तारिक आज़मी
वाराणसी। कल से सोशल मीडिया के शूरवीरो द्वारा एक फोटो बार बार चलाया जा रहा है जिसमे बताया जा रहा है कि चौक इस्पेक्टर के शादी की सालगिराह के अवसर पर एक प्रतिष्ठित मिष्ठान भण्डार से मिठाई लाया गया था। इस सम्बन्ध में सोशल मीडिया पर वायरल करके एक फोटो लम्बी चौड़ी पोस्ट भी चलाई जा रही है। जिसमे दावा किया जा रहा है कि उक्त मिष्ठान की दूकान लॉक डाउन में खुली रह रही है।
उन्होंने कहा कि सुबह से 25 लोगन आकर पूछत हऊवन की दूकान में मिठाई कहा मिली। अईसन लगत ब की कऊनो मेला लगल ब। अरे लोगन के खाए बदे दो गो रोटी का कमी पडत ब अउर लोगन इहा मिठाई पूछत हऊवन। खैर हमने हालात का जायजा भी लिया और मामला यही समझ में आया कि दूकान तो काफी दिनों से नही खुली है। चौखट पर ही धुल के कण बता रहे थे कि अरसा हुआ यहाँ हरियाली आये। इसी दौरान हमारी तलाश उनकी भी थी, जिनके लिये सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जा रहा था कि ये लोग मिठाई लेकर गए थे।
इसी दौरान हमारे एक अन्य सहयोगी ए जावेद जो इस बात की जानकारी लेने के लिये निकले थे कि मिठाई कौन लेकर आया था का फोन हमारे पास आ जाता है। उनके द्वारा एक नंबर हमको उपलब्ध करवाया जाता है और बताया जाता है कि मिठाई लेकर आने वाले प्रकाश चन्द्र राय थे, राय साहब शौकिया पत्रकार भी है और सामाजिक चिन्तक और सेवक है। हमारे सहयोगी ने बताया कि वह समाज सेवक, सामाजिक चिन्तक और पत्रकार है। इस दौरान कल बृहस्पतिवार को चौक इस्पेक्टर की शादी की सालगिरह के मौके पर उनको कोरोना योद्धा के तौर पर सम्मानित किया था।
हमने प्राप्त नंबर 88XXXX2425 पर बात किया। दुसरे तरफ से प्रकाश चन्द्र राय ने फोन उठाया। हमने अपना परिचय देते हुवे बात करना शुरू किया और सीधे मुद्दे पर आ गए। (कॉल रिकॉर्डिंग सुरक्षित है), हमारा सवाल इसी मुताल्लिक था कि कल आपके द्वारा क्या इस्पेक्टर चौक आशुतोष तिवारी को मिठाई भेट किया गया था।
क्या हमारे किचेन में भी कोविड-19 की नियमावली लागू होगी ?
हमारे सवाल पर उत्तेजित होते हुवे प्रकाश चन्द्र राय ने उलटे हमसे ही सवाल कर डाला, और पूछा क्या व्यक्तिगत रूप से हमारे किचेन में भी कोविड-19 की नियमावली लागु होगी कि हम क्या पकवाये या क्या न पक्वाये। मैं अपने घर के अन्दर हलवा पक्वाऊ और खाऊ या फिर सब्जी पकवा कर खाऊ, या फिर मैं नमक रोटी खाऊ। क्या इसका नियम है कि मैं क्या पकवाऊंगा। लोगो ने एक छोटे से मामले को सियासी कर डाला।
हमने प्रकाश राय को शांत करते हुवे पूरा प्रकरण जानना चाहां तो उन्होंने बताया कि कोरोना वारियर्स के सम्मान के तौर पर कल मैं इस्पेक्टर आशुतोष तिवारी को सम्मानित करना चाहता था। तभी मुझको जानकारी मिली कि उनकी शादी की आज सालगिरह है। मेरे निवेदन पर मेरी माता जी ने खुद अपने हाथो से मिठाइया पकाया। जिस मिष्ठान भण्डार की बात हो रही है वह मेरे पड़ोस में है। उनके कुछ झोले और डब्बे मैंने केवल इसलिये ले लिए थे कि सामान ले जाने में मुझको सहूलियत हो। इसके बाद सामान लेकर गया और इस्पेक्टर चौक को सम्मानित किया। अब उसको लोग राजनैतिक रंग दे रहे है। इस सम्बन्ध में बतौर साक्ष्य प्रकाश चन्द्र राय ने उस खबर का लिंक हमको उपलब्ध करवाया जहा उनकी यह खबर लगी थी। ये वही डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म है जिसके लिए प्रकाश काम करते है।
इंडिया नाउ 24 नाम के वेब चैनल की न्यूज़ हमने पढ़ी। इंडिया नाउ 24 ने अपनी खबर में इस बात को लिखा है कि “प्रकाश चंद्र राय को मिली तो उन्होंने इस कोरोना वारियर के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए मौके पर तत्परता के साथ पहुंचकर तिवारी जी को ढेरों बधाइयां दी और इतना ही नहीं इस खुशी के अवसर पर प्रकाश चंद्र राय ने तिवारी जी को काशी के प्रतीकात्मक गौरव और सम्मान का प्रतीक- अंगवस्त्र पहना कर माल्यार्पण किया। वाराणसी के जिम्मेदार और युवा डिस्ट्रिक्ट रिपोर्टर प्रकाश चंद्र राय ने सरकार और प्रशासन द्वारा दिए गए दिशानिर्देशानुसार लॉकडाउन का पालन करते हुए, घर में माता जी के हाथों से बने हुए स्वादिष्ट मिष्ठान द्वारा आशुतोष तिवारी जी का मुंह मीठा कराया। “
इस खबर को पढने के बाद इस बात का साक्ष्य तो उपलब्ध हो चूका था कि मिठाई घर की बनी हुई यानी होम मेड है। अब सवाल ये पैदा होता है कि इस अफवाह को हवा कौन दे रहा है। हमने सोशल मीडिया पर भी नज़र डाली। इस फोटो युक्त अफवाह को हवा ख़ास तौर पर वो शख्स देता दिखाई दे रहा था जिसको पुलिस ने अपनी सख्ती से अवैध काम नही करने दिया। दीपावली पर पटाखों के इधर पकड़ के लिए इनके खुद के आवास और गोदाम से भारी मात्र में अवैध पटाखे बरामद हुवे थे।
इसके अलावा वो लोग इस अफवाह को और भी फैला रहे है जिनकी रोज़ी रोटी बन चुकी जुगाड़ की कहानी को चौक पुलिस और क्षेत्राधिकारी ने पूरी तरह रोक दिया। सीज़न में चुटपुटिया बेच कर चार पैसे कमाने वालो से लिया जाने वाला पुलिस के नाम पर सुविधा शुल्क क्षेत्राधिकारी और चौक इस्पेक्टर के प्रयास से रुक गया। अब ये वसूली बंद हुई तो रोज़ी रोटी पर मार झेल गए ये जुगड़ियो ने इस अफवाह को और भी बल दे डाला।
बहरहाल, मामले में कोई जोर नही दिखाई दिया बल्कि जुगाडियो द्वारा सिर्फ अपना जुगाड़ सेट करने एक लिए पुलिस को बदनाम करने की साजिश का एक हिस्सा ही मामला प्रतीत हो रहा है। ऐसे लोग तो इस खबर को इस तरीके से वायरल कर रहे है जैसे लगता है कि वह खुद दूध के धुले है और सीधे साधे कारोबारी है। जबकि ऐसा कुछ नही है। हकीकत के ज़मीन पर लोगो को शायद आईना देखना पसंद नही है।
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