तारिक़ आज़मी
वाराणसी में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की वरासत उनका वो कमरा जिसके लिए 1968 में अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट ने उस्ताद को अमेरिकन ग्रीन कार्ड के साथ वही बस जाने का प्रस्ताव दिया था को उस्ताद ने ये कहकर ठुकरा दिया था कि मेरे हुजरे में मौजूद मेरी खटिया मेरे मुल्क की सरज़मीन पर जो मीठी नींद आती है वो आपके महल में नहीं आएगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान अपनी हुनर के माहिर थे। संगीत को साधना के तौर पर देखते थे। इसी हुजरे में सुबह फज्र की नमाज़ पढने के बाद उस्ताद 24 रकात नफ्ल नमाज़ अदा करते थे। उसके बाद उस्ताद शहनाई के साथ अपना रियाज़ करते थे। रियाज़ भी ऐसा कि सुबह सादिक से लेकर 11 बजे दोपहर तक रियाज़ करते थे। इस हुजरे से उस्ताद की मुहब्बत कुछ इस तरीके से थी कि मरहूम राहत इन्दौरी के शेर “मेरे हुजरे में नहीं और कही पर रख दो, आसमा लाये हो ले आओ ज़मी पर रख दो। वो जिस ताख पर कुछ टूटे दीये रखे है, ले जाओ चाँद सितारों को भी वही पर रख दो।” लगता है उनके लिए ही बना हो।
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बहरहाल, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब के हुजरे पर बिल्डर की काली नज़र पड़ी हुई है। रोज़ ब रोज़ कोई न कोई बड़ा खेल बिल्डर महोदय खेला करते है। कभी वीडीए के कर्मचारियों को फुसलाने की कोशिश तो कभी अपराधियों के साथ क्षेत्र में और अपने कार्यालय में जमावड़ा लगाना तो कभी इलाके के अन्य बिल्डर को बुला कर गोपनीय मीटिंग करना। इन सब वजह से भी कामयाबी जब बिल्डर को नही मिल सकी तो उसने एक मास्टर स्टोक गेम खेल डाला। वो था इमोशनल अत्याचार का गेम। पुरे इमोशनल ड्रामे का सीन तैयार हुआ। उस्ताद के पोते सप्पू मिया की पत्नी अचानक मीडिया के सामने आती है।
जाने क्या कहा था बेहद गरीब नजमी फिरोज़न
अचानक सिबतैन उर्फ़ सप्पू की पत्नी मीडिया के सामने आती है। इसके लिए बिल्डर साहब ने बड़ा खेल खेलते हुवे पहले अपने परिचित मीडिया कर्मियों को बुलवा कर सप्पू की पत्नी नजमी फिरोज़न का बयान वायरल करवाया। एक बड़ा खुलासा जानकार सभी मीडिया कर्मी सप्पू मिया के हुजुर में तशरीफ़ लेते गए। बड़े बड़े आंसुओ के साथ उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के बड़े बेटे महताब हुसैन के पुत्र सिबतैन हुसैन की पत्नी है नजमी फिरोज़ंन। यानी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब के पोते की पत्नी।
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उन्होंने कहा कि “हम और हमारे बच्चे भूखे है। ईंट-पत्थर हमें खाने को नहीं देंगे, क्या खां साहब की धरोहर खाने को देगी हमें। मेरे बच्चे भूखे मर रहे हैं कहाँ से हम लाएंगे खाने के लिए, किससे भीख मांगे। हम अब अपने हिसाब से जियेंगे, कोई हमें डिस्टर्ब न करे।’ यही नहीं उन्होंने उस्ताद की दत्तक पुत्री, अपने चचिया ससुर, अपनी फुफिया सास से लेकर जिला प्रशासन तक पर बड़े आरोप लगा डाले। कहा कि गैस एजेंसी देने का वायदा हुआ था मगर नही मिली। फुफिया सास यानी उस्ताद की साहबजादी ज़रीना बी पर आरोप लगाते हुवे कहा कि उनका बड़ा सा मकान बनकर तैयार हो गया किसी ने आपत्ति नही किया। वही उस्ताद की दत्तक पुत्री पर भी आरोप गढ़ डाले कि इतनी बड़ी गायिका है मगर उन्होंने पता नही किया कि उनके भाई भतीजे किस हाल में है।
क्या है उनके गरीबी की हकीकत
मैडम ने बड़े बड़े दावे किये और खुद को बेइंतेहा गरीब बताया। इतना गरीब की लॉक डाउन में उनके पास खाने को नहीं था। मदद भी किसी ने नहीं किया। वैसे तो मैडम ने हमको बयान दिया नही, मैंने भी दुसरे मीडिया कर्मियों को दिए उनके बयान को पढ़ा भी और सुना भी। सभी यकीन करने के कगार पर थे। मगर क्या करे इस तारिक़ आज़मी का उसने कई दहकते हुवे सवालों के साथ अपनी फिर पोस्ट लिख डाली। कमबख्त ने पूरा खेल ही बिगाड़ डाला और तो और नेशनल चैनल वालो ने उस खबर को चलाना शुरू कर दिया।
बिल्डर का तो अभी बस नही चल रहा है कि तारिक आज़मी को कच्चा चबा जाए। बहरहाल, हमने अपनी तफ्तीश जारी रखा और मैडम के बारे में थोडा जानकारी इकठ्ठा किया। सूत्रों ने जो हमको जानकारी प्रदान किया तो उसको जानकर हम भी अचंभित हो गए कि उफ़ इतनी गरीब है नजमी मैडम। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नजमी मैडम इतनी गरीब है कि उनके पास सिर्फ दो फ़्लैट मुम्बई के मीरा रोड इलाके में है। साथ साथ इतनी गरीब है मैडम कि उनके पास बड़े इमामबाड़े लखनऊ के निकट सिर्फ एक किता मकान है। एक पारिवारिक सूत्र ने तो यहाँ तक दावा किया कि अभी लॉक डाउन के पहले नजमी जी ने दो महीने तक लखनऊ में अपना वो मकान बनवाया है। इन सबको जानकर हम भी अचंभित है कि उफ़ हमसे ये क्या खता हो गई कि इतने गरीब परिवार के गरीबी दूर करने के साधन में रोड़ा अटका दिया है जिसके पास महज़ चंद करोडो की संपत्ति है।
यही नही परिवातिक सूत्र ने ये भी बताया कि मैडम के एक जेठ अमेरिका में सेटेल है और अपने भाई का पूरा ख्याल रखते है। वो इस परिवार को अमेरिकन डोलर में अक्सर आर्थिक मदद भी करते है। यही नही उस्ताद ने और सप्पू मिया के एनआरआई भाई ने आर्थिक मदद करके इलाके की एक प्रसिद्ध घडी के दूकान में पार्टनरशिप भी करवाई। मगर ये पार्टनरशिप बाद में टूट गई। बहरहाल, इससे हमारा कोई ख़ास मतलब नही है। मगर नजमी जी के गरीबी के दावे पर इस खुलासे के बाद तो हम अल्लाह, इश्वर, गॉड और वाहेगुरु जो सब एक है से दुआ करते है कि हर एक गरीब को अल्लाह ऐसी ही गरीबी दे। कम से कम उनको तो दे ही दे जो अभी भी किराए के मकानों में जीवन यापन करते है।
पिक्चर अभी बाकी है
उस्ताद के हुजरे से लेकर उस्ताद के आशियाने पर मुनाफे की तलब लिए बिल्डर और बिना नक़्शे तथा बिना अनुमति के सिर्फ जबानी पार पर बेसमेंट तक एक करोड़ का बुक करने की कहानी अभी बाकी है। जुड़े रहे हमारे साथ। बिल्डर साहब के बाहुबली से लेकर उनके अपराधी मित्र तक ये जान ले कि जब तक हमारी साँस और कलम में स्याही है तब तक अपनी आखिरी सांस तक उस्ताद की निशानी को मिटने से बचाता रहूगा।
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