फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी. आज हम आपको एक ऐसे पीर के आस्ताने पर लिए चल रहे हैं जिस आस्ताने पर तमाम मज़ाहिब के लोग अपनी ख्वाहिश़ात लेकर आते हैं और उनकी मज़ार शरीफ पर जिय़ारत कर दुआएं मांगते हैं पीर का यह आस्ताना गंगा जमुना तह़जीब कायम किए हुए है और यही नहीं इस मज़ार शरीफ पर हिन्दू-मुस्लिम तबके के लोग फातिहा दिला कर तमाम तरह के पकवानों पर लंगरे आम भी करते हैं और चादरें चढ़ाते हैं।
बताया जाता है कि आज से लगभग तैतालिस साल पहले भारत नेपाल सीमा के ग्वारी फंटा तक जब यहां ट्रेनें चला करती थीं और जब यह दुधवा टाइगर रिजर्व रिजर्व फारेस्ट नहीं था तब यहां बहुत ही ज्यादा लकड़ी कटान, राइस मिल का कार्य और रेलवे माल वाहक का कार्य करने के लिये यहां हजारों लेवर आया करती थी तब यहां भारत सहित पड़ोसी देश नेपाल के ठेकेदार वन निगम से लकड़ी का कटान होता था, उसी दौरान मदन नामक एक हिंदू पल्लेदार ने हिंद राइस मिल के पास जंगल में यह सैय्यद बाबा की मज़ार तैय्यार की गयी थी। तब से हिंदू और मुस्लिम तबके लोग हर जुमेरात को धनगड़ी ग्वारीफंटा,पलिया तथा आप पड़ोस के लोग यहां अपनी जियारत करने और अपनी दुवायें और मन्नते मांगने आते थे और फिर जब लोगों की मन्नते और दुवाये कुबूल होने लगी तो फिर दूर दूर से लोग से लोग यहां आने लगें और फिर धीरे धीरे यह मज़ार काफी फेमस हो गयी. फिर यह मज़ार शरीफ हिंदू- मुस्लिम एकता की मिसाल हो गयी।
मज़ार शरीफ के मुजाबिर महमूद हुसैन खां बताते हैं कि इस मज़ार शरीफ पर हमारे हिंदू भाई बाकयदा फातिहा दिलाकर जियारत कर अपनी मन्नते मांगते हैं और जब उनकी मन्नते पूरी हो जाती हैं तो यहां आकर बाबा के नाम पर वो पकवानों पर लंगरे आम करते हैं और चादर भी चढ़वाते हैं यहीं नहीं यहां वो अपने बच्चों के बाल भी घुटवाते हैं उनका अक़ीदा है कि अगर उन्होने माना हुआ काम नहीं किया तो बाबा नाराज हो जायेगें और फिर उनकी दुवायें कुबूल नहीं होगीं।
इधर हमारे मुस्लिम भाई भी मज़ार शरीफ पर जाकर फातिहा दिलाकर जियारत करते हैं और मन्नते मांगते हैं और पूरी होने पर वो भी लंगरेआम करते हैं।अब तो इस मज़ार शरीफ पर हमारे युवा जिय़ारत तो करते हीं है पर वहां वो अपने दोस्तों के साथ पार्टी भी कर लेते हैं इस लिये अब यह पीर का आस्ताना लोगों के दिलों में बस गया है।
आपको बता दें की इस मज़ार शरीफ पर जंगल में होने के बावजूद भी कभी किसी तरह का कोई हादसा नहीं हुआ है और न ही कभी किसी वन्यजीवों ने किसी को नुकसान पहुंचाया है।हां वन्यजीवों की सुरक्षा को देखते हुए आप यहां किसी तरह की गंदगी नहीं फैला सकते और हां आपको खाश बात यह बता दें कि आप इस तस्वीरों में इस मज़ार शरीफ को देख रहें होगें कि यह जमीन में ध॔सती जा रही है पहले यह मज़ार शरीफ काफी ऊपर थी लेकिन लगातार आये सैलाब की वजह से यह अंदर धंस गयी है।अब बड़ा सवाल यह है कि अगर इस पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो यह मज़ार शरीफ भी एक दिन अपनी पहचान खो देगी।
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