तारिक आज़मी
वाराणसी। देश में लॉक डाउन से जहा आम जनता त्राहि त्राहि कर रही है। लोग जो साहिब-ए-हैसियत है वह गरीबो को अन्न और भोजन आदि का वितरण कर रहे है। लोग भले सोशल डिस्टेंस रखे मगर दिलो को करीब रख रहे है। जहा कय्यूम, रामकुमार के परिवार की फिक्र कर रहे है तो राधा किशन करीम के घर अनाज भेजवाने में हिचक नही रहे है। वही दूसरी तरफ फर्जी तरीके से धन कमाने वालो और भभकी देने वालो की भी कमी इस समाज में नहीं रही है। जहा लोग केवल भभकी और अपनी राजनैतिक रोटी सेक कर खुद का जेब भरने का भी प्रयास कर रहे है। खुद की कारस्तानियो को दुसरे के कंधे पर डालना, किसी को समाज में फर्जी तरीके से रुसवा करने की कोशिश करना ऐसे खलिहर लोगो का काम होता जा रहा है और लोग टाइम पास के तौर पर कर रहे है। अथवा कुछ लोग थोड़े धन उगाही के हेतु सतत प्रत्यत्नशील है।
ऐसे ही एक वाकया पिछले पिछले हफ्ते के आखिर में हुआ कैंट थाना क्षेत्र के कचहरी पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले पक्की बाज़ार में जिसका वीडियो जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हुआ कुछ इस प्रकार से कि कोनिया के रहने वाले खुद को कथित गौरक्षक कहने वाले और विवादों के बीच रहने में बड़ा नाम कमाने वाले एक सज्जन जिनके माता पिता ने तो उनका नाम अबू हुरैरा रखा था, मगर जवानी की दहलीज़ पर कदम रखने के बाद उन्होंने खुद से खुद का नया नामकरण कर डाला ज़हीर बाबा। यानी अब वो हो गए ज़हीर बाबा उर्फ़ अबू हुरैरा। सज्जन खुद को गौरक्षक बताते हुवे पहुच गए पक्की बाज़ार।
इस दौरान उन्होंने बताया कि एक कथित व्यक्ति ने उनको फोन पर सुचना दिया था कि पक्की बाज़ार क्षेत्र में गोकशी हो रही है, जिसकी पड़ताल हेतु मैं खुद आया था। अब सवाल उठता है कि क्या ज़हीर बाबा खुद को इस शहर का थानेदार समझते है जो हर एक घर की तलाशी बिना पुलिस को सुचना दिये खुद लेने पहुच गए थे। बहरहाल, स्थानीय लोगो ने पहले तो ज़हीर बाबा का वीडियो बनाया उनके बयान का वीडियो बनाया और फिर सडको पर भूखी गाय और गोवंशो को दिखा कर कहा कि इनकी रक्षा कौन करेगा। उनको खाना कौन खिला रहा है। मीन्स जमकर फुल 2 फंटूश इज्ज़त का कचरा कर डाला।
इसके बाद लोग ज़ाहिर बाबा को इज्ज़त के साथ स्थानीय पुलिस चौकी लेकर गए। जहा चौकी इंचार्ज पाण्डेय जी ने ज़हीर बाबा के कृत्य जानने के बाद जमकर क्लास लगाया। पुलिस चौकी पर बाबा अपने सूत्र और अपने इन्फर्मर के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं बता सके। यही नहीं बाबा को कड़ी चेतावनी दिया गया कि दुबारा ऐसी हरकत न करे अन्यथा कड़ी कार्यवाही झेलने को तैयार हो जाए। सूत्रों की माने तो बाबा ने पुलिस और स्थानीय जनता से माफ़ी मांगी और खुद इस प्रकरण का खंडन करने की बात कही।
इलाके में चर्चाओं पर अगर कान धरे तो ज़हीर बाबा ऐसे ही जुगाड़ के तहत एक दिन जैतपुरा क्षेत्र स्थित मनहार के पास भी पहुच गए थे, उनका जुगाड़ तो कोई नहीं लग पाया मगर स्वागत उनका बढ़िया हो गया था। बहरहाल, इस घटना के बाद अब ज़हीर बाबा परेशान है और घर के अन्दर ही है। अब उनकी बुलेट सडको पर दौड़ती दिखाई नहीं दे रही है। वैसे एक बात और भी सवाल खड़ा करती है कि ट्रैफिक नियमो के तहत नंबर प्लेट (वाहन के आगे और पीछे दोनों) पर केवल रजिस्ट्रेशन नंबर के अलावा कुछ नही लिखा जा सकता है। जबकि ज़हीर बाबा उर्फ़ अबू हुरैरा ने अपनी बुलट के आगे की नम्बर प्लेट पर नंबर ही गायब करवा दिया है और राष्ट्रीय गौरक्षा संगठन लिखवा लिया है। साथ ही इस संगठन का खुद को जिला अध्यक्ष कहने वाले ज़हीर बाबा नियमो की धज्जिया उड़ाते हुवे यह बुलेट लेकर थाने चौकी तक जाया करते है। मगर इनके गाडी का आज तक चालान नही कटा है।
क्रमशः…..2
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