आदिल अहमद
नई दिल्ली। जानलेवा कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया दहल उठी है। इस दौरान अचानक दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लिकी जमात के मरकज़ ने सुर्खिया बटोरी है। सोशल डिस्टेंस के सभी नियमो को ताख पर रखकर 13 से 15 मार्च तक तबलीगी जमात का एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसके बाद इस मरकज़ में काफी लोग एक साथ ठहरे हुवे थे। मामला प्रकाश में तब आया जब इस कार्यक्रम से वापस आये लोगो में से तेलंगाना में 6 लोगो की मौत हुई।
बताते चले कि तबलीगी जमात इस्लामिक मिशनरी आंदोलन है, जिसकी स्थापना 1926 में की गई थी। इसके तहत देश विदेश में घूम घूम कर मुस्लिम समाज के लोगो में इस्लाम के नियमो का प्रचार प्रसार किया जाता है। इसके सदस्य सारी दुनिया में फैले हैं। एक शहर से दुसरे शहर में जाकर ये लोग धर्म के नियमो का प्रचार प्रसार करते है। ये एक अलग बात है कि ये प्रचार प्रसार केवल मुस्लिम समुदाय के लोगो के बीच करके उनको नमाज़ पढने के लिए प्रेरित किया जाता है।
इस कार्यक्रम में मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार, किर्गिस्तान और सऊदी अरब से तबलीगी सदस्यों ने शिरकत की थी। कार्यक्रम में अफगानिस्तान, अल्जीरिया, जिबूती, श्रीलंका, बांग्लादेश, इंग्लैंड, फीज़ी, फ्रांस और कुवैत से भी सदस्य पहुंचे थे।
कार्यक्रम में शिरकत करने वाले लोगों में से कई ने देश के अन्य हिस्सों का भी दौरा किया। इंडोनेशियाई सदस्य कार्यक्रम के बाद तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्यों में गए थे। पिछले सप्ताह श्रीनगर में जिस मौलाना की मौत हुई, वह उत्तर प्रदेश में देवबंद गए थे, और उशके बाद कश्मीर पहुंचकर भी उन्होंने कई कार्यक्रमों में शिरकत की।
इसी बीच समाचार आ रहा है कि यहां से अंडमान एवं निकोबार द्वीप लौटे 10 लोगों में भी कोरोनावायरस की पुष्टि हो चुकी है। वही दूसरी तरफ मरकज़ के प्रशासक इसके लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को दोषी ठहरा रही है और उसका दावा है कि हमने कई बार पास माँगा ताकि यहाँ आये हुवे लोगो को वापस भेजा जा सके।
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