तारिक खान/ ए जावेद
प्रयागराज/जौनपुर. परिजन खुश थे कि वह घर आ रहा है। लगभग 1400 किमी दूर लॉक डाउन में फंसे इस श्रमिक के घर आने की खबर ने परिजनों के आँखों में उम्मीद की एक किरण जगाई थी। सभी खुश थे कि उनका लाल आ रहा है। परिजनों को ये फिक्र थी कि प्रदीप गौतम ने कब से खाना नही खाया होगा। उसके पसंद की शायद खाने में चीज़े बन भी रही होंगी। वो जुझारू भी जाकर घर के तरफ बढा। लगभग 1350 किलोमीटर का फासला भी उसने तय कर लिया था। मगर कृति को तो कुछ और ही मंज़ूर था। घर की दहलीज़ पर पहुचने के लिए अब महज़ 60 किलोमीटर बचे थे।
घटना के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के अनुसार जौनपुर निवासी प्रदीप गौतम मुम्बई में रुमाल के कारखाने में काम करता था। लॉक डाउन के बाद कारखाना बंद हो गया था। कब खुलेगा इसका कोई भरोसा नही था। खुलेगा तो काम मिलेगा ये भी नही पता था। इस बीच ट्रेन द्वारा घरो को प्रवासी मजदूरों को भेजने की खबर ने प्रदीप गौतम को अपने परिजनों से मिलवाने की उम्मीद जगा दिया। वह ट्रेन से मुम्बई से चलकर कल देर रात प्रयागराज स्टेशन पंहुचा। वहा से रोडवेज बस द्वारा जौनपुर जाते समय उसकी तबीयत खराब होने लेगी। जिस पर कल देर रात मुंगराबादशाहपुर के क्वारंटीन सेंटर में सभी को रोक लिया गया था, सुबह चिकित्सक के आने से पहले ही आज शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। मजदूर को तेज बुखार और सांस फूलने की समस्या थी।
मृतक का सैंपल लेने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वह जौनपुर के ही जफराबाद थाना क्षेत्र के नाथूपुर गांव का निवासी था। बीमार मजदूर के मौत की सूचना से लोग सहम गए हैं। घंटों तक क्वारंटीन सेंटर के आसपास लोग जाने से कतराते रहे। जफराबाद थाना क्षेत्र नाथूपुर गांव निवासी प्रदीप गौतम (34) मुंबई के लोअर परेल इलाके में एक रुमाल बनाने के कारखाने में काम करता था। बस में सवार सभी 22 यात्रियों को सार्वजनिक इंटर कॉलेज में बने क्वारंटीन सेंटर में लाया गया था। वहां सुबह उनकी जांच होनी थी। मगर सुबह अचानक प्रदीप की सांस भी फूलने लगी। तत्काल चिकित्सकों को बुलाया गया, मगर डॉक्टरों के पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
मछलीशहर एसडीएम अमिताभ यादव ने बताया कि मजदूर की तबीयत पहले से ही खराब थी। उसे यहां स्वास्थ्य जांच के लिए ही रोक लिया गया था, लेकिन जांच से पहले ही उसकी मौत हो गई। उसका पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। सैंपल भी लिया गया है। बस में सवार सभी 22 यात्रियों के सैंपल भी लिए जाएंगे। इस पुरे मामले में सबसे मार्मिक प्रकरण ये है कि समाचार लिखे जाने तक मृतक प्रवासी मजदूर प्रदीप गौतम के परिजनों को उसकी मौत की जानकारी ही नहीं हुई है। वो तो अभी भी उसका इंतज़ार कर रहे है। परिजनों को सुचना देने का प्रयास जिला प्रशासन कर रहा है।
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