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लापरवाह उन्नाव पुलिस का एक और मामला आया सामने – पीडिता से कहा, रेप तो नही हुआ है, जब हो जाए तब आना

मो कुमैल

नई दिल्ली: लगता है उन्नाव पुलिस लापरवाही का अपना कोई कीर्तिमान स्थापित करना चाहती है। शायद अब तक हुई घटनाओं से सबक न सीख सकी उन्नाव पुलिस अभी भी कुछ बड़ा करना चाहती है। भले ही देश में सबसे अधिक एक कलेंडर वर्ष में जिस जिले में बलात्कार के मुक़दमे दर्ज हो उसमे उन्नाव का नाम पहले पायदान पर हो। मगर अभी भी उन्नाव पुलिस ने इससे कोई सबक नही सीखा है। आरोपियों द्वारा जलाई गई उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद जहां पूरे देश में रोष व्याप्त है, वहीं उन्नाव पुलिस अपने उसी पुराने निर्दयी रवैये पर कायम है।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदूपुर गांव, जहां उन्नाव पीड़िता को आरोपियों ने जलाया था, वहां की एक महिला ने शनिवार को आरोप लगाया है कि पुलिस ने दुष्कर्म के प्रयास की उसकी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया। कथित तौर पर पुलिस ने महिला से कहा कि जब दुष्कर्म हो उसके बाद आना, तभी शिकायत दर्ज होगी। पीडिता के आरोपों को आधार माने तो पुलिस स्टेशन में पुलिस ने महिला से कहा, ‘रेप तो हुआ नहीं, जब होगा तब आना।’

महिला ने बताया कि कुछ महीने पहले गांव के ही तीन लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया था। महिला ने बताया कि मैं अपनी दवाई लेने जा रही थी। तभी तीनों ने मुझे रोका और मेरे कपड़े खींचने लगे। उन्होंने मेरे साथ दुष्कर्म करने का भी प्रयास किया। महिला ने आरोपियों की पहचान भी की। इसके बाद जब वह शिकायत करने पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने उसे भगा दिया और दुष्कर्म होने के बाद आने के लिए कहा।

महिला ने बताया कि वह तीन महीने से थाने के चक्कर लगा रही है, लेकिन किसी ने भी मामले की सुनवाई नहीं की। महिला ने कहा कि घटना के बाद, मैंने 1090 (महिला हेल्प लाइन) पर फोन किया और उन्होंने मुझे 100 डायल करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मुझे फिर उन्नाव पुलिस में इस मामले की शिकायत करने के लिए कहा। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी उसे शिकायर्त दर्ज कराने पर जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

इस घटनाक्रम में पीडिता के बयान को आधार माना जाए तो शायद उन्नाव पुलिस अब लापरवाही का कोई नया कीर्तिमान स्थापित करना चाहती है। कौन भूल सकता है कुलदीप सेगर की गिरफ़्तारी के सीन को, जब तत्कालीन पुलिस अधीक्षिका के कार्यालय से ठीक सामने सेगर के कथित गुर्गो ने पत्रकारों की पिटाई किया था। मगर पुलिस अपने उसी ढुलमुल रवैये के कारण शांत रही। शायद ये पुलिस की लापरवाही ही थी कि सेगर प्रकरण में पीडिता का पूरा परिवार ही तहस नहस हो चूका है। पीडिता के पिता को गिरफ्तार करने वाली उन्नाव पुलिस ने सेगर की गिरफ़्तारी तब किया जब मामला चर्चा का केंद्र बन गया और राष्ट्रीय स्तर पर मामले में पुलिस कार्यवाही की भद होना शुरू हो गई थी। अब देखना होगा कि उन्नाव पुलिस इस प्रकरण में कब पीडिता को न्याय दिलवा पाती है।

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