तारिक़ आज़मी
बनारस की शान है हरिश्चंद्र कालेज। मगर यहाँ तालीम हासिल कर रहे छात्रो को भी शायद इसकी जानकारी नहीं होगी कि महान देशभक्त, नौशेरा के शेर का लकब पाए ब्रिगेडियर उस्मान, जिनकी देशभक्ति और बहादुरी के चर्चे सिर्फ सरज़मीन-ए-हिन्द में ही नहीं बल्कि दुश्मन मुल्को में भी थे, पकिस्तान जैसे दुश्मन पड़ोसियों ने अपनी आर्मी का चीफ बनाने का न्योता तक भेज दिया था। मगर वो देश भक्त, अपने मादर-ए-वतन से मुहब्बत करने वाले ने ठुकरा दिया। उसकी बहादुरी से आजिज़ आकर पाकिस्तान ने उसके ऊपर इनाम तक रख दिया था। जी हां, हम नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर उस्मान की बात कर रहे है। ब्रिगेडियर उस्मान ने अपनी शिक्षा बनारस के हरिश्चंद्र स्कूल में भी हासिल किया था।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान पहले ऐसे अफसर थे,जिस दिलेर पर पाकिस्तान ने इनाम रखा था। आज भारत मां के उस वीर पुत्र और भारतीय सेना के महान अफसर ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की जयंती है। 1948 को भारत पाकिस्तान की जंग में कश्मीर में नोशेरा की हिफाज़त करते हुए वह शहीद हो गए। उन्हें जामिया मिल्लिया के परिसर में सुपुर्द-ए-खाक़ किया गया। बाद में उन्हें महावीर चक्र से नवाज़ा गया। लेकिन आज मीडिया और न ही कोई नेता उनकी शहादत पर उन्हें याद करता है। ये तो छोड़े साहब इतिहास के पन्नो में उनका ज़िक्र अब तलाशना पड़ता है। हरिश्चंद्र स्कूल जहा से उन्होंने शिक्षा पाई उसको गर्व होना चाहिए कि ब्रिगेडियर उस्मान जैसे छात्रो को उन्होंने पढ़ा कर इस लायक बनाया। मगर उस विद्यालय में भी उनकी जयंती पर कोई कार्यक्रम आज तक मैंने नहीं सुना।
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