तारिक आज़मी
रोजनामे इंसानी ज़िन्दगी में एक मुकाम रखते है। इसके साथ ही ज़्यादातर लोगो की सुबह होती है। कुछ तो ऐसे भी है कि अगर उनके हाथो में रोजनामे न मिले तो उनका पूरा दिन कुछ कम कम सा लगता है। मगर जब रोज़नामे हकीकत की जगह अफ़साने फैलाने लग जाये तो फिर समाज में नफरतो का वो सिलसिला शुरू हो जायेगा जिसको कभी खत्म नही किया जा सकता है।
हमारी पहली मुलाकात वाराणसी के बावनी के सरदार (अंसारी समुदाय के जिले के सबसे बड़े सरदार) हाजी मुख्तार महतो से हुई। उन्होंने बताया कि इस तरीके की कोई बात यहाँ हुई ही नही है और न ही किसी तरीके की शिकायत है। कल रविवार को सभी 41 लोग स्वेच्छा से अपनी जांच करवाने जाने के लिए खड़े थे। मगर प्रशासन द्वारा वाहन की उपलब्धता नही हो पाने के कारण केवल 12 लोग ही जांच के लिए जा सके। हम प्रशासन की परेशानियों को बेहतर तरीके से समझते है कि कम संसाधनों के साथ प्रशासन अपनी जी जान लगाए हुवे है।
उन्होंने बताया कि आज सुबह पुलिस अधीक्षक (नगर) से बात हुई और उसके बाद उन्होंने मेरी ख्वाहिशो को ध्यान में रखकर मोहल्ले में ही कैम्प लगवा कर उन सभी नमाजियों की जाँच करवा दिया जो लिस्ट में छूटे हुवे थे। बल्कि अगर किट और उपलब्ध होती तो कुछ और लोग भी अपनी जाँच करवा लेते। हम प्रशासन का पूरा सहयोग कर रहे है। अगर प्रशासन पुरे मदनपुरा क्षेत्र के एक एक इंसान की जाँच करना चाहता है तो हमारे क्षेत्र का हर एक बाशिंदा जाँच करवाने को तैयार है। मगर इस तरीके की झूठी तोहमत लगा कर रोज्नामो वालो ने हमारे इलाके को बदनाम कर समाज में नफरत फैलाने की कोशिश किया है।
इसी क्रम में हमारी बातचीत क्षेत्रीय युवक फैसल महतो से हुई। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कोई घटना नही हुई है। बल्कि खुद हम लोग अपनी स्वेच्छा से अपनी जाँच करवाना चाहते है फिर आखिर किस तरह इस तरीके की अफवाहों वाला समाचार ये रोज्नामे पंहुचा दे रहे है। उन्होंने कहा कि मेरी इस सम्बन्ध में बात स्थानीय चौकी इंचार्ज और थाना प्रभारी से भी तफ्तीश किया मगर दोनों ही इस प्रकरण में कोई बयान जारी नही किये है। फैसल महतो ने बताया कि इस प्रकरण में हम लोग समझ रहे है और जल्द ही कानूनी कार्यवाही करेगे।
वही दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर एक काल रेकार्डिंग वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि ये बातचीत उस लीडिंग अख़बार के सिटी इंचार्ज और 41 नमाजियों में से एक के बीच हुई बातचीत है। रिकॉर्डिंग के अनुसार पहले तो कथित रूप से उस लीडिंग अखबार के सिटी इंचार्ज ने ऐसी खबर के प्रकाशन से ही इंकार किया है फिर उसके बाद दुबारा खबर छपने की बात कबुलते हुवे काल करने वाले के वर्जन को भी समाचार पत्र के अगले अंक में खबर का हिस्सा बनाने का वायदा किया है।
बहरहाल, हकीकत क्या है यह उस रिपोर्टर और आम जनता को ही पता है। जैसी घटना का उल्लेख अखबार कर रहा है अगर ऐसी कोई घटना हुई है तो वह निंदनीय है, और अगर ऐसी घटना नही हुई है और सिर्फ न्यूज़ ऐसे ही बन गई है तो फिर कही न कही से नफरत के गर्म तवे पर सियासत की रोटी गर्म हो रहे है। निष्कर्ष उस अखबार का अगला अंक ही बताएगा।
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