आफताब फारुकी
नई दिल्ली: प्रदर्शनकारी छात्रो पर लाठी चलाती दिखाई देने वाली दिल्ली पुलिस आज एक सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार की सुरक्षा में फेल दिखाई दी। जेएनयु में नकाबपोश बदमाशो के हमले के बाद बतौर जेएनयु के पूर्व छात्र देश के वरिष्ठ पत्रकारों में एक समाजसेवक योगेन्द्र यादव जब जेएनयु पहुचते है तो उनको विश्वविद्यालय के अन्दर नहीं जाने दिया जाता है। वही उनके साथ धक्कामुक्की भी होती है जिससे योगेन्द्र यादव गिर जाते है। इस दौरान धक्का मुक्की दिल्ली पुलिस द्वारा भी किया गया और वहा मौके पर मौजूद कुछ युवको के द्वारा भी हुई है, जबकि युवको की हरकत पर दिल्ली पुलिस मूकदर्शक की स्थिति में ही दिखाई दी है।
समाचार एजेंसी ANI द्वारा जारी एक वीडियो को अगर गौर से देखे तो जेएनयु के गेट के बाहर पुलिस के जमावड़े के अलावा काफी युवक भी खड़े है। इस बीच जब योगेन्द्र यादव जेएनयु में जाने के प्रयास करते है तो पुलिस वाले उनको रोकते है. वही योगेन्द्र यादव मीडिया से बात करने लगते है जिसके बीच दिल्ली पुलिस के कुछ जवान उनको वह से घसीटते हुवे लेकर जाते है. इस दौरान दिल्ली पुलिस और वहा खड़े युवको के द्वारा योगेन्द्र यादव से अभद्रता और धक्का मुक्की भी किया जाता है। धक्का मुक्की में योगेन्द्र यादव ज़मीन पर गिर पड़ते है।
बताते चले कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आज रविवार को शाम लगभग 50 की संख्या में नकाबपोश बदमाश घुस आये थे जिनके हाथो में हाकी स्टिक, रॉड, बेस बैट और डंडे थे। बदमाशो के द्वारा कैम्पस में छात्र छात्राओं और शिक्षको के साथ मारपीट किया गया। इस दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष को पीट कर बदमाशो ने गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस हमले में 12 शिक्षको सहित कुल 40 से अधिक घायल हुवे जिनके इलाज चल रहे है।
इस बवाल के बाद कैंपस के बाहर पहुंचे स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव के साथ धक्का मुक्की हुई है। घटना उस समय की है जब वह जेएनयू मेन गेट के बाहर वह मीडिया से बात कर रहे थे और आरोप लगा रहे थे कि यह सब कुछ पुलिस के साथ मिलकर हो रहा है। इसी दौरान दिल्ली पुलिस के जवानों ने उन्हें वहां से हटाने की कोशिश की। जब योगेंद्र यादव ने खींचतान करने से मना किया तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरदस्ती अपने साथ ले जाने की कोशिश की। इसी दौरान योगेंद्र यादव सड़क पर गिर गए। धक्का मुक्की के बाद योगेंद्र यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें रोका जा रहा है लेकिन दिल्ली पुलिस के लोग उन्हें नहीं रोक पा रहे हैं जो यहां खुलेआम हिंसा कर रहे हैं।
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