तारिक आज़मी
वाराणसी। आज अमन-ओ-सुकून के शहर बनारस में लॉक डाउन के दौरान काफी छुट मिली। इसका कही फायदा हुअ तो कही नाजायज़ फायदा भी उठाते हुवे लोग दिखाई दिये। इस छुट के दौरान मंदिर मस्जिद तो लॉक डाउन जैसे ही सन्नाटे में रहे मगर मयखाने ज़रूर आबाद हो गए। पीने वालो को पीने का बहाना चाहिए के तर्ज पर लोगो की भारी भीड़ मयखानों की जानिब दिखाई दी।
इसके अलावा शहर के गली मुहल्लों में अंग्रेजी शब्दों की भी बौछारे रात तक दिखाई देने लगी थी। सुबह तक इसकी खुमार रहने की संभावना प्रतीत हो रही है। काफी दिनों के बाद मदिरापान होने के कारण कुछ जगहों पर “चढ़” जाने के बाद वो सबसे खुबसूरत डायलोग भी सुनाई दिया कि “इसकी ऐसी की तैसी भाई, गाडी आज तुम्हारा भाई चलायेगा।”
बहरहाल, तस्वीरे देख कर आप खुद हालात का अंदाज़ लगा सकते है। पुलिस की सख्ती शायद नरमी में दिखाई दे रही थी। ये अब जिस कारण से रहा हो। लाख सोशल डिस्टेंस की बात हो मगर हकीकत उन्होंने भी देखा होगा जो आज सड़को पर कुछ काम से निकले थे। लॉक डाउन के दौरान इस प्रकार की छुट पर संभ्रांत नागरिको की प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।
वैसे कौन कहता है कि देश में गरीबी है। शायद नहीं है। क्योकि आकड़ो की बात करे तो पौने पांच करोड़ की शराब तो वाराणसी में केवल आज ही बिक गई है। यह आकडा अचंभित करने वाला हो सकता है। एनडीटीवी की एक खबर में इस बात का आकडा दिया गया है। खबर के अनुसार शाम को जब इसकी बिक्री की आधिकारिक सूचना आई तो 4 करोड़ 73 लाख 84 हज़ार 330 रुपये की शराब बिक गई थी। इसमें देशी शराब 60 लाख 25 हज़ार 500 की, अंग्रेजी शराब 3 करोड़ 89 लाख 85 हज़ार 800 रुपये की और बीयर 23 लाख 73 हज़ार 30 रुपये की बिकी। ये शराब लगभग 88 हज़ार लोगों के जरिये खरीदी गई।
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