दीदार करने और उनकी मनमोहक कलरव सुनने के लिये दुधवा में आने शुरू हो गये हैं। उधर प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू होने की जानकारी मिलते ही पार्क प्रशासन ने यहां आने वाले सैलानियों के साथ ही हजारों मेहमान पक्षियों के स्वागत और सुरक्षा की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
आपको बता दें कि यह प्रवासी परिदें सर्दियों में ही दुधवा में आते हैं क्यूंकि जब ठंडे देशों के जलाशयों में बर्फ जम जाती है तो ऐसे में इन परिदों के भोजन और आवास की समस्या पैदा हो जाती है,तब यह परिदें लगभग 15 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत समेत अन्य गर्म देशों की ओर रुख करते हैं साथ ही आपको बता दें कि ये प्रवासी पक्षी नवंबर से फरवरी तक चार माह प्रवास कर प्रजनन करते हैं. जिसके कारण इन दिनों तराई के जलाशय प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो जाते हैं. रंग-बिरंगे प्रवासी परिंदों का कलरव प्रकृति और पक्षी प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यूरोपीय देशों के अलावा मध्य एशिया, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, लद्दाख आदि स्थानों से बड़ी संख्या में जलीय पक्षियों के झुंड तराई के जलाशयों में आते हैं. परिदों में साइबेरियेन, यरेजियन, छस्पून बिल, यूरेजियन विगियोन, नार्थन पिनटे, नार्थन स्लोवलर, रेड क्रस्टेड पोचार्ड आदि शामिल हैं ।
इस बात पर दुधवा टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि आने वाले मेहमान परिंदों की सुरक्षा और उनके भोजन का पार्क प्रशासन पूरी तरीके से ख्याल रखेगा क्यूंकि यह प्रवासी परिदें हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हैं और यहां पर कुशलता पूर्वक टाइगर को प्रोटेक्ट तो किया ही जा रहा उनकी संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. साथ ही यहां आने वाले सभी मेहमान परिंदों की सुरक्षा के लिए भी टावर बना दिए गए हैं और इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोर एरिया में हाथियों से गश्त की जा रही है।
रंग-बिरंगे प्रवासी परिंदों का कलरव प्रकृति और परिदें प्रमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है बर्ड वाच के शौकीन और पक्षियों की गतिविधियों का अध्ययन करने वाले लोग भी इन दिनों जलाशयों के इर्द-गिर्द डेरा डाल देते हैं स्थानों से बड़ी संख्या में जलीय पक्षियों के झुंड तराई के जलाशयों में आते हैं।
लखीमपुर खीरी की सेमरई झील, नगरिया झील, मैनहन झील, रमियाबेहड़ झील, महमदाबाद, शारदा नहर का सीपेज वाला क्षेत्र, किशनपुर सेंक्चुरी के झादी ताल, शारदा बैराज, शारदा नहर, दुधवा नेशनल पार्क में सुहेली नदी, और विभिन्न तालाबों समेत दर्जनों जलाशयों में प्रवासी परिंदे चार माह के लिए आशियाना बनाते हैं. यहां उन्हें प्राकृतिक आवास और भोजन मिलता है।
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