आरामदायक बिस्तर छोड़ कर खुले आसमान में बैठे हैं हमे कोई नहीं हटा सकता
तारिक़ खान
प्रयागराज..मंसूर अली पार्क में सीएए एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ चल रहे धरने के ६१ वें दिन रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने एक बार फिर केन्द्र सरकार के खिलाफ हमला बोला।उनहोने केन्द्र व प्रदेश सरकार के इशारे पर शान्तिपूर्क चल रहे धरने में ज़िला प्रशासन द्वारा रोड़ा डालने का आरोप लगाते हुए कहा की।महिलाए लगातार ६१ दिनों से धरना दे रही हैं लेकिन आज तक एक भी ऐसी घटना घटित नहीं हुई जिस्से प्रशासन को या आम नागरिकों को कोई दिक़्क़त हो तो फिर क्यूँ प्रशासन धरना खत्म कराने को आए दिन तरहा तरहा का हथकण्डा अपना रहा है।धरने मे शामिल युवाओं के परिजन को परेशान कर उनका मनोबल धमकी और एफ आई तथा छापा मारने की कार्यवाही करते हुए तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।सायरा अहमद के नेत्रित्व में मात्र ६ से ७ महिलाओं द्वारा शुरु किया गया धरना नित नए इतिहास रच रहा है।विभिन्न मुहल्लों व दूर दराज़ के गाँवों और कस्बों से बड़ी संख्या में लोग धरने में शामिल होने को आ रहे हैं।अब तक कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधी,प्रोफेसर,अधिवक्ता,रंग मंच व सांस्कृतिक संगठनों, समाजसेवीयों ने धरने के समर्थन में मंसूर अली पार्क में धरना दे रही महिलाओं को सम्बोधित करते हुए केन्द्र सरकार द्वारा काले क़ानून के खिलाफ हुंकार भर कर सरकार को घेर चूके हैं।
लेकिन सरकार अपने हक़ की आवाज़ को लेकर धरने पर बैठी महिलाओं की बातों को नज़रअन्दाज़ कर प्रशासन के माध्यम से धरना समाप्त कराने पर तुली है।कोलकता की प्रसिद्ध कल्चरल टीम पश्चिम बंग संस्कृति परिषद के सदस्यों ने मंसूर अली पार्क में महिलाओं के समर्थन में शान्तिपूर्वक और लोकतांत्रिक आन्दोलन चलाने पर महिलाओं को बधाई दी और देश भक्ति गीतों और तरानों से एनआरसी,एनपीआर और सीएए पर हमला बोला।युवाओं की टीम ने गीत ग़ज़ल और नाटक के माध्यम से काले क़ानून को देशहित मे वापिस लेने की बात कही। वक्ताओं ने इस काले क़ानून से ग़रीब ग़ुरबा ,दलित पिछड़ों अल्पसंख्यकों के लिए दमकारी बताया कहा इस क़ानून के लागू होने से देश बरबादी की ओर अग्रसर हो जाएगा। हम न तो धमकियों से डरने वाले हैं और न हम फर्ज़ी मुक़दमों और पुलिस के छापों से डिगने वाले हैं।
हम संविधान के दायरे में अपना आन्दोलन चला रहे हैं जो बिना काले क़ानून की वापसी के पहले समाप्त नहीं करेंगे।हम इन्साफ की खातिर अपने घर का सुख चैन आरामदायक बिस्तर छोड़ कर खुले आसमान में अपनी मातृभूमि पर बैठे हैं। हमारे मनोबल को कोई तोड़ नहीं सकता।