तारिक आज़मी
काबुल के घोड़े मशहूर है। काफी मजबूत, चुस्त-दुरुस्त और खुबसूरत। तो क्या फिर काबुल में गधे नही होते है। बेशक होते है। शायद घोड़ो की जितनी आबादी होती होगी उससे कम गधे नही होते होंगे। इसको आप अन्यथा न ले बल्कि ठन्डे दिमाग से सोचे। मेरा कहना आपको भले दो मिनट के लिए बुरा लगे। मगर ये हकीकत है कि काबुल में गधे भी होते है।
अब देखिये न एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना की महामारी से त्राहि त्राहि कर रही है। वही दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी है जो टिक टोक पर मुसलमानों की वेश भूषा में मुस्लिम समाज को गुमराह कर रहे है। ऐसे लोग शायद वो है जिनको इस्लाम के बारे में जानकारी ही नही है। बल्कि केवल चंद व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी के ज्ञान को ही सर्वोत्तम ज्ञान मान लेते है और अपना इस अल्प ज्ञान का वर्णन ऐसे करते है कि यूनिवर्सिटी की डिग्री ही वहा खत्म हो जाती है।
बहरहाल, आते है ऐसे ही लोगो के बातो पर और उनकी अफवाहों पर थोडा तस्किरा करते है। टिक-टोक पर ऐसे बेवकूफाना एक दो नही बल्कि कुल 30 हज़ार से ज्यादा वीडियोज है। ये वीडियोज पोस्ट करने के बाद अधिकतर मामलो में ऐसा होता है कि वह अकाउंट डिलीट कर दिया जाता है जिससे वीडियोज पोस्ट हो रहे है। इन वीडियोज में मुस्लिम भेष भूषा में कुछ युवक रहते है और कोरी बकवास करते है जो मुस्लिमो को सावधानियां बरतने से हतोत्साहित कर रहे है और खुद को तुर्रम खान बता रहे है। इसके अधिकतर वीडियोज में जो दर्शाया जा रहा है वह बेवकूफाना हरकत है। आइये ऐसे गधो के वीडियोज के मैटिरियल पर ध्यान देते है,
कोरोना अल्लाह की एनआरसी है
कुरआन में इस तरीके की बीमारियों का तस्किरा है। इसके लिए बचाव के तरीके भी है। बेशक अल्लाह की रजा से सब कुछ होता है। मगर गधो एक बात बताओ जिस रब की तुम या मैं इबादत करते है वह रब्बुल आलमीन है या फिर रब्बुल मुसलमीन। बेशक अल्लाह रब्बुल आलमीन है। खुद कुरआन में इरशाद है रब्बुल मश्रीकैन व रब्बुल मग्रिबैन। तो फिर रब क्या सिर्फ एक कौन के लिए कुछ करेगा। एनआरसी तो उस रब की हमेशा रहती है।
क्या मरने वाले में तुम और हम नही होते। वो भी तो एनआरसी है भाई। कब किसको कहा रहना है ये वही फैसला करता है। फिर कैसे कोरोना को ही एनआरसी कह सकते हो? क्या हदीस में इस तरीके के मर्ज़ से बचने का हुक्म नही है। अल-कुरान: सूरह # 16 आयत # 8) में साफ़ साफ़ ऐसी बीमारियों के लिए आया है कि “इसलिए, भय सहित हर मानवीय भावना को भी एक निश्चित उद्देश्य के साथ सर्वशक्तिमान द्वारा बनाया गया है। यहां आपको उद्देश्य मिलेगा। वह कुरान में कई स्थानों पर मानवता को डरने का आदेश देता है। फिर इस मानवता से तुम कहा से ऊपर हो जाते हो। हदीस में भी साफ़ साफ़ कहा गया है कि जहा ऐसे मर्ज़ (छुत का मर्ज़) फैला हो वहा न जाओ, और अगर वह हो तो वहा से कही और मत आओ। ऐसा सिर्फ इसलिए है कि मर्ज़ को फैलने से रोका जा सके कही और न फैले। तो तुम इस हदीस और कुरआन के हुक्म को कैसे टाल सकते हो।
अल्लाह से डर COVID-19 रहेगा मुस्लिम से बेअसर – जिसने इस वीडियो को बनाया है बेशक वह अव्वल दर्जे का जाहिल है उसकी जेहालत की निशानी ही ये वीडियो है। बेशक सर्वशक्तिमान अल्लाह (ईश्वर) ही सब करने वाला है। मगर एक बात बताओ क्या तुम कोई स्पेशल रंगा कर आये हो जो तुम्हे कोई बिमारी नही लगेगी। क्या तुम पुरे कवर हो क्या रोज़ केचुल बदलते हो जो तुमको नही लगेगी बिमारी। आप इस्लामी तवारीख उठा कर देख लो। सहाबी ने भी ऐसी बीमारियों में पर्दा किया है। हम तुम सहाबियो के पैर का धोवन भी नही है।मगर तुम्हारी बेवकूफी को दुनिया देख रही है।
अल्लाह से डरो बेशक डरो, हमारे पापो का की तो फल हो सकता है कि अल्लाह ने पूरी इंसानियत पर ही ये मुसीबत दिया है। फिर तुम खुद को इंसान से अलग कैसे कर सकते हो। तुम्हारा जाहिलो वाला एक और वीडियो है टिक टोक पर। 17 सेकेंड के एक और वीडियो क्लिप में हिंदी टेक्स्ट में लिखा हुआ है कि कोरोना वायरस मुस्लिमों पर वार नहीं करेगा। एक लाइन में पवित्र कुरान का हवाला दिया गया है। साथ ही दावा किया गया है कि हाथ मिलाने और गले मिलने से बीमारियां ठीक होती हैं। कमाल है यारो। जेहालत की निशानिया कितनी तकसीम कर रहे हो। आखिर चाहते क्या हो कि दुनिया तुम्हारी बेवकूफी की मिसाल दे। क्या तुमको बेवकूफी का कोई अवार्ड चाहिए। आखिर क्या चाहते हो।
इस्लाम और दींन की बात करते हो तो एक बात बताओ ज़रा, शरियत में कहा से वीडियो बनाना, नाचना और गाना आया है। तुम नाच रहे हो, वीडियो बना रहे हो और खुद को इस्लाम का ठेकेदार बने हुवे हो। दुनिया के तमाम बुरे आमाल कर रहे हो और इस्लाम को बदनाम करने के लिए तुले हुवे हो। रहम कर लो थोडा इंसानियत पर पढ़े लिखे मुसलमानों पर। घरो में रहो। सोशल डिस्टेंस बना कर रखो। खुद को महफूज़ रखो और हिफाज़त में खुद भी रहो और दुसरे को भी रखो।
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