तारिक़ आज़मी
देश की शान भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के हुजरे को तोड़ कर कमर्शियल बिल्डिंग बनाने का सपना देखने वाले उनके पोते और पौत्र वधु नजमी फिरोज़न खुद को बेहद गरीब साबित करने पर लगी हुई है। उनका कहना है कि अगर वो दुकाने निकलवा कर बेचेंगे नहीं तो खायेगे कहा से। खुद को इतना गरीब साबित कर रहे है कि मोटे मोटे आंसुओ से दर्द छलका कर प्रशासन द्वारा मदद नही करने पर प्रशासन को भी दोषी करार दे रहे है। सिप्पू ने कल एक नेशनल चैनल को इंटरव्यूव में कहा कि अगर दुकाने बनवायेगे नहीं तो खायेगे कहा से। बच्चे हमारे भूखे मर रहे है। वही नजमी फिरोज़न ने तो अपने इंटरव्यूव में कहा था कि लॉक डाउन में उन्होंने डीएम को फोन करके मदद मांगी थी। हम सब बहुत गरीब है। खाने के लाले पड़े हुए है। वगैरह…. वगैरह…।
वैसे सिप्पू मिया ने अपने बयान में अपनी जिस गरीबी को बयान करने का प्रयास किया उसको देख कर अच्छे से अच्छा अदाकार भी उनसे अदाकारी सीखने को आ जायेगा। भाई साहब बढ़िया अदाकार दिखाई दिये जो झूठ को भी कैमरे पर इस अंदाज़ में बयान कर गए कि लगे यही असली सच है। क्योकि हकीकत की ज़मीन पर जब हमने तफ्तीश किया तो उनके पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें किसी चीज़ की कमी नही है। कहा जा सकता है कि ये दंपत्ति इतनी ही गरीब है कि इनके पास मुम्बई के मीरा रोड पर करोडो की कीमत का सिर्फ दो फ़्लैट है। कसम से तीसरा कोई नहीं है मुम्बई में। हाँ लखनऊ में बड़े इमामबाड़े के पास का भवन है फ़्लैट नही है। उसकी भी कीमत ज्यादा नही बस सत्तर अस्सी लाख सिर्फ होगी। सब मिला कर सिर्फ और सिर्फ डेढ़ पौने दो करोडो की संपत्ति उनके पास है बेहद गरीब है। खाने का ठिकाना नही है उनके पास। अगर उस्ताद की वरासत को तोड़ कर दूकान नही बनवायेगे तो फिर कहा से बेचारे के बच्चे खायेगे। आप हमारी बात पर तीन बार जोर जोर से हंस सकते है।
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इतनी जानकारी मिलने के बाद तो कल रात भर हमने अल्लाह से दुआ किया कि अगर गरीबी इसको कहते है तो या अल्लाह हर गरीब को ऐसी ही गरीबी दे दे। राहत इन्दौरी साहब का एक शेर याद आ गया कि “झूठो ने कहा झूठो से सच बोलो, सरकारी एलान हुआ है सच बोलो। घर के अन्दर झूठो की एक मंडी है, दरवाज़े पर लिखा है सच बोलो।” वैसे हमारी तफ्तीश यही नही रुकी। हम इसके आगे भी ताफ्तीश जारी रखे हुवे है। क्योकि हमने भी जिद्द ठानी है कि उस्ताद की निशानियो को बचा कर मानेगे। भले उसके एवज में नाराज़ होकर बिल्डर हमारी जान का दुश्मन ही क्यों न बन जाए। वो राहत इन्दौरी साहब का फिर एक शेर बीच में आ जाता है कि “गर खिलाफ है तो होने दो, जान थोड़ी है। ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है।” तो बिल्डर साहब के बाहुबली और अपराधी साथी भी हमारे जज्बे को तोड़ नही सकते है।और न ही हम टूटने वाले है।
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बहरहाल, बिल्डर साहब तो अभी बड़े बड़े बिल्डर और कथित रूप से बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी लोगो से मीटिंग में व्यस्त है। वही नजमी मैडम को उन्होंने बिग बॉस बनकर एक टास्क दे रखा है कि सबसे खुद को बहुत गरीब साबित करना। क्योकि इमोशनल ड्रामा तो करना ही पड़ेगा। मगर बिल्डर को भरोसा था कि कोई मुम्बई से लेकर लखनऊ तक की संपत्ति को मालूम नही कर पायेगा। तो फिर खेल खत्म और मामला ठन्डे बस्ते में चला जायेगा। जिसके बाद ताव से बिल्डर साहब भवन बनवायेगा और एक दुकान को चार चार लोगो को बेच डालेगे। वैसे भी उनका ये कोई नया कारनामा तो होगा नही। किसी ने आपत्ति किया तो सीधे मुख्तारनामा बना दिया जायेगा। क्योकि बिल्डर साहब के पास अपराधियों की भी पूरी टीम है।
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सूत्रों के अनुसार इधर लम्बी रकम लेकर बेसमेंट का सौदा एक सपा के नेता और धनबली को एक करोड़ एडवांस के साथ कर भी डाला है। तीन करोड़ के बेसमेंट का सौदा भी क्षेत्र के एक सफेदपोश ने अपने आफिस में बैठ कर करवाया है। बहरहाल उनका खेल बाद में खोला जायेगा। मगर अभी तो भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब के पौत्र सिप्पू उर्फ़ सिबतैन और उनकी पत्नी नजमी फिरोज़न की गरीबी पर हमको अफ़सोस आ रहा है। बेचारी इतनी गरीब है कि मुम्बई में दो फ़्लैट है सिर्फ और लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के पास एक मकान है। ये वही मकान है जहा अभी लॉकडाउन के पहले तीन महीने जाकर मैडम रही थी। उस तीन महीने के दरमियान के कामो पर भी बाद में तवज्जो दिया जायेगा।
इस दरमियान हमारी तफ्तीश चल रही थी कि एक और भी बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई। सिप्पू और बिल्डर साहब के बहुत करीबी सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी के शिवपुर तरना स्थित पानी टंकी के पास सिप्पु मिया की एक दो नही बल्कि चार बिस्वा ज़मीन है। सिप्पु मिया के करीबी सूत्रों ने तो यहाँ तक बताया कि लगभग दो वर्ष पहले इस संपत्ति का दाम एक करोड़ लग चुका था। मगर सिप्पु मिया और उनकी पत्नी नजमी फिरोज़न ने इसकी कीमत डेढ़ करोड़ रखी हुई थी। वही बिल्डर के करीबी एक सूत्र ने यहाँ तक दावा किया कि ये संपत्ति खरीदने के लिए खुद भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब और सिप्पु के बड़े भाई जो अमेरिका में सेटल है ने पैसे दिये थे जिसको सिप्पु ने अपने नाम लिखवाया था।
सिप्पु मिया आप ये कर सकते है
एक नेशनल चैनल को दिए इंटरव्यूव में सिप्पु उर्फ़ सिबतैन और एक स्थानीय मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यूव में सिप्पु मिया की शरीक-ए-हयात नजमी फिरोज़न ने दावा किया था कि उनके पास खाने को नहीं है। बहुत गरीब है। इतनी गरीब है कि लॉक डाउन में भूख से बिलबिला रही थी मगर खाने को नहीं था। भाई पहली बार मैंने करोडपति गरीब देखा है। बहरहाल, सिप्पु मिया एक सलाह है। आप कह रहे है कि आपके पास खाने को नहीं है, कारोबार नही है। तो एक काम करे न साहब, लखनऊ वाला मकान बेच कर अपने इलाके में चार दुकाने खरीद ले। उन दुकानों को फिर किराय पर दे दे। आप दूकान तो करेगे नहीं क्योकि मेहनत तो आपके बस की है नही। तो दुकाने किराए पर देकर पचास साठ हज़ार कमा लेंगे। रही उस्ताद के हुजरे की बात तो उसको संग्राहलय बना दे। आपका खुद का रोज़गार भी चल जायेगा और उस्ताद की यादे भी सलामत रहेगी।
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बहरहाल, इसमें सिर्फ एक का नुकसान होगा वो है बिल्डर। वैसे बिल्डर साहब बहुत बड़े जुगाड डॉट काम के मालिक है। उनका दूसरा जुगाड़ लग जायेगा। वैसे भी वो हमारी जान के दुश्मन तो बने ही है और रोज़ ही करीब बड़े बड़े अपराधियों से लेकर दुर्दान्त रूपी बिल्डरो के साथ बैठक करके रोज़ विचार विमर्श कर रहे है कि आखिर इस तारिक़ आज़मी को निपटाया कैसे जाए। बोरा में कसा जाए या फिर बीच चौराहे पर। मगर बिल्डर साहब आपको भी बता दू, आप जितनी धमकी दिलवाते रहे, हम वो कलमकार है जो डरते नहीं है। हमको सच दिखाने में डर नही लगती है। आप खौफ पैदा करके खुद के अवैध कामो को जारी रख सकते है, मगर हमारी कलम को नहीं रोक सकते है। तफ्तीश जारी है हुजुर, अगले कड़ी में मंदिर की संपत्ति पर आपकी टेढ़ी नज़र से लेकर दर्जनों जानो को खतरे में डालने वाले आपके कृत्य भी है। वैसे अगले अंक में हम बतायेगे कि उस्ताद के संग्रहालय पर ताला किसने लगाया। जुड़े रहे हमारे साथ।
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