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तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ – जिया रजा बनारस, सोशल डिस्टेंस की ऐसी की तैसी, भले कोरोना हो जाये, मगर मिठाई तो यही की खायेगे हम

तारिक़ आज़मी

मुझको मालूम है आप कहेगे गुरु दुई दिन पुरानी तस्वीर पर आज काहे लिखत हऊवा। मगर का करी गुरु, दिल ही तो है। जैसे दिल तो बच्चा है जी, भले कोलेस्ट्राल रिपोर्ट कहती है कि आपका कोलेस्ट्राल 290 है, मगर ई ससुरा दिल है कि मानता नही है। इकरा के तो उहे दिन चिकन फ्राई खाना रहता है। वैसे ही जब दिल है तो धड़कता है और धड़कता है तो धड़कन कुछ न कुछ कहती है। सोशल डिस्टेंस की ऐसी की तैसी कर डालेगे अगर दिल कहेगा, मगर मिठाई तो उसी दूकान की खायेगे। भले ससुरा कोरोना हो जाए चाहे किरऊना काट ले।

ऐसा ही कुछ नज़ारा बृहस्पतिवार को कचहरी स्थित गोलघर के पास एक प्रसिद्ध मिठाई की दूकान पर देखने को मिला। शहर में इस दूकान के मिठाई का अपना ही ज़बरदस्त वर्चस्व है। ये भी सही है कि यहाँ के मिठाई का अपना ही स्वाद है। मगर क्या स्वाद के लिए खुद के सुरक्षा से खिलवाड़ करना सही है। सवाल भले आपको अटपटा लगे और उसके लाख बहाने हम आप तलाशे, मगर क्या ये ज़रूरी है कि आगंतुक को एक प्रसिद्ध मिठाई की दुकान से ही मिठाई खिलवाये। मेरे हिसाब से अगर देखे तो नहीं। हम प्रेम से एक टाफी भी किसी को खिला सकते है मगर खुद के स्वास्थ्य और सुरक्षा से खिलवाड़ करना कहा की समझदारी है।

मामला तीज पर्व के एक दिन पहले शाम लगभग 5 बजे के करीब का है। सभी आपाधापी में भाग दौड़ करते अपने कामो को निपटा कर वापसी करने की जुगत में थे। सबको जल्दी थी कि पहले हम जाए पहले हम। मगर दूसरी तरफ पुलिस चौकी के आँखों के सामने स्थित एक प्रसिद्ध मिष्ठान की दुकान पर भीड़ इकठ्ठा थी। पुलिस को क्या है ? आखिर वो कितना आपको हमको समझायेगी। समझाते समझाते डंडा चलाते चलाते तो खुद ही बीमार पड़ गई है। अब इतने बड़े मिठाई की दुकान पर नियम अगर समझाने पहुचती तो शायद दुकानदार उनको ही समझा देता।

भीड़ इतनी थी की लगभग 40-50 से अधिक लोग दुकान के अन्दर थे तो काफी लोग दुकान की सीढियों से लेकर बाहर फुटपाथ पर लाइन लगा कर एक दुसरे से सटे खड़े हुवे थे। सबको इसी दुकान से मिठाई चाहिये थी। आखिर सोशल डिस्टेंस भी कुछ होता है। मैंने काका से पुछ लिया, तो काका सपना में भी आकर भड़क गये। ऊ कहे हमसे तुमका का पता दिल तो बच्चा है। ऊ गाना न सुने हो दिल तो बच्चा है जी, वईसही बच्चा है। अब उसको वही की मिठाई खाना है तो सोशल डिस्टेंस की ऐसी की तैसी, भले किरऊना से लेकर कोरोना तक हो जावे मगर मिठाई तो वही की खाना पड़ता है।

आप सोचे दुकानदार का क्या है, उसको अपना मॉल बेचना है। उसको इससे मतलब नही है कि आप कोरोना पॉजिटिव हो या निगेटिव। थर्मल स्कैनिंग के नाम पर एक टेम्प्रेचर मशीन लेकर आन दो जान दो के तर्ज पर एक कक्षा 8 पास व्यक्ति डाक्टर के तरह खड़ा है। टिक गो टिक गो। उसको जाकर आप पूछो क्या दिखा रहा है मशीन। कितना होना चाहिए कितना है। उसको इससे कुछ फर्क नही पड़ता है। मशीन कितनी अथेंटिक है इसको आप किसी चिकित्सक से पूछ ले जाकर। एक छोटे से उदहारण से आपको मैं समझाता हु। मेरा गुज़र एक थाने के तरफ से पिछले सप्ताह हुआ। मैं बस स्थिति देखने के लिए अन्दर इसलिए चला गया था कि इस थाने के कई पुलिस कर्मी कोरोना पॉजिटिव निकले थे।

मेरे चहरे पर मास्क था। सर पर हेलमेट था। तेज़ धुप ऐसी थी कि हिरन भी काला हो जाये। धुप से सीधे अन्दर के तरह गया तो एक महिला कांस्टेबल ने मेरा टेम्प्रेचर लिया। मैं हेलमेट उतारने की सोच ही रहा था कि उन्होंने हेलमेट के ऊपर से ही ले डाला। मैं भी अचंभित था। हेलमेट पहनने के बाद मेरा माथा दिखाई नही दे रहा था तो ज़ाहिर है कि हेलमेट का ही टेम्प्रेचर आया होगा। मैंने मैडम से पूछ लिया कितना आया है। उन्होंने कहा ठीक है। मैंने कहा फिर भी कितना है। उन्होंने कहा बस ठीक है आप जा सकते है अन्दर, मैंने फिर कहा फिर भी ठीक है तो कितना ठीक है। तो उन्होंने बताया आपका शारीरिक तापमान केवल 90 है। अगर 92 होता तो जाने नहीं देती और वापस भेज देती।

मैं समझ गया। मैदान ने एकदम सही किया। मेरा तापमान उस टिक टिक मशीन से ले डाला। अब वो अन्दर जाने दे चाहे न जाने दे मुझे बाहर ही जाना बेहतर है क्योकि मालूम नहीं कौन कोरोना का प्रसाद दे जाये यहाँ। क्योकि जितनी तेज़ धुप थी उसमे मेरा हेलमेट काफी तेज़ गर्म होगा। उसकी गर्मी को नापकर मेरा तापमान नाप लेने के बाद मुझको अहसास हो चुका था कि कितनी ट्रेनिंग हुई होगी। अब आप सोचे उस प्रतिष्ठित दूकान के बहार टिक टिक मशीन लिए खड़ा गार्ड कितना समझदार और पढ़ा लिखा होगा। सुरक्षा आपकी है।

फिर कह रहा हु दुकानदार को कारोबार करना है। उसकी गारंटी स्वच्छ और स्वादिस्ट ताज़ी मिठाई बेचने की है। आपकी नही है। आपकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी आपकी खुद की है। आप आकडे उठा कर देख ले, बनारस में मिले कुल संक्रमितो में कारोबारियों की संख्या अधिक है। ऐसे लोग ही कोरोना पॉजिटिव मिल रहे है जो पब्लिक डीलिंग का काम कर रहे है। अब उनको कौन कोरोना तोहफे में मुफ्त देकर चला जा रहा है ये उनको खुद नही पता होता है। इसीलिए सुरक्षित रहे, स्वस्थ रहे, काम न हो तो घर पर रहे, मिठाई सब कुछ ठीक होने के बाद भी खाया जा सकता है। या फिर जिस दिन भीड़ न हो उस दिन भी लिया जा सकता है। कोई ज़रूरी नही है कि बिना महँगी दुकान के मिठाई लिए पूजा नहीं हो सकती है।

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