विकास दुबे एनकाउंटर – सुप्रीम कोर्ट का आदेश, रिटायर्ड जज की अध्यक्ष वाली कमेटी करेगी एनकाउंटर पर जांच, सीजेआई ने कहा ये सिस्टम की विफलता है
आफताब फारुकी
नई दिल्ली: विकास दुबे एनकाउंटर मामले में आज सुनवाई करते हुवे सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज की अध्यक्ष वाली कमेटी द्वारा इसकी जाँच करवाने का आदेश पारित कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में सिस्टम की विफलता पर भी टिप्पणी किया है।
आज सुप्रीम कोर्ट में विकास दुबे एनकाउंटर मामले की सुनवाई शुरू हुई है। इस मामले की सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए इसे सिस्टम की विफलता बताया है। उन्होंने कहा कि “हैदराबाद एनकाउंटर” और विकास दुबे एनकाउंटर केस में एक बड़ा अंतर है। वे एक महिला के बलात्कारी और हत्यारे थे, ये (दुबे और सहयोगी) पुलिसकर्मियों के हत्यारे थे। ‘कोर्ट ने विकास दुबे पर संगीन अपराधों में नाम दर्ज होने के बाद भी जमानत दिए जाने को लेकर भी हैरानी जताई। इस मामले में कोर्ट ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति से जांच कराने के निर्देश दिए हैं। अब अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
इसके पहले आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूपी सरकार की ओर से कहा कि सारे मुद्दों को अदालत के सामने रखा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का पक्ष रखते हुए मुठभेड़ को सही ठहराया। दुबे की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वो पैरोल पर था और उसने हिरासत से भागने की कोशिश की थी। विकास दुबे के खिलाफ 65 मुक़दमे दर्ज थे और वो पैरोल पर बाहर आया था। इस सीजेआई ने कहा कि ‘आप हमें मत बताइए कि विकास दुबे कौन था।’ वही यूपी डीजीपी का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि यह मामला तेलंगाना मुठभेड़ से कई मामलों में अलग है। यहां तक कि पुलिसकर्मियों को भी मौलिक अधिकार है। क्या पुलिस पर अत्यधिक बल का आरोप लगाया जा सकता है जब वह एक खूंखार अपराधी के साथ लाइव मुठभेड़ में लगी हो?
इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमों के बारे में बताएं। आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे। सीजेआई ने कहा कि ‘हैदराबाद और विकास दुबे एनकाउंटर केस में एक बड़ा अंतर है। वे एक महिला के बलात्कारी और हत्यारे थे। ये (दुबे और सहयोगी) पुलिसकर्मियों के हत्यारे थे। ये बिल्कुल साफ है कि तेलंगाना वाले मामले में आरोपी बिना हथियार के थे। सीजेआई ने विकास दुबे को मिली जमानत पर भी हैरानी जताई। सीजेआई ने कहा कि ‘हमें इस बात से हैरानी है कि इतने आपराधिक मामले सिर पर दर्ज होने वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा था और उसने आखिरकार ऐसा कर दिया। हमें सभी आदेशों की एक सटीक रिपोर्ट दें। यह सिस्टम की विफलता को दर्शाता है।’ सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे को जमानत संबंधी सारे आदेश मांगे हैं।
सीजेआई ने यूपी सरकार से कहा कि राज्य सरकार के रूप में वो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं और इसके लिए एक ट्रायल होना चाहिए था। सीजेआई ने कहा कि कोर्ट सरकार द्वारा बनाई गई समिति में एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ना चाहता है। इसे लेकर कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या वो सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग नियुक्त करने के लिए तैयार है?
इसके बाद यूपी सरकार समिति के पुनर्गठन के लिए सहमत हो गई है, जिसके बाद विकास दुबे के एनकाउन्टर की जांच अब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित कमिटी करेगी। सीजेआई ने कहा कि ‘इस जांच से कानून का शासन मजबूत ही होगा और पुलिस का मनोबल नहीं टूटेगा। यह केवल एक घटना नहीं है जो दांव पर है। पूरी व्यवस्था दांव पर है।’ कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि कमेटी में एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज और रिटायर्ड पुलिस अफसर जोड़ें। यूपी सरकार ने कहा है कि वो कल तक ये काम कर देगी। कोर्ट ने ये मामला बुधवार को फिर सुनने को कहा है। यूपी सरकार ने कहा है कि जांच कमिटी के लिए वो नोटिफिकेशन जारी करेगी, जिसमें एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जज/एक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज और एक रिटायर्ड DGP होंगे। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार कल ड्राफ्ट नोटिफिकेशन दाखिल करेगी। इसके बाद अदालत आदेश जारी करेगी।