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वाराणसी – लॉक डाउन में कारोबार की मार, उस पर समूह लोन की किश्त देने को कर रहे एजेंट परेशान, कहा जाये ये बुनकर जो है बदहाल

मो0 सलीम

वाराणसी। लोहता थाना क्षेत्र का ग्राम हरपालपुर एक बुनकर बाहुल्य क्षेत्र है। यहाँ का मुख्य कारोबार बिनकारी है। कारीगरी में माहिर यहाँ के कारीगरों द्वारा बिनी गई साड़ियो का महत्व काफी रहता है। बड़ी मेहनत का मेहनताना भले काफी कम रहता है, मगर यहाँ के कारीगर इसी को अपनी आजीविका का साधन बनाये हुवे है। इन बुनकरों का जीवन गरीबी में कटता है। थोड़े से पैसो की मजदूरी दो वक्त की भूख तो मिटा सकती है मगर उनकी ख्वाहिशो को पूरा नही कर पाती है। छोटी छोटी ज़रुरतो को भी पूरा करने के लिए उनको क़र्ज़ और उधार लेना पड़ता है।

ऐसी ही ज़िन्दगी के गुज़र रहे बुनकरों के इस इलाके में समूह द्वारा लोन ने अपना पैर फैलाना शुरू कर दिया। दो चार हज़ार से लेकर दस पंद्रह हज़ार तक की ज़रुरतो को पूरा करने के खातिर वैसे तो समूह के लोगो द्वारा लोन दिलवा दिया जाता है। जिसमे सूत्रों की माने तो बिचौलिया का कमीशन भी सेट होता है। इस लोन के अदायगी की किश्त साप्ताहिक बंध जाती है। मजदूर तबका इसका भुगतान अपने मजदूरी से करते रहते है।

इस बीच कोरोना महामारी के कारण लगे लॉक डाउन के बाद से इन बुनकर मजदूरी करने वालो को काम मिलना बंद हो गया। काम नही मिलने के कारण इस क्षेत्र में गरीब बुनकरों में भुखमरी की नौबत आ गई। इसी दरमियान सरकार की पहल पर बने राशन कार्ड से राशन मिलने और फिर समाजसेवको द्वारा क्षेत्र में राहत सामग्री बाटने के बाद से इन गरीबो का चुल्हा किसी प्रकार जल रहा है जो पेट की आग को ठंडा कर रहा है। एक तो लॉक डाउन में कारोबार पर पड़ी मार, उस पर क़र्ज़ का अहसास किसी के लिए भी भारी हो सकता है।

इस इलाके के कई परिवार ने थोड़ी थोड़ी रकम क़र्ज़ के तौर पर समूह से ले रखा है। अब जब से अनलाक 1 हुआ है। समूह के एजेंट आकर एक एक कर्ज़दार को परेशान कर रहे है और दबाव नाजायज़ दे रहे है कि किसी भी तरीके से किश्त जमा करो अन्यथा काफी बुरा होगा। एक क़र्ज़ लिए हुई महिला ने नम आँखों से हमको बताया कि हमारे पास पैसे एकदम नही है। एजेंट आते है हमारे साथ अभद्र भाषा में बात करते है और कहते है कि कुछ भी करो अपना घर मकान बेच दो मगर पैसे दो। वरना हम तुम लोगो को जेल भेज देंगे और तुम्हारे मकान को नीलाम कर देगे। हम लोग काफी डरे रहते है। वो लोग काफी ताकतवर है। उनकी ऊँची पकड़ है। हम कुछ नही कर सकते है उनका। हमारी कोई मदद नही कर सकता है।

क्या कहते है नियम

इस प्रकार के माईक्रो फायनेंस के लिए सरकार द्वारा नियम बनाये गए है। डिफाल्ट हुवे लोन के लिए पहले नोटिस और फिर बाकायदा अदालती प्रक्रिया अपनाई जाती है। किसी तरीके के बाहुबल के द्वारा डरा धमका कर लोन की अदायगी नही करवाया जा सकता है। मगर इन नियमो के उलट अक्सर इन माईक्रो फायनेंस कंपनी के एजेंटो को सडको पर गुंडई करते हुवे देखा जाता है। ये बहुबल और धमकियों के सहारे लोगो से दिए गए अपने कर्ज़ को वापस लेते है।

अब देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन इस मामले को कैसे संज्ञान लेता है। और किस प्रकार से मामले में हस्तक्षेप करके इन गरीब बुनकरों को राहत दिलवाता है। उम्मीद पर दुनिया कायम है के तर्ज पर इलाके के गरीब बुनकरों को एक बड़ी आस स्थानीय प्रशासन से है।

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