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भारत रत्न उस्ताद की यादो पर लगा ग्रहण, नींद से जागा वीडीए, मौके पर पहुची टीम को चाय नाश्ता करवाता और डायरेक्शन देता दिखाई दिया दुर्दान्त आरोपी बिल्डर

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। सिर्फ बनारस नही भारत की आन बान शान स्वर्गवासी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने अपने जिस हुजरे में अपनी ताउम्र फज्र की नमाज़ के बाद रियाज़ किया। जिस हुजरे की खटिया के खातिर उस्ताद ने अमेरिकन राष्ट्रपति के अमेरिका में बसने का न्योता ये कह कर ठुकरा दिया था कि मेरे खटिया पर जो मीठी नींद आती है वो आपके महल में नहीं आयेगी। उस भारत की विरासत के चंद सिक्को की खातिर चांदी की लाठी चलाते हुवे एक दुर्दान्त और कुख्यात बिल्डर के द्वारा रातो रात तोड़ दिया गया।

मामला 12 अगस्त की रात का था। बिल्डर महोदय जिनका बड़ा ही घनिष्ठ सम्बन्ध बाहुबली मुख़्तार अंसारी और बिहार के बाहुबली शाहबुद्दीन के साथ है ने नियमो को ताख पर रखकर उस्ताद के हुजरे को तोडवा डाला था। मामले की जानकारी मीडिया को 13 अगस्त को चलने के बाद कई पत्रकारों ने अन्दर जाकर देखने की कोशिश किया था। मगर इस बाहुबली और दुर्दान्त बिल्डर के लग्गू बिज्झु ने किसी को अन्दर जाने नहीं दिया,

फिर आती है 17 अगस्त की रात। उस्ताद के अन्य परिजनों ने मामले में दखल दिया। बटवारे के बाद सप्पू के हिस्से में आयी उस सम्पत्ति के लिए उस्ताद का हुजरा तोडा जाना जानकार नाजिम मिया ने विरोध दर्ज करवाया। नाजिम मिया ने मौके पर मौजूद कई मीडिया कर्मियों को अपना बयान तक दिया। मामला तुल पकड़ता गया। मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन को हुई और मौके पर पुलिस टीम भी पहुची। 18 अगस्त के सूबह मौके पर पहुची पुलिस टीम के सामने जर्जर हो चुके मकान का हवाला देते हुवे दुर्दांत बिल्डर और सप्पू ने अपनी कहानी कही। टीम को विश्वास दिलाने के लिए जादू से लेकर मैजिक तक का सहारा लिया गया। बताया गया कि उस्ताद जिस कमरे में रियाज़ करते थे उसको नही बल्कि बैठक को तोडा गया है। अचानक माहोल बदल चूका था। मामले की लीपापोती करने के लिए इलाके के और भी बिल्डर खड़े हो गए। सौवा मौवा की जागीर कहे अथवा हमाम में सभी नंगे है की कहानी कहे। सभी बिल्डर एका दिखाने का प्रयास कर रहे थे।

क्या हुई सूरत-ए-हाल

सुबह जब मामले में पुलिस ने मौके का मुआयना करना शुरू किया तो सूत्र बताते है कि पुलिस को वो कमरा दिखाया गया जहा उस्ताद बैठक के तौर पर लोगो से मिलते थे और कहा गया कि उस्ताद इस कमरे में रियाज़ करते थे। जबकि हकीकत ये है कि सीढी चढ़ते ही ठीक सामने जो कमरा था उस्ताद रियाज़ उसमे करते थे और उसके बगल वाले में बैठक का काम लिया जाता था। किसी आने जाने वाले से उस्ताद बगल वाले कमरे में मिलते थे। उस्ताद ने एक बार एक बातचीत में कहा था कि उनका हुजरा उनकी इबादत की जगह है। जिसके लिए अपनी मुहब्बत नही छोड़ पाता हु। मगर उस्ताद को क्या पता था कि उनके वरसा उनकी आँखे बंद होने के बाद ही उस इबादत की जगह को नेस्तनाबुत कर डालेगे।

क्या बाहुबलियों ने दिया है मामले में दखल ?

दोपहर होने से पहले ही परिजनों के अन्य फोन नंबर उनके शिष्य उठाने लगे। परिजनों से बात होना मुश्किल होता जा रहा था। सूत्रों की माने तो बड़ा दबाव गाजीपुर से और सिवान से पड़ चूका था। शाम होने के पहले रांची के कुख्यात दो अपराधी भी दालमंडी में आ चुके थे। मामले ने तुल काफी पकड़ रखा था। वैसे भी जीना है तो मुख़्तार अंसारी तथा शहाबुद्दीन के अति निकट रहने वाले बिल्डर जो अपने साथ मुख़्तार अंसारी और उसके परिवार तथा शाहबुद्दीन के साथ फोटो दिखा कर लोगो को भयभीत करता है के इशारों पर नाचना ही पड़ेगा।

बंशीधर कटरे की गली में लगा अपराधियों का जमावड़ा, सोनू इमरोज़ गैंग का मुख्य साकिब गोलू भी देखा गया – सूत्र

मगर मीडिया है कि अपना काम करने से बाज़ नही आ रही थी। आज सुबह के रोजनामो में पूरी करतूत छप पड़ी। कल दिन भर बहस का माहोल बना हुआ था। बंशीधर कटरे की गली में अज्ञात अपराधियों का जमावड़ा था। सूत्रों की माने तो रांची के कुख्यात सोनू इमरोज़ गैंग का लीडर गोलू उर्फ़ सकीब और एक अन्य बड़ा अपराधी उस गली में कल दोपहर से लेकर शाम तक कई बार देखा गया। यही नहीं, एक सूत्र ने तो यहाँ तक बताया कि बनारस का कुख्यात अपराधी और रईस बनारसी का दाहिना हाथ एक लाख का इनामिया अपराधी दीपक वर्मा भी कल शाम को दालमंडी की इसी गली में दुर्दान्त बिल्डर के साथ खड़ा दिखाई दे रहा था।

बहरहाल, दालमंडी के कारोबार करने वाले सीधे साधे कारोबारियों को डराने के लिए अपराधियों का जमावड़ा तो अक्सर ही क्षेत्र में हुआ करता है। भले ये बात सही है कि सौरभ पाण्डेय, स्वतंत्र सिंह के साथ कांस्टेबल अतहर अली ने अपराधियों पर जमकर नकेल कसा है और कोई बड़ा कांड नही हुआ। मगर हकीकत तो ये भी है कि अपराधियों को संरक्षण क्षेत्र के दो बिल्डर ही देते है। दुर्दान्त अपराधी जो गुमनामी की मौत मारा गया रईस बनारसी तक का इलाके में दबदबा इन्ही दो बिल्डर ने बनवाया था। मस्जिदों तक के ज़मीन पर टेढ़ी नज़र कर बेच डालने वाले बिल्डर कोई दूध के धुले नहीं है। इस मस्जिद की ज़मीन को बेचने वाले खुद को पक्का और सच्चा मुस्लमान बताते हुवे बाहुबली मुख़्तार अंसारी का नाम भुनाते हुवे खुद का परचम बुलंद करते है।

वीडीए की कार्यवाही आई सवालों के घेरे में

आज सुबह सुबह वीडीए की टीम मौके पर पहुची। वाकई कहते है पैसे की माई पहाड़ चढ़ती है। तो आज दिखाई भी दिया। मौके पर मौजूद हमारे सूत्र बताते है कि जिस दुर्दान्त बिल्डर ने उस्ताद का हुजरा तोड़ डाला वही बिल्डर पहले टीम को अपने आफिस में बैठा कर जमकर चाय नाश्ता करवाता है उसके बाद खुद आगे आगे टीम को लीड करते हुवे मौके पर जाकर मुआयना करवाता है। आगे आगे बाहुबली दुर्दान्त बिल्डर और पीछे पीछे वीडीए की टीम क्या नज़ारा रहा होगा आप खुद समझ सकते है और इस बात पर तीन बार जोर जोर से हंस भी सकते है। कातिल की ये दलील मुंसफ ने मान ली, कि मख्तुल खुद गिरा था खंजर के नोक पर। इसी तर्ज पर वीडीए ने मामले को रफा दफा करने का आश्वासन बिल्डर साहब को दे डाला। भाई अब पैकेट में हरे लाल कागजों का वज़न होगा तो कौन भला भी उसके वज़न से बच सकता है। मैं मानता हु कि वीडीए की टीम पर एक बड़ा आरोप बेबुनियाद लगा रहा हु। मगर साहब खुद बताये, जिस बिल्डर के ऊपर ही आरोप है आप उसके साथ टहल रहे है। साहब कुछ तो मर्यादा रख लेते।

मामले का संज्ञान नही है – संयुक्त सचिव परमानन्द

इस मामले में जब हमने वीडीए के संयुक्त सचिव परमानन्द से फोन पर वार्ता किया तो उन्होंने इस प्रकार के मामले की जानकारी होने से इनकार करते हुवे कहा कि मैं तत्काल टीम से संपर्क करता हु। अगर ऐसा हुआ है तो पूरी तरह से गलत है और नियमो के विरोध है। कार्यवाही होगी।

परिजनों ने आखिर किस दबाव में कहा “अफवाह है”

मिया राहत इन्दौरी साहब के शेर है कि कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया। इस पार के थपेड़ो ने उस पार कर दिया। अफवाह थी कि मेरी तबियत ख़राब है। लोगो ने पूछ पूछ कर बीमार कर दिया। अति विश्वसनीय सूत्रों की माने तो बिल्डर साहब ने परिजनों पर अच्छा खासा जुगाड़ बैठा दिया है। मामले में काशीपुर के धनबली सपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता का साथ लेकर परिजनों को समझा दिया गया है। मामले में अब परिजनों के तरफ से उस्ताद के एक पोती ने सामने आकर बयान दिया है कि ऐसी कोई घटना नही हुई है बल्कि अफवाह उड़ाई गई है। वही हमने उस्ताद के साहबजादे नाजिम मिया से संपर्क करने की कोशिश किया तो उनके एक शिष्य ने उनकी तबियत ख़राब होने का हवाला दिया और कहा कि अभी एक दो घंटे बात नही हो पायेगी।

आखिर कहा गया ह्रदय योजना के तहत आया पैसा ?

बताते चले कि उस्ताद की इस विरासत को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ह्रदय योजना के तहत एक बड़ा फंड अलोट किया था। सूत्रों की माने तो इस फंड से उस्ताद की वरासत को संभाल कर रखने की योजना बनाया गया था। मगर इस फंड का उपयोग कहा हुआ है इसका जवाब देने के लिए किसी के पास शब्द नही है। मामले ने तुल पकड लिया है तो बिल्डर एक होने के राह पर चल पड़े है और पत्रकारों को अपना दुश्मन समझ रहे है। हालात कमोबेश वैसे ही करने की कोशिश हो रही है जैसी हालात बंशीधर कटरे पर हुई कार्यवाही के समय हुई थी। कई पत्रकारों को गालियों से नवाज़ा गया था तो कुछ बिल्डर पत्रकारों को सलट लेने की राह पर भी थे। मगर कलम पत्रकारों की तब भी नही डरी थी और आज भी नही डरती है।

पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त

मामले में अभी पूरी अनकही कहानी बची हुई है। हम आपको बतायेगे कि आखिर किस तरह से उस्ताद के आशियाने पर तोड़ फोड़ अभी शुरू हुई है कि एक करोड़ में बेसमेंट बिक भी चूका है। जुड़े रहे हमारे साथ। हमारा वायदा है हम अपनी कलम से अपने जीते जी उस्ताद के आशियाने और हुजरे को बर्बाद नही होने देंगे। भले ये एक अलग सी बात है कि दुर्दान्त बिल्डर अपने राची से बुलाये गए अपराधियों के हाथो हमारी हत्या करवा दे। हम इसकी शिकायत भी करने नहीं जायेगे कि हमारी जान को खतरा है। हम तो बस कलम चलायेगे और तब तक चलाते रहेगे जब तक हमारी सांसे है और उस्ताद का आशियाना महफूज़ नही हो जाता है।

 

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