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मेरठ के एसपी सिटी के विवादित वीडियो पर मची सियासी हलचल, बोले मुख़्तार अब्बास नकवी- वीडियो सही है तो तत्काल उनके खिलाफ कार्यवाही हो

हर्मेश भाटिया

नई दिल्ली: 20 दिसंबर का एक वीडियो वायरल हो रहा है। उस समय यूपी के कई हिस्सों में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। वीडियो में मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह पुलिस टीम के साथ पेट्रोलिंग कर रहे थे। वीडियो में वह कह रहे हैं, ‘जो काली पट्टी और पीली पट्टी बांध रहे हो, बता रहा हूं। उनसे कह दो पाकिस्तान चले जाएं। फ्यूचर काला होने में लगेगा सेकेंड भर, एक सेकेंड में सब काला हो जाएगा। देश में नहीं रहने का मन है, चले जाओ भैया। खाओगे यहां, गाओगे कहीं और का। बताओ*****। नहीं-नहीं फोटो ले लिया हूं, बताऊंगा इनको। इनको बता देना******। इस गली को मैं, गली मुझे याद हो गई है, याद रखना मुझे याद हो जाता है तो नानी तक मैं पहुंचता हूं। याद रखिएगा आप लोग। ****तुम लोग भी कीमत चुकाओगे।’

इस वीडियो पर एसपी सिटी ने अपनी सफाई में कहा कि जब वह मौके पर पहुंचे तो कुछ लड़के उनके सामने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाकर भाग खड़े हुए। कुछ लड़कों को पकड़ लिया गया और फिर उन्हें डांट-डपटकर छोड़ दिया। मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने इस मामले में कहा कि वहां स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी और पुलिस अधिकारियों ने सही तरीके से सिचुएशन को हैंडल किया। एडीजी ने कहा कि अगर स्थिति सामान्य होती तो इस बात को बेहतर तरीके से कहा जा सकता था।

अब इस विवादित वीडियो ने राजनैतिक हलके में भी हलचल मचा दिया है। मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह के एक विवादित वायरल वीडियो पर बवाल मचा हुआ है। वीडियो सामने आते ही इस मुद्दे ने तूल पकड़ा और विपक्षी दल के नेताओं ने यूपी पुलिस और केंद्र व राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला।

इस प्रकरण में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सत्ताधारी दल बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने संस्थाओं में सांप्रदायिकता का जहर घोल दिया है। अधिकारियों को अब संविधान की कसम की कोई कद्र नहीं है। दूसरी तरफ सत्तारूढ़ दल के नेता और केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने भी मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुवे कहा है कि पुलिस अधिकारी के खिलाफ फौरन कार्रवाई की जानी चाहिए।

मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अगर वीडियो में दिख रहे एसपी का बयान सही है तो ये निंदनीय है। उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। हिंसा किसी भी तरह से चाहें वो पुलिस के द्वारा हो या फिर भीड़ के द्वारा, अस्वीकार है। ये एक लोकतांत्रिक देश का हिस्सा नहीं हो सकता। पुलिस को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई निर्दोष इस कार्रवाई का शिकार न हो।’

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