तारिक आज़मी
नशा नास करता है इस युक्ति को सुनते सुनते हम जवान होकर बुढ़ापे के दहलीज़ पर कदम रखते है। मगर जवानी के लड़खड़ाते कदमो को संभाल न पाने के कारण हमारे कदम भी बहकते है और पहले मौज के लिए फिर आदतों में शुमार होते नशे का शिकार हो जाते है। नशे के तौर पर तम्बाकू, सिगरेट तो खैर लगता है मान्य नशा होता जा रहा है। मगर इसके बाद की सीढ़ी सीधे स्वर्ग लोग तक जाने में सहायक होती है और शराब से लेकर ब्राउन शुगर तक के नशा करने वाले लोगो को लगभग हर शहर ही क्या बल्कि हर एक मुहल्लों में अब देखा जा सकता है।
क्या है कोडीन का नुक्सान
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क्या कहते है अधिकारी
इस सम्बन्ध में मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ वी पी सिंह से हमारी बात हुई तो उन्होंने बताया कि कोडीन बहुत ज़रूरत होने पर ही खासी के पेशेंट को दिया जाता है। ताकि उसको कुछ नींद आ सके वह भी एक से दो चम्मच यानी 5-10 एमएल काफी होता है। इसको बिना डाक्टर के परामर्श नही लेना चाहिए और न ही इसकी बिक्री होती है। यदि कोई ऐसा करता है और बिना चिकित्सक के लिखे पर्चे के वह कोडीन बेच रहा है तो यह सरासर गलत है और कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। विभाग इसके ऊपर पैनी नज़र रखता है।
क्या कहती है पुलिस
इस सम्बन्ध में सबसे अधिक अनभिज्ञ अगर कोई महकमा है तो वह है पुलिस। लगभग हर एक थाना क्षेत्र के मेडिकल स्टोर पर कोडीन सीरप आपको मिल जायेगा। इसकी सबसे रद्दी क्वालिटी ही अधिकतर दूकानदार बेचते है जिसको एमबी के नाम से पुकारा जाता है। दुकानों पर इसके भारी स्टॉक नियमो के विरुद्ध उपलब्ध रहते है।
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मगर कभी भी इसके ऊपर पुलिस को बड़ी कार्यवाही तो छोड़े मामूली कार्यवाही भी नही करती है। शहर के बीचो बीच सडको पर देर रात तक खुले रहने वाले मेडिकल स्टोर इसकी सप्लाई के मुख्य अड्डे है। मगर पुलिस इस सम्बन्ध में कभी भी फिक्रमंद नही होती है। जबकि हकीकत ये है कि लगभग हर एक थाना क्षेत्र के मेडिकल स्टोर्स पर यह उपलब्ध रहता है और दूकानदार खुल्लम खुल्ला इसको बेचता भी है। कई दुकानों का मुख्य कारोबार ही कोडीन सिरप का होता है। एक दिन में 100 से 200 शीशी बेच कर मोटी कमाई अपने जेब के हवाले करते ये कारोबारी किसी की फिक्र नहीं करते है।
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काले कारोबार की मोटी कमाई
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कौन है बड़ा कारोबारी
वैसे तो इस कारोबार में होलसेल के दुकानदार प्रति शीशी 3 से 5 रुपया मुनाफा कमाते है मगर इसका सबसे अधिक फायदा फुटकर दूकानदार उठाते है। इन दुकानदारो के अपने कायदे कानून है। अंकुश लगाने वाला कोई है नही तो अंकुश लगाये कौन ? इसी तर्ज पर जमकर कारोबार चल रहा है।
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इस काले कारोबार का शायद शहर का सबसे बड़ा रिटेल कारोबारी आदमपुर थाना क्षेत्र के मछोदरी के एक दुकानदार है। लाखो का अन्य दवाओं से सम्बंधित स्टोक रखने वाला यह कारोबारी देर रात तक दूकान खोले रहता है। सुबह से ही इसके दूकान पर एमबी की मांग शुरू हो जाती है। शाम जैसे जैसे ढलती है वैसे वैसे इसकी मांग भी बढती रहती है। रात गहरी होने पर एक साथ चार से पांच भी एमबी के ग्राहक इसकी दूकान पर दिखाई पड़ जाते है।
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कैसे पहचाने कि आपके घर का युवक है एमबी का एडिक्ट
यदि आपके घर के किसी नवजवान को काफी गहरी नींद आ रही है। देर तक सो रहा है। नींद से उठने के बाद भी नहा धोकर फ्रेश हो जाने के बाद भी उसकी आँखे नशीली लगे। उसके जेब में शक्कर मिले अथवा घर में भी वह आम तौर पर चाय की मिठास को बढा कर पी रहा है तो होशियार हो जाए, शायद वह युवक ड्रग का एडिक्ट हो रहा है। ऐसे युवक नार्मल सिगरेट की जगह लोकल नेपाली सिगरेट भी पीना शुरू कर देते है।
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