आदिल अहमद
नई दिल्ली : केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है। यह बिल गुरुवार को लोकसभा में पास पारित हो गया। हालांकि इस बिल के पारित होने के बाद विपक्षी पार्टियों ने संसद के निचले सदन से वॉकआउट कर लिया।
देश में कृषि सुधार के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक – कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 – लोक सभा से पारित हुआ। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ”अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी, एमएसपी जारी रहेगी। टैक्स न लगने से किसान को ज्यादा दाम और लोगों को भी कम कीमत पर वस्तुएं मिलेगी। निजी निवेश से कृषि का तेज विकास होगा, रोजगार बढ़ेंगे, अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।”
इस बिल के पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ”लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे। इस कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नए-नए अवसर मिलेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। इससे हमारे कृषि क्षेत्र को जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, वहीं अन्नदाता सशक्त होंगे।”
COVID-19 की परिस्थितियों के कारण, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में गत 5 जून को तत्संबंधी अध्यादेश स्वीकृत किए थे। इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में लोक सभा में प्रतिस्थापित करने के लिए केंद्रीय मंत्री तोमर ने प्रस्ताव रखे थे, जिन पर चर्चा के बाद लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इन्हें पारित घोषित किया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘परिवर्तनकारी’ बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तंत्र जारी रहेगा और इन विधेयकों के कारण तंत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
तोमर ने कहा कि यह किसानों को बांधने वाला विधेयक नहीं बल्कि किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी। तोमर ने लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘कोई भी व्यापारी अमानत में खयानत नहीं कर पायेगा। इसमें किसानों को तीन दिन में भुगतान की गारंटी देने की बात है। इन प्रस्तावित कानूनों में सभी तरह की सुरक्षा का प्रावधन किया गया है।”
उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, ‘‘ इन विधेयकों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखें और गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद इनका समर्थन करें।” उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीति का चश्मा उतारकर किसान का चश्मा लगा लें, तब इसमें किसान का हित दिखेगा।” कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल विधेयक का विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक शिरोमणि अकाली दल ने भी इन विधेयकों का पुरजोर विरोध किया। अकाली दल के नेता सुखवीर बादल ने लोकसभा में घोषणा की कि उनकी पार्टी की मंत्री हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी। इसके बाद हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है।
इन विधेयकों पर कई विपक्षी दलों का तर्क है कि यह एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा। मंत्री के जवाब के बाद असंतोष जताते हुए कांग्रेस, द्रमुक और आरएसपी समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। कृषि मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले, तोमर ने कहा, ‘‘ ये विधेयक आने वाले समय में किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने वाले हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में कई योजनाओं का सृजन हुआ है। उनका लाभ भी कृषि क्षेत्र को मिल रहा है।”
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