तारिक आज़मी
आपने एक गान सुना होगा। शायद गायक सोनू निगम ने इस गाने को गया था। फिल्म का नाम तो मुझको याद नही आ रहा है। मगर इस गाने के बोल जावेद भाई सो रहले काफी अच्छा लगा था। मेरा गुज़र कानपुर के काफी चर्चित क्षेत्र रज़वी रोड के तरफ से हो गया। एक जगह और वहा के अवैध कामो को देख कर मेरे मन में ये गाना खुद ब खुद उछल कूद मचाने लगा मगर अपना रंग रूप बदल कर। जो मेरे मन में गाना चला वो इस तरह है कि “जावेद चचा जाग रहले, अवैध काम हो रहला, स्थानीय प्रशासन सो रहेला। जी हां, अगर हकीकत से आप भी रूबरू होंगे तो आपको भी ये पंक्ति सही लगेगी।
मोनू जेल में और रईस फरारी पर तो चचा का जलवा कायम था। इस दरमियान चचा ने अपना जलवा खूब बढाया और बची हुई पटरी पर ठेले गाड़ी भी लगवा कर उससे भी किराया लेना शुरू कर दिया। वही रईस के मारे जाने के बाद चचा ने खुद का अकेलापन दूर करने के लिए पुराना साथी पकड़ लिया। सूत्रों की माने तो चचा ने वापस मोनू पहाड़ी का दामन थाम लिया। अति गोपनीय सूत्र ने बताया कि पीछे से खाता बही दुरुस्त करते हुवे मोनू पहाड़ी की ज़मानत की तैयारी किया जा रहा था। इस दरमियान प्लान भी बड़ा परफेक्ट था। सूत्रों की माने तो मोनू की ज़मानत करवा कर उसको पार्षद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडवा कर जितवाने का पूरा प्लान तैयार था। सूत्रों का यहाँ तक कहना था कि मजबूत प्रत्याशी को खड़े होने से रोकने और डमी कैंडिडेट खड़ा करने का पूरा खाका तैयार था।
मगर हाय रे किस्मत, आपसी मतभेद और मारपीट में मोनू पहाड़ी जेल से ही सीधे कब्रिस्तान चला गया। चचा के अरमानो पर कुठाराघात हो गया होगा। मगर चचा भी दिमागदार है। सूत्रों की माने तो मोनू पहाड़ी के मारे जाने के तुरंत बाद ही चचा ने एक अन्य फरार चल रहे क्षेत्र के अपराधी से हाथ मिला लिया। वैसे तो वह फरारी काट रहा है मगर सूत्र बताते है कि स्थानीय एक बिल्डर से उसके मतभेद को दूर करवा कर सुलह चचा के इशारे पर ही हो गई। चचा का जलवा दुबारा कायम हो गया।
उधर पुलिस चचा पर कभी भारी नही हुई, इसकी ख़ास वजह भी निकल कर सामने आ रही है। स्थानीय चर्चाओं के अनुसार जावेद चचा सबका ख्याल रखते है। शायद इसी ख्याल के कारण ही तो घर के अन्दर नियमो को ताख पर रखकर जुगाड़ की बिजली से पानी का कारोबार कर डाला है। कारोबार खुल्लम खुल्ला नियमो को ताख पर रख कर हो रहा है। फोटो में आप घर के पहले तल्ले पर बनी पानी की टंकियो को देख सकते है। सड़क से ही टंकिया दिखाई दे रही है। मगर भला मजाल है कोई स्थानीय प्रशासन में नज़र तक चचा पर उठा के देख ले। सूत्रों की माने तो चचा बिजली विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन का बढ़िया ख़याल रखते है।
यही नहीं जावेद चचा के कारोबार में बराबर से हाथ बटाने वाले उनके असली पुत्र हस्सान का भी जलवा कायम होता जा रहा है। सूत्र बताते है कि जहा जावेद चचा प्रशासन से लेकर बाहुबल तक इकठ्ठा करते है और मैनेज करते है। वही उनका एकलौता बेटा मीडिया के एक दो जुगाड डॉट काम वालो को सटाये रखता है। खुद को पत्रकार का तमगा लगा कर दलाली की रोटी खाने वालो की वैसे भी कौन सी कमी है। अगर बात बाहुबल और प्रशासनिक जुगाड़ से नहीं बनती है तो फिर मीडिया के हस्सान के साथी उसका साथ देने खुद उतर आते है।
बहरहाल, जावेद चचा का अवैध काम जारी है तो हमारी तफ्तीश भी जारी है। जल्द ही इस सम्बन्ध में हम और भी बड़ा खुलासा करेगे। तब तक इंतज़ार करे और ख़ास तौर पर उनका तो इंतज़ार करे जिनके नाम नहीं बल्कि काम सामने आये है। यानी खुद को पत्रकार कहकर समाज में अपनी पत्रकारिता के नाम पर रोटी कमाने वालो के ज़रिये आने वाली प्रतिक्रियाओं का। काफी प्रतिक्रियाये तो सडको पर बैठ एक मसाला मुह में लेकर खुद को मसीहा साबित करते हुवे इस लेख की कमियों को गिनवा रहे होंगे। कुछ ऐसे भी सामने आ सकते है कि सोशल मीडिया पर उन ग्रुप को तलाश करेगे जहा उनको कोई भरपेट जवाब न दे सके और वहा वो इस खबर के उलट खुद की पोस्ट लिखेंगे कि गलत बात लिखा गया है। दोनों ही हालत में आपके रूबरू पत्रकारिता के घिनौना चेहरा सामने आएगा। आप देखे और पहचाने की किस हद तक खुद की रोटी सकने वाले जा सकते है। इंतज़ार करे जावेद चचा के जागते रहने का।
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