तारिक खान
प्रयागराज/ दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में महिलाओं के बैठने की आंच देश के दूसरे हिस्सों की तरह इलाहाबाद तक भी पहुंची है, इलाहाबाद के मसूंर अली पार्क में भी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन जारी है। इन प्रदर्शनों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हो रहे हैं जिसको ख़त्म कराने का दबाव पुलिस प्रशासन पर लगातार बढ़ता जा रहा है।
आज शनिवार को 7वे दिन खुल्दाबाद स्थित मंसूरअली पार्क में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध के लिए अनूठा तरीका अपनाया गया। प्रदर्शन में शामिल कुछ युवाओं ने अपने खून से पोस्टर पर ‘नो सीएए-नो एनआरसी’ लिखकर विरोध जताया। उधर, पार्क में आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं।
गौरतलब हो कि खुल्दाबाद के रोशनबाग स्थित मंसूर अली पार्क में 12 जनवरी को सीएए व एनआरसी के विरोध में कुछ महिलाओं ने शांतिपूर्वक धरना शुरू किया था। जो शनिवार को लगातार सातवें दिन भी जारी रहा। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं धरनास्थल पर डटी रहीं और सीएए व एनआरसी को काला कानून बताते हुए इसके विरोध में आवाज बुलंद की। इस दौरान दिन भर जोरदार नारेबाजी भी की गई। हर बीतते पल के साथ ही यहां भीड़ बढ़ती गई। शाम होते-होते हजारों लोग यहां जमा हो गए थे। इस दौरान कई वक्ताओं ने भी प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। जिसमें कहा गया कि सीएए व एनआरसी देश के लोगों को बांटने की महज एक साजिश है। जिसके विरोध में आवाज उठाना जरूरी है।
प्रदर्शन में कई राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठनों के साथ ही छात्र-अधिवक्ता व अन्य तबके के लोग भी शामिल रहे। इनमें वरिष्ठ कांग्रेसी इरशाद उल्ला खां, शहर अध्यक्ष नफीस अनवर के अलावा वकार रिजवी, सुहैबुल रहमान, नसीबुद्दीन, उबैद अंसारी व शुएब अंसारी समेत अन्य शामिल रहे। उधर विरोध के दौरान पार्क के बाहर पुलिस भी तैनात रही। हालांकि एक दिन पहले के ठीक उलट पुलिस शनिवार को बैकफुट पर ही रही।
अटाला से महिलाओं ने निकाला विशाल कैंडल मार्च
इसी क्रम में आज शनिवार की शाम को अटाला से महिलाओं के एक बड़े समूह ने कैंडल मार्च निकालकर सीएए व नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आवाज बुलंद की। शाम सात बजे के करीब निकाला गया जुलूस विभिन्न मोहल्लों से होते हुए मंसूर अली पार्क में पहुंचा जिसके बाद इसमें शामिल महिलाएं धरना प्रदर्शन में शामिल हो गईं। खास बात यह रही कि जुलूस मुख्य मार्गों से न होकर गलियों से निकाला गया। जुलूस में शामिल महिलाएं हाथों में मोमबत्ती के साथ ही पोस्टर भी लिए हुईं थीं जिसमें सीएए व एनआरसी के विरोध में नारे लिखे थे।
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