फारुख हुसैन
पलियाकलां-खीरी। एसएसबी की तैनाती इंडो नेपाल बॉर्डर पर 2004 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। जिसका मुख्य उद्देश्य भारत-नेपाल सीमा पर हो रही मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, गैर कानूनी असलहे व देश विरोधी गतिविधियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना था। परंतु जैसे जैसे समय गुजरता गया वैसे वैसे एसएसबी भी अपने उदे्श्य से भटकती गयी या यूं कहें शातिर तस्करों द्वारा अधिकारियों के साथ बैठ-बैठकर उद्ेश्य से भटका दिया गया। जिससे आज आलम यह है कि एसएसबी खीरी की 39 बटालियन भारत मे ही तम्बाकू, सिगरेट, पान मसाला, किराना परचून व खाद आदि पकड़कर कस्टम के हवाले करके अपने आप मे ही सीना चैड़ा कर रही है।
अगर यही काम एसएसबी को करना है तो सेल्स टैक्स व आरटीओ विभाग को खत्म कर देना चाहिए। क्यों सरकार फालतू की नियुक्तियां कर मोटी तन्खाह देती है। कुल मिलाकर लखीमपुर जिले की 120 किमी.सीमा नेपाल देश से लगती है और इस सीमा की सुरक्षा का दायित्व सशस्त्र सीमा बल की तीन बटालियन संभालती हैं। जिसमें 49, 39, और तीसरी वाहिनी है। 49 बटालियन और तीसरी वाहिनी तो अपने कार्यों को बखूबी निभातीं हैं व जो उनके अधिकार में है वही कार्य करती हैं किंतु 39 वीं बटालियन अपने अधिकारों से अधिक भी कार्य करती है। जैसे गाड़ियों का कागज चेक करना, भारतीय क्षेत्र में जीएसटी बिल चेक करना, सिविल एरिया में बिना मुखबरी के कहीं भी नाका लगाना, कहीं भी रोड़ के किनारे बिना नक्शे के चैकी बना देना। जिससे कि अक्सर 39 बटालियन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह व तस्करी होने में कहीं न कहीं संलिप्तता नजर आती है।
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