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अधूरी ही खत्म हुई एक प्रेम कथा, बाप, भाई और मामा ने ही उजाड़ दिया उसका सुहाग, छीन लिया मासूम के सर से बाप का साया

आदिल अहमद

कानपुर। कल्यानपुर थाने के गौसपुर गांव की रहने वाली रिंकी सिंह राजपूत उरई के अभियोजन कार्यालय में तैनात है। उसने प्रेम विवाह किया था। मगर घर को आग लग गई घर के चिराग से। जिन हाथो पर उसने खुद की रक्षा के लिए राखी बाँधा होगा, जिस पिता की उंगली पकड़ कर चलना सीखा था। उन्होंने ही उसके मांग का सिंदूर पोछ डाला और उसके हंसते खेलते परिवार को गमो के ऐसे समंदर में धकेल दिया है जहा से उबर पाना अब उसके लिए नामुमकिन हो चूका है।

गुरुवार रात महिला सिपाही रिंकी के पति एलएलबी छात्र मनीष की प्रेम कहानी के दुखद अंत की वजह उसके खुद के घर वाले ही बने जो ग्रामीणों के ताने से परेशान हो चुके थे और उन्होंने एक जघन्य अपराध कर डाला। रिंकी और मनीष दोनों एक दुसरे के पडोसी थे। दोनों गौसपुर गांव में बचपन से साथ स्कूल गए। रिंकी को सिपाही बनाने के लिए मनीष ने भी मेहनत की। दोनों ने बड़े अरमानों से नई दुनिया बसाई थी। दोनों ने दो साल पहले प्रेम विवाह किया। उनके एक मासूम बच्चा भी था। लेकिन गांव में रिंकी के पिता और भाइयों को ग्रामीण उनके प्रेम विवाह पर ताना देते रहे। धीरे-धीरे उनमें गुस्सा बढ़ता चला गया। जिसने एक जघन्य अपराध को अंजाम दे दिया।

उसके पति मनीष (24) की रिंकी के पिता प्रेम सिंह, भाई अंकित व  मामा देशराज निवासी गौसपुर कल्यानपुर ने गुरुवार रात उरई के शिवपुर में घर में घुसकर हत्या कर दी थी। बेटी के पति को चाकू से गोदकर मारने के बाद तीनों को उरई पुलिस ने जेल भेज दिया। शव आने के बाद परिजनों ने शुक्रवार को ही गंगा घाट किनारे अंतिम संस्कार किया। रात में उरई पुलिस हत्यारोपियों के घर पहुंची तो उसे ताला लगा मिला। ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद से पूरा परिवार लापता है। कहां गए हैं इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है। हत्यारोपियों के परिवार में किसी के न मिलने पर पुलिस रात में ही लौट गई।

उधर, मनीष के पिता विश्वनाथ सिंह लोधी ने बताया कि बेटा मनीष बीसीए करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। उसका दूसरा साल था। दोनों परिवार पड़ोसी हैं। मनीष और रिंकी एक साथ बचपन से पढ़ने आते जाते थे। गोपालगंज में कोचिंग साथ करते थे। उनके बीच प्रेम प्रसंग था। रिंकी के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। तभी मनीष उसकी पढ़ाई लिखाई, नौकरी के फार्म भरने का खर्च उठाता था। लड़की के मां बाप को कोई एतराज नहीं था। तीन साल पहले रिंकी की नौकरी लगी। तभी रिंकी के घरवालों ने दूसरी जगह शादी तय कर दी। उनके संबंध पर आपत्ति जताने लगे थे। तीन साल पहले पहली पोस्टिंग जालौन के रामपुरा थाने में हुई थी।

करीब दो साल पहले जालौन जिले में रिंकी और मनीष ने मंदिर में विवाह किया था और एक साथ रहने लगे थे। रिंकी से मिलने उसका भाई अंकित आता जाता था। इधर, अभियोजन कार्यालय में रिंकी की तैनाती थी। उसने एक माह पहले घर भी बदल दिया था। अंकित एक हफ्ते पहले पूछताछ कर रिंकी के घर पहुंचा था। बहन ने भाई को कपड़े और खर्च देकर भेज दिया था। उसके बाद ही यहां से भाई अंकित, उसके पिता और मामा के साथ मनीष की हत्या को पहुंचे थे। यह लोग हत्या के लिए बिंदकी से चाकू खरीद ले गए थे।

बहरहाल, रिंकी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस हाथो पर वह अपनी रक्षा के लिए राखी बाँध रही है, जिस उंगली को पकड कर उसने चलना सीखा है, जिस मामा के गोद में खेल कर वह बड़ी हुई है। वही तीनो हाथ उसका सुहाग उजाड़ देंगे। आज रिंकी के मांग का सिंदूर किसी और ने नहीं उसके खुद के अपनों ने मिटा डाला है। एक मासूम के सर से उसके बाप का साया किसी और ने नहीं बल्कि उस मासूम के खुद के नाना और मामा ने उठा दिया है। इस दर्दनाक घटना के साथ एक अजब प्रेम की दास्तान खत्म हो चुकी है।

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