तारिक़ आज़मी
वाराणसी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की धरोहर उनका एक हुजरा था। ऐसा नही कि आल औलाद के लिए उस्ताद ने कुछ नही किया। उस्ताद ने अपने सभी आल औलाद के लिए रोज़ी रोटी का मुकम्मल इंतज़ाम किया। जब तक उस्ताद के हाथ पाँव काम किये उन्होंने अपनी मेहनत मशक्कत से खुद की ज़िन्दगी बसर किया। मगर उस्ताद की आँख बंद होने के बाद उस्ताद के पोते और पौत्र वधु ही उनकी उस धरोहर को नेस्तनाबूद करने को तुले हुवे है। बाहुबली बिल्डर के हाथो उस्ताद की धरोहर पर हथोड़े चलवा कर उसको नेस्तनाबूत कर खुद के लिए एक आलिशान कमर्शियल काम्प्लेक्स खड़ा करने की तमन्ना लिए उस्ताद के पौत्र सिप्पू मिया और उनकी पत्नी नजमी ने काफी प्रयास किया।
उनके प्रयासों की इन्तहा तो तब सामने आई जब उस्ताद की पौत्र वधु नजमी फिरोज़न ने मीडिया के सामने आकर अपना वो दर्द बयान किया जिसको जानकर आस पड़ोस और सिप्पू मिया के जानने पहचानने वाले भी अचम्भे में पड़ गए। हम खुद कन्फियुज़ हो गए कि आखिर हकीकत क्या है ? झूठ को सच का पैजामा पहनाने की कोशिश किया गया। नजमी बी ने खुद को बेइंतेहा गरीब साबित करने के लिए मीडिया को बयान दे डाला। कहा हम लोग भूखे मर रहे है। ये ईंट पत्थर क्या हमको खाने को देंगे। धरोहर क्या हमको खाने को देगी।
उनके इस बयान के बाद हम भी काफी परेशान हो गए। भाई इतनी गरीब महिला थी। मगर जब जानकारी निकल कर सामने आई तो हमको और भी ताज्जुब हुआ। करोडो की संपत्तियों की मालकिन को इतना गरीब पहली बार देखा था। या फिर कहा जा सकता है कि करोडपति गरीब पहली बार देख रहा था। जिसका मुम्बई के मीरा रोड पर दो फ़्लैट हो, लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के पास संपत्ति हो वो इतना गरीब। वाकई इसको क्या कहे हमें शब्द ही नहीं मिल रहे थे तभी जानकारी हासिल हुई कि तरना में भी सिप्पू मिया की चार बिस्वा से अधिक की एक संपत्ति है। तरना जैसी जगह पर एक करोड़ से ऊपर की संपत्ति की मिलकियत रखने वाले परिवार की गरीबी तो उस्ताद के धरोहर को तोड़ कर शापिंग मार्किट बनाने से ही दूर हो सकती है।
बुरे फंसे है बाहुबली बिल्डर साहब
हमको पता है कि ऐसे बयान को विशेष रूप से बिल्डर के द्वारा समझाया बुझाया गया है। उसी समझ के साथ सिप्पू मिया बयान दे रहे है और उनकी पत्नी भी उसी पर बयान दे रही है। इमोशनल गेम तो हमारे खुलासे के बाद ही फेल हो गया। अब जब सभी तरफ से रास्ता बंद दिखाई देने लगा तो बिल्डर साहब अपने जैसे बाहुबली बिल्डर्स के साथ बैठकों का दौर शुरू कर बैठे। खूब जमकर प्लानिंग के बावजूद भी कोई दाल बिल्डर साहब की नहीं गल सकी। सब कुछ हाथो से निकलता उनको दिखाई दे रहा है तो अब अफवाहों का सहारा उनके पास बचा है।
मगर उससे ज्यादा तो बुरे वो फंसे है जिन्होंने दूकान और बेसमेंट के लिए एडवांस दे रखा है। वो तो इस स्थिति में पहुच गए है कि न रोये न किसी से कहे। वो किससे अपना दुःख बयान करने जाए क्योकि जो रकम बतौर एडवांस दिली है उसकी लिखा पढ़ी सिर्फ एक स्टाम्प पेपर पर है। रकम भी नगद दिली है तो किससे शिकायत करे। किससे जाकर शिकवा करे। खुद ही जाँच के घेरे में आ जायेगे इसका भी खौफ सता रहा है।
सिप्पू पलटे बयान से
मामले में एक और रोचक मोड़ अब ये आया है कि सिप्पू मिया अब बयान से पलट गए है। उनका अब बयान सामने आ रहा है कि हम बिल्डर से नही बनवा रहे है केवल मकान की मरम्मत करवा कर संग्राहलय खोलेगे और बकिया बची जगह पर खुद के रहने के कमरे और दुकानों का निर्माण करेगे। सिप्पू मिया इस बयान में भी खुद की गरीबी दिखने से पीछे नही रहे है। मगर अब संग्राहलय खोलने की बात किया है। मगर नियत में पाकीज़गी तो दिखाई नही दे रही है। क्योकि सिप्पू मिया अभी भी पूरा सच मीडिया को नहीं बता रहे है कि आखिर मामले की हकीकत क्या है।
क्या है हकीकत
सिप्पू मिया कह रहे है कि उन्होंने किसी बिल्डर को कॉन्ट्रैक्ट नही दिया है बल्कि उससे मजदूर लेकर खुद बनवा रहे है। कमाल है सिप्पू मिया, आप एक तरफ कह रहे है कि भूखे मर रहे है साहब खाने को ठिकाना नहीं है। सरकार मदद नही कर रही है। वही दुसरे तरफ आप खुद से केवल मजदूर लेकर मकान की तामीर करवा रहे है। जिस अनदेखे नक़्शे पर मकान बनने की तमन्ना आपकी है उसके निर्माण में कम से कम 40 लाख का खर्च आयेगा। आखिर ऐसे कैसे भूखे है आप कि आपके पास चालीस लाख है मकान बनवाने का मगर कारोबार और खुद एक खाने के लिए आपको सरकारी मदद की उम्मीद है ? अमा कहा हम लोग युगांडा के जंगल से आये है कि आपकी इस बात को समझ नही सकते है ?
एक नहीं तीन तीन बिल्डर है शामिल
बहरहाल, सिप्पू साहब अभी भी अधुरा सच ही बोल रहे है। सूत्र बताते है कि सिप्पू मिया ने बिल्डर कॉन्ट्रैक्ट एक अपने बड़े पुराने दोस्त से बिल्डर बने सज्जन से किया है। इस नाम का खुलासा भी हम जल्द कर देंगे और उन बिल्डर साहब के बयान का इंतज़ार रहेगा। इस बार आप हसे अथवा न हँसे हमको हंसी आ गई है। खैर जिस बिल्डर से सिप्पू मिया का बिल्डर कांट्रेक्ट हुआ है उस बिल्डर ने इस भवन निर्माण का ठेका एक अन्य बाहुबली बिल्डर के हाथो 1500 स्क्वायर फिट के हिसाब से दे डाला।
बिल्डर कॉन्ट्रैक्ट लेने वाले बिल्डर साहब को जल्दी है अपने एक बड़े भाई जो बिल्डर है उनके जैसा बिल्डर बनने की। मगर सज्जन भूल गए है कि उनके बड़े भाई कभी किसी विवादित मामले में अपना हाथ नही डालते थे और न ही आज डालते है। बहरहाल, निर्माण की रूप रेखा तैयार करके विशेष रूप से ये मैटिरियल ठेका इस कारण से दिया गया क्योकि ठेका लेने वाले दुसरे बिल्डर साहब बड्डे वाले जुगाडी और बाहुबली है। वही इसमें दुकानों का और बेसमेंट का सौदा करवाने वाले एक सफेदपोश बिल्डर साहब तो एकदम साइलेंट मोड़ में बैठे है। सबसे बड़ा मार्किट में उनका रसूख ख़राब होने का डर उनको खामोश कर बैठा है क्योकि जिसने दूकान और बेसमेंट की बुकिंग किया है उनसे इनके ही सम्बन्ध है।
खैर ये तो बिल्डर्स के आपसी मामले है। वैसे भी इस इलाके के सभी बिल्डर एक जैसे नही है। सिर्फ उंगली पर गिने चुके बिल्डर ही विवादित है। बकिया सभी शांति से अपना काम मुहब्बत के साथ करते है। मगर ये चंद उंगली पर गिने चुने बिल्डर ही इस इलाके को ख़ासा सुर्खियों में रखने के लिए काफी है। वो एक शेर याद आ रहा है तो उसको रद्दो बदल के साथ कहता हु कि सिर्फ एक ही उल्लू काफी है बर्बाद-ए-गुलिस्तां करने को। अब ये शेर तब लिखा गया होगा जब उल्लुओ की ताय्दात कम रही होगी। अब जनसँख्या बढ़ोतरी के कारण एक शाख पर तीन चार भी बैठ जाते है।
क्या बनेगा संग्रहालय
अब सिप्पू उर्फ़ सिब्तैन के बयान पर आते है। साहब का अब बयान है कि सिर्फ मरम्मत करवायेगे और फिर उस्ताद का संग्रहालय बनवायेगे। सिप्पू मिया मेरे सूत्र आपके क्षेत्र में काफी मजबूत है। दाल में नमक सेंधा पड़ा है। इसकी जानकारी भी सूत्र उपलब्ध करवा सकते है मुझको। वैसे तो आपको मैंने पहले भी खुला चैलेन्ज किया था कि डिबेट एक मेरे साथ भी कर सकते है। मगर साहब आप एक ही सवाल का जवाब दे डाले मुझको।
आप संग्रहालय बनवाने की बात कर रहे है। उस्ताद के इन्तेकाल (मृत्यु) के बाद एक कमरे में संग्रहालय बना था। मैंने भी देखा था। उसमे उस्ताद की कुछ तस्वीरे और उनकी एक दो लकड़ी की शहनाई रखी गई थी। दोस्त उस संग्रहालय का नाम देकर लोगो के लिए कितने दिनों तक खोला गया था उसको। उसकी देख भाल करने वाले आपके वर्त्तमान कुनबे में सिर्फ नाजिम मिया था। कभी कभी ज़रीना बी भी आकर उसमे अपने वालिद की यादो से आँखे नम करके चली जाती थी। सिप्पू मिया आखिर उस संग्रहालय पर ताला कुछ ही महीनो के बाद किसने बंद कर दिया था ?
जब एक संग्रहालय जिसमे आपका योगदान शुन्य था पर ताला चढ़ गया और लोगो को उसका दीदार करने से रोक दिया गया, तो आज आपके इस आश्वासन पर कैसे यकीन कर डाले कि आप संग्राहलय बनवायेगे। कही ऐसा तो नही की बिल्डर्स साहब लोगो की घुंघरानी गली के एक भवन में हुई बैठक के अनुसार आप निर्माण पूरा अपना करवा लेंगे और फिर न चढूगा और न चढाऊगा के तर्ज पर उस्ताद की धरोहर का नामोनिशाँ मिटा देंगे ?
इंतज़ार करे अगले अंक का हम बतायेगे किस बिल्डर ने किया था बिल्डर ठेका, किसने लिया मैटिरियल कॉन्ट्रैक्ट और किसने लिया एडवांस बुकिंग। साथ ही कुछ और बड़े सवालो का जवाब तलाशने जल्द ही हाजिर होंगे। हम एक बार फिर बता देते है हमको न बिल्डर्स से व्यक्तिगत रंजिश है और न ही किसी से। हम वायद वफ़ा सिर्फ ये कर रहे है कि जब तक हमारी साँसे चलती रहेगी और हमारी कलम के अन्दर स्याही की अकहिर बूंद रहेगी। भारत रत्न, बनारस की आन बान शान, देश की धरोहर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब के धरोहर का मुद्दा ठंडा नही पड़ने देंगे। ये एक अलग सी बात है कि हमारी सांसे रुक जाए और बिल्डर कामयाब हो जाये। जुड़े रहे हमारे साथ। हम बताते है वो सच जो वक्त की रफ़्तार की धुंध में खो जाते है। खबर वही, जो हो सही। (सभी सूचनाये लेख में विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से है। सूत्रों के सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।)
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