वेब सीरिज के माध्यम से फैल रही दुश्प्रवित्तियो को रोकने हेतु उन्हें सेन्सर बोर्ड जैसे केंद्रीय प्रमाणपत्र प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार लाया जाये – रूद्र शक्ति सेना
संजय ठाकुर
रूद्र शक्ति सेना राष्ट्रीय संस्था की नारी शक्ति राष्ट्रीय सदस्य रीना हिन्दू ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जैसा कि आप सभी जानते है कि अपने देश भारत में दिन प्रतिदिन सनातनी महिलाओं छोटी छोटी बच्चियों के साथ आए बलात्कार अत्याचार जैसे गणित कार्य हो रहे हैं। ऐसी घटनाएं आए दिन तूल पकड़ी हुई हैं। आए दिन बलात्कार जैसी शर्मनाक घटनाएं सामने आ रही हैं। जिनके विरुद्ध कोई आवाज नहीं उठा रहा है। अगर उठाता भी है तो उसे दबा दिया जाता है। इसके लिए आज एक बार फिर से रूद्र शक्ति सेना हिन्दूवादी संस्था मांग करती है कि हिन्दू विरोधी, सेना विरोधी, धार्मिक अनबन उत्पन्न करनेवाली और अश्लीलता फैलाने वाली अप्रतिबंधित ‘ऑनलाइन वेबसीरिज’ को नियंत्रित करने के लिए ‘सेंसर बोर्ड’ बने।
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में अभी तक ‘ओ माई गॉड’, ‘पीके’ जैसे अनेक फिल्मों में हिन्दू धर्म, देवता, संत आदि का अपमान किया गया है । हिन्दू साधु-संतों को लफंगा और गुंडा दिखाया जाता है तथा मौलवी एवं फादर को दयालु-समाजसेवक दिखाया जाता है। अभी मुसलमानों ने महाराष्ट्र सरकार से ‘मोहम्मद : द मेसेंजर ऑफ गॉड’ इस आनेवाले फिल्म के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। राज्य सरकार ने तुरंत वह मांग स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की विनती करते हुए पत्र भेजा है। यह सरकारी धार्मिक भेदभाव नहीं तो और क्या है। अन्य धर्मियों की ही नहीं अपितु किसी भी धर्मी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों, सरकार की ऐसी भूमिका होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उसी प्रकार जानबूझकर धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाले इन फिल्म बनानेवाले निर्माताओ पर कठोर कार्यवाही की जाए। फिल्म, नाटक, विज्ञापन, लेखन द्वारा हिन्दू धर्म, देवता, संत आदि का अपमान करने पर कठोर कार्यवाही करने हेतु कानून बनाया जाए, हम सरकार से ऐसी मांग कर रहे हैं।
अप्रतिबंधित वेबसीरीज :
उन्होंने अपने विज्ञप्ति में कहा है कि ‘नेटफ्लिक्स’ पर ‘सेक्रेड गेम्स’ में गुरु-शिष्यों में यौन संबंध, भारत में हिन्दुओें द्वारा मुसलमानों पर होने वाले अत्याचार; ‘पाताल लोक’ वेबसीरिज में मंदिर में पुजारी को मांस खाते तथा साधु-संतों को मां-बहन की गालियां देते हुए दिखाना आदि आपत्तिजनक चित्रण उजागर रूप से दिखाया जा रहा है। ऑनलाइन वेबसीरिज के माध्यम से जानबूझकर हिन्दूविरोधी, धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाली, देशविरोधी, सेनाविरोधी, अश्लील, हिंसक और धार्मिक अनबन उत्पन्न करनेवाले आपत्तिजनक दृश्य तथा संवाद प्रसारित किए जा रहे हैं। इससे देश का धार्मिक सौहार्द्र, शांति, एकता और कानून-सुव्यवस्था में बाधा उत्पन्न हो रही है।
कहा कि आजकल ‘एमेजोन’, ‘नेटफ्लिक्स’, ‘हॉटस्टार’, ‘अल्ट बालाजी’ आदि ऑनलाइन वेबसीरिज के माध्यमों से ‘पाताल लोक’, ‘लैला’, ‘सेक्रेड गेम्स’, ‘गंदी बात’, ‘कोड एम।’ और ‘गेम ऑफ थ्रोंस’ आदि आपत्तिजनक वेबसीरिज ने सभ्यता की सर्व सीमाएं पार कर ली हैं। मनोरंजन के नाम पर एक प्रकार से ‘पॉर्न’ वीडियो दिखाए जा रहे हैं। ‘गंदी बात’ वेबसीरिज में पारिवारिक व्यभिचार और बलात्कार दिखाए गए हैं। ‘गेम ऑफ थ्रोंस’ में ३५०० से अधिक हत्याएं दिखाई गई हैं। उपलब्ध आंकडों के अनुसार इन ऑनलाइन माध्यमों द्वारा अनुमानित 3 हज़ार करोड रुपए का लेन-देन होता है; परंतु इससे सरकार की कोई आय नहीं होती।
उन्होंने सरकार से मांग करते हुवे कहा है कि इस संदर्भ में हमारी मांग है कि, फिल्मों के लिए जिस प्रकार ‘केंद्रीय चलचित्र निरीक्षण मंडल’ (CBFC) है, इसी प्रकार वेबसीरीज के लिए भी एक व्यवस्था बनार्इ जाए। ‘सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952’, ‘केबल टेलिवीजन (रेग्यूलेशन) अधिनियम 1995’ आदि कानून हैं। उन कानूनों में सुधार कर ‘ऑनलाइन वेबसीरिज’ को भी इन कानूनों की कक्षा में लाकर उसके लिए तत्काल अध्यादेश पारित किया जाए। जिस प्रकार फिल्मों के लिए कर और शुल्क लिया जाता है, उसी प्रकार वेबसीरिज पर भी कर और शुल्क लिया जाए। ‘भारतीय दंड संहिता’ तथा ‘सूचना और प्रसारण अधिनियम 2000’ की धाराओें के अनुसार इन वेबसीरिज के माध्यम से चलाए जानेवाले अनुचित कृत्य रोककर उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए।