आफताब फारुकी
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के मुकाबले के लिए मार्च में देश में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन ‘फर्जी खबरें’ प्रसारित किए जाने के कारण हुआ। केंद्र सरकार ने यह बात मंगलवार को संसद में कही। कोरोनावायरस के बीच हो रहे पहले संसदीय सत्र में मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई थई और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? साथ ही सवाल यह भी था कि क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है?
गृह मंत्रालय ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला राय के लिखित प्रश्न के जवाब में यह बात कही। उन्होंने पूछा था कि 25 मार्च को लॉकडाउन लागू करने के पहले प्रवासी मजदूरों की ‘सुरक्षा’ के लिए क्या कदम उठाए गए थे। इस कारण हजारों की संख्या में मजदूर पैदल ही अपने घर लौटने के लिए मजबूर हुए और कई को अपनी इस यात्रा के दौरान ही जान गंवानी पड़ी।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने अपने जवाब में कहा, ‘बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों और लोगों का पलायन, लॉकडाउन की अवधि को लेकर गढ़ी गई खबरों के कारण हुआ। प्रवासी मजदूरों की बात करें तो वे भोजन, पीने के पानी, स्वास्थ्य सेवाओं और आश्रय जैसी आम जरूरत की चीजों की निर्वाध आपूर्ति को लेकर चिंतित थे।’ लोकसभा में जवाब देते हुए राय ने कहा, ‘हालांकि केंद्र सरकार इसे लेकर पूरी तरह सचेत थी और यह सुनिश्चित करने के पूरे प्रयास किए कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी नागरिक भोजन, पीने के पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे आधारभूत जरूरतों से वंचित नहीं रहे। ‘
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के इस जवाब से पहले केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में जानकारी दी थी कि प्रवासी मजदूरों की मौत पर सरकार के पास आंकड़ा नहीं है, ऐसे में मुआवजा देने का ‘सवाल नहीं उठता है’। दरअसल, सरकार से पूछा गया था कि कोरोना वायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? सरकार के इस जवाब पर विपक्ष की ओर से खूब आलोचना और हंगामा हुआ। श्रम मंत्रालय ने माना है कि लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं।
शाहीन अंसारी वाराणसी: विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा…
माही अंसारी डेस्क: कर्नाटक भोवी विकास निगम घोटाले की आरोपियों में से एक आरोपी एस…
ए0 जावेद वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षाशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी…
ईदुल अमीन डेस्क: सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने संविधान की प्रस्तावना में…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…