Categories: National

हैद्रराबाद रेप आरोपियों का एनकाउंटर प्रकरण – हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान तो सुप्रीम कोर्ट में भी पंहुचा मामला, पुलिस थ्योरी पर उठने लगे सवाल

आफताब फारुकी

डेस्क. रेप आरोपियों का एनकाउंटर भले ही जनता से तारीफ का सबब बना हो मगर इस एनकाउंटर ने कई सवाल पैदा कर दिया है। कल इस एनकाउंटर के बाद ही भाजपा सांसद ने इसके ऊपर सवाल खड़ा किया था। भाजपा सांसद मेनका गाँधी ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुवे कहा था  कि वहां जो हुआ वह बहुत भयानक हुआ इस देश के लिए। आप लोगों को ऐसे नहीं मार सकते हैं। आप कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं। मेनका गांधी ने कहा कि वे आरोपी थे और वैसे भी कोर्ट से उसे फांसी की सजा मिलती।

ये भी आपको रोचक लगेगा – रेप कैपिटल बनता जा रहा है उत्तर प्रदेश का उन्नाव

बहरहाल, अब तेलंगाना एनकाउंटर मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। दो वकीलों ने याचिका दाखिल कर मांग किया है कि पुलिसकर्मियों पर एफआईर दर्ज की जाए और कोर्ट मामले में एसआईटी गठित कर जांच करवाए। वही इस प्रकरण में इससे पहले तेलंगाना हाइकोर्ट ने भी मामले को संज्ञान में लिया था। कल रात 8 बजे इस मामले पर तेलंगाना हाइकोर्ट ने विशेष सुनवाई सुनवाई करते हुवे चारों आरोपियों के शव को 9 दिसंबर की रात 8 बजे तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया। इस प्रकरण में हाइकोर्ट ने पोस्टमॉर्टम का वीडियो भी मांगा है। पोस्टमॉर्टम का वीडियो महबूबनगर के ज़िला जज को देने का आदेश दिया गया है। सोमवार को सुबह 10:30 बजे हाइकोर्ट के चीफ़ जस्टिस की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी।

इसको भी पढ़े – जो हुआ भयानक था, ऐसे तो आप हथियार उठाये और किसी को मार डाले – मेनका गाँधी

इससे पहले शुक्रवार शाम को खबर आई थी कि घटना में आरोपियों ने पहले पुलिसकर्मियों से हथियार छीन लिए और फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। पुलिस कमिश्नर वीएस सज्जनार का कहना है कि इन चारों पर ऐसी ही और भी कई घटनाओं को अंजाम देने का शक है।  लेकिन पुलिस की हर थ्योरी अब सवालो के घेरे में आती जा रही है। भले ही जनता इन्साफ में होने वाली देरी से उत्तेजित होकर प्रकरण में पुलिस कार्यवाही की तारीफ कर रही है, मगर एनकाउंटर में पुलिस थ्योरी पर भी सवाल उठा रही है।

ये भी पढ़े – हैदराबाद रेप केस के आरोपी पुलिस मुठभेड़ में ढेर, देखे मौके की तस्वीर कैसे मारे गए आरोपी

एनडीटीवी ने अपने समाचार में अस्पताल द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन का हवाला दिया है। उसने जारी मेडिकल बुलेटिन का हवाला देते हुवे भी कई सवाल उठाये है। अगर इस मेडिकल बुलेटिन को ध्यान से देखे तो काफी सवाल दिमाग में कौंध जायेगे। इन सवालो का जवाब अब सभी तलाश भी रहे है। आइये जिस थ्योरी को पुलिस बता रही है उसके ऊपर गौर-ओ-फिक्र करते है।

पुलिस की थ्योरी सवालों के घेरे में

  • पहला सवाल उठता है कि पुलिस का कहना है कि आरोपी अनुभवी थे उनसे हथियार छीन कर चलाने लगे। लेकिन सवाल इस बात का है कि अगर वे अनुभवी थे तो फिर किसी भी पुलिस वाले को गोली क्यों नहीं लगी।
  • दूसरा सवाल दो घायल पुलिस कर्मियों के लिए उठ रहा है। दो घायल पुलिसकर्मियों के घावो के सम्बन्ध में जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक एक जवान के माथे पर कुछ ख़रोंचे आईं हैं। दूसरे के हाथ और कंधे पर गहरा ज़ख्म है। इस पर सवाल ये उठ रहा है पुलिस पर कि ऐसा भी क्या आत्मरक्षा का दबाव बना कि उसने चारों आरोपियों को गोली मार दी।
  • एनकाउंटर के कई घंटे के बाद शवों को वहीं पड़े रहने दिया गया ताकि लोग आकर देखते रहें। एक पब्लिक ओपिनियन एनकाउंटर के फेवर में बने। पुलिस किसका इंतज़ार कर रही थी?
  • घायल पुलिस कर्मियों के अस्पताल ले जाने का समय भी सवाल उठा रहा है। जब पुलिसकर्मी घायल थे तो उनको तत्काल उपचार की आवश्यकता थी। आखिर किसका इंतज़ार था पुलिस को की लगभग 4 घंटो बाद घायल पुलिस कर्मियों को सुबह लगभग 8 बजे अस्पताल लाया गया।
pnn24.in

Recent Posts

शम्भू बॉर्डर पर धरनारत किसान ने सल्फाश खाकर किया आत्महत्या

तारिक खान डेस्क: खनौरी और शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का सब्र का…

5 hours ago

वर्ष 1978 में हुवे संभल दंगे की नए सिरे से होगी अब जांच, जाने क्या हुआ था वर्ष 1978 में और कौन था उस वक्त सरकार में

संजय ठाकुर डेस्क: संभल की जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच उत्तर…

7 hours ago