मो0 कुमैल
कानपुर. वाङ्मय पत्रिका और विकास प्रकाशन कानपुर के संयुक्त व्याख्यान माला के अंतर्गत आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर तसनीम सुहेल ने अपने विचार “नवजागरण युगीन हिंदी-उर्दू उपन्यासों में साझी विरासत” के माध्यम से रखे जिसमें उन्होंने हिंदुस्तान की संस्कृति गंगा-जमुनी तहजीब रही है और इस साझी विरासत में एक ओर बढ़ावा दिया गया तो दूसरी ओर कट्टरवादियों से उसे टक्कर भी लेनी पड़ी। भारत में आरम्भ से ही अनेक जातियां आयी तो उन्होंने यहां के लोगों की एकता को खंडित करने के लिए धर्म के नाम पर समाज और भाषा दोनों को बांटने का प्रयत्न किया।
नवजागरण ने यूरोप को आधुनिकता प्रदान की तथा हिंदी साहित्य में भी नवजागरण का प्रादुर्भाव सम्भव हो पाया, आस्था के स्थान पर तर्क को प्रसस्त किया गया, इस आंदोलन में अरबी विचारकों ने भी अपना योगदान दिया यूनानी परंपरा का विकास हुआ।
अंग्रेज़ो ने आधुनिकता को तो बल दिया लेकिन साझी विरासत को तोड़ने की भी कोशिश की जिससे वो ‘फूट डालो राज करो’ कि नीति को अमलीजामा पहना सके। इस फेसबुक लाइव में बहुत से देश-विदेश के विद्वान, शोधार्थी एवं विद्यार्थी भी शामिल हुए
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