फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी= भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मोहाना और कर्णाली नदियों की बाढ़ और कटान से अपनी जमीन व लोगों को बचाने के लिए नेपाल सरकार ने तटबंध बना लिया। इस तटबंध के बनने से नेपाली तो महफूज हो गए लेकिन अब ये नदियां भारत के सीमावर्ती इलाकों में पहले से दोगुना कहर बरपाने लगी हैं। परेशान किसान और ग्रामीणों में इससे हाहाकार मचा है। वे कहते हैं कि उन्होंने सरकार और अफसरों से बहुत बार ठोकरें बनाने की मांग की लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
बीस वर्ष पहले नदी के पूरब तरफ बसे तिलहा गांव पर कहर बरपाते हुए मोहाना ने यहां के लोगों को भागने पर विवश कर दिया था। ग्रामीणों ने पश्चिम आकर अपने घर बना लिए थे। नेपाल का तटबंध बनने से नदी का रुख पश्चिम दिशा में हो गया है। इससे ग्रामीणों और किसानों के हलक सूख रहे हैं। यहां के लोगों ने बचाव के लिए कई बार ठोकरें बनवाने की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। खेती की जमीन को लीलती हुई नदी घरों की तरफ बढ़ती जा रही है। रननगर टिब्बी के सरदूल सिंह कहते हैं कि नेपाल ने तो तटबंध बनाकर अपने लोगों को बचा लिया लेकिन हमारी कोई सुनने वाला नहीं है। इंदरनगर के गुरुलाल सिंह बताते हैं कि उनकी दस एकड़ भूमि नदी में समा चुकी है। केवल घर बचा है। वह भी नदी के निशाने पर है।
रननगर निवासी हरजीत सिंह का कहना है कि छोटे से पड़ोसी देश नेपाल ने चीसापानी से लेकर कालाकुंडा तक नदी पर काफी लंबा तटबंध बनाकर अपने नागरिकों को बचा लिया लेकिन हमारी सरकार हमको बचाने के लिए अभी तक कुछ नहीं कर पाई है। इसी गांव की नौलखिया कहती हैं कि कटान करती नदीघरों की तरफ आ रही है। हमारी आंखों से नींद नदारद है। अब हम कहां जाएंगे। ठोकर बन जाती तो खेत व घर बच जाते। राजेश कहते हैं कि मोहाना गांव से केवल पचास मीटर दूरी पर है।
नेपाल के बंधा बना लेने से पानी की सीधी ठोकर गांव पर पड़ रही है। जोखूराम निषाद कहते हैं कि दो-तीन सालों से नेपाल मोहाना के किनारे अपनी सीमा में बंधा बना रहा था। ग्रामीणों ने तभी इसके असर के बारे में अफसरों को चेताया था। लेखपाल ने मौके पर आकर पड़ताल भी की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ। रननगर प्रधान मलूक सिंह ने बताया कि कटान रोकने को अफसरों से कई बार बांध बनाने का अनुरोध किया गया लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
विश्व बैंक के कर्ज से नेपाल में बने कई बंधे
तिकुनियां-खीरी। नेपाल सरकार ने अपने देश और नागरिकों को बाढ़ और कटान से बचाने के लिए रानी जमुरा कुलरिया सिंचाई योजना बनाई थी। नेपाल सरकार इस योजना को विश्व बैंक से कर्जा लेकर अमली जामा पहना रही है। बताया जाता है कि इस योजना से करीब चैबीस हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने तथा अपनी जमीन को कटान से बचाने के लिए सीमावर्ती नदियों के किनारे तटबंध भी बनाए गए हैं। योजना के मुताबिक अभी कुछ तटबंध बनने बाकी हैं।
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