आफताब फारुकी
मेरठ। एक तो कोरोना महामारी, उस पर किया था मौसम ने बेहाल। आर्थिक तंगदस्ती के इस दौर में अन्नदाता किसानो पर एक और जोर का झटका लगा है जब बिना भुगतान किये ही शुगर मिल बंद हो गई है। हर साल की तरह इस साल भी मेरठ मंडल की शुगर मिलें किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान दबाकर बंद हो गई है। मिलों ने 1 जून तक खरीदे 5149 करोड़ रुपये के गन्ने का केवल 2098 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। मिलों के पास किसानों का करीब 3050 करोड़ रुपया दबा है। शासन ने भी मिलों को नोटिस देकर इतिश्री कर ली है।
क्या है प्रावधान
उत्तर प्रदेश गन्ना आपूर्ति एवं खरीद अधिनियम में गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान करने का प्रावधान है। इसके बाद बकाया पर 15 फीसदी विलंब ब्याज देय होता है। इतना सख्त कानून होने के बाद भी शुगर इंडस्ट्री बेखौफ होकर किसानों को हर साल खून के आंसू रुलाती है।
भुगतान का जो हाल पिछले साल हुआ था, इस साल उससे भी बुरा है। मेरठ मंडल की बागपत शुगर मिल को छोड़कर बाकी सभी 15 शुगर मिल पेराई सत्र 2019-20 का समापन कर बंद हो चुकी हैं। इन मिलों ने खरीदे गए गन्ने के देय मूल्य के सापेक्ष केवल 41 फीसदी का ही भुगतान किया है। 59 फीसदी बकाया मिलों की तिजोरी में बंद हो गया है।
बड़ा बकाया है जनपद की मिलों पर
मेरठ जनपद की मिलों ने भी गन्ना मूल्य भुगतान करने में तेजी नहीं दिखाई है। दौराला शुगर मिल को छोड़कर बाकी मिलों ने तिजोरी का मुंह नहीं खोला है। सबसे कम भुगतान किनौनी शुगर मिल ने किया है। पिछले दिनों शासन ने पेमेंट करने के नोटिस मिलों को भेजे थे। शुगर इंडस्ट्री कोरोना के चलते चीनी बिक्री नहीं होने की बात कह रही है। मिल प्रबंधन का भी कहना है कि जब तक चीनी नहीं बिकेगी, तब तक वह भुगतान करने की स्थिति में नहीं होंगे।
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