आफताब फारुकी
नई दिल्ली। संसदीय समिति के सामने कटघरे में खड़ी हुई फेसबुक को संसदीय समिति के सदस्यों के तीखे सवालों को झेलना पड़ा। वही इस दरमियान जमकर फटकार भी सहनी पड़ी है। संसदीय समिति ने इस सवाल जवाब के बाद फेस बुक प्रकरण में आगे की कार्यवाही और जाँच जारी रखने को कहा है। साथ ही कहा है कि वह फेस बुक को दुबारा समन कर सकते है।
बुधवार को आईटी मामलों की संसदीय समिति के सामने पेश हुए फेसबुक के अधिकारियों को कई तीखे सवाल और आरोप झेलने पड़े। विपक्ष से जुड़े सांसदों ने फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास के बीजेपी के साथ रिश्तों का सवाल उठाया। ये आरोप भी लगाया कि आंखी दास के कुछ महकमों और मंत्रालयों से कारोबारी रिश्ते हैं। जबकि बीजेपी के एक सांसद ने फेसबुक के एमडी अजित मोहन पर कांग्रेस के साथ रिश्तों का आरोप लगा दिया।
इस आरोप के बाद फेसबुक इंडिया के एमडी अजित मोहन ने सफाई दिया कि उन्होंने बस केरल की एक कंपनी को सलाह दी थी जो उस वक्त कांग्रेस सरकार को कंसल्टेंसी दे रही थी। इस दरमियान एक विपक्षी सांसद ने उना में दलितों पर हमले के वक्त फेसबुक की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि तब भड़काने वाली सामग्री को फेसबुक ने नहीं हटाया।
संसदीय समिति के सामने अपनी सफाई में फेसबुक ने कहा कि फेसबुक ने सामग्री साझा करने के लिए एक तटस्थ नीति बना रखी है। फेसबुक के पास तथ्यों की जांच का पूरा सिस्टम है। लेकिन फेसबुक के सामुदायिक पैमानों और भारत के आईटी कानूनों में अंतर्विरोध है। संसदीय समिति ने तय किया है कि अभी इस मामले की समीक्षा जरूरी है और फेसबुक को फिर समन किया जाएगा।
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