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गाज़ियाबाद – महामेघा कोआपरेटिव बैंक में 100 करोड़ का घोटाला, दो दर्जन लोगो पर हुआ मुकदमा दर्ज

सरताज खान

गाजियाबाद. गाज़ियाबाद के नई बस्ती स्थित महामेघा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में 100 करोड़ रुपये के घोटाला मामले में शुक्रवार रात 24 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। अनियमितताएं मिलने पर 2017 में ही आरबीआई ने इस बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया था और ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद 2019 में गबन के दोषियों पर एफआईआर व धनराशि वसूली के निर्देश दिए गए थे। बैंक से जुड़े अधिकारियों पर गबन, घोटाला, धोखाधड़ी, फर्जी लोन, फर्जी वाउचर, सदस्यों की सहमति के बिना उनकी एफडी तोड़कर रकम कब्जाने का आरोप है। बैंक के एक लाख रुपये तक के खाताधारकों का पैसा भी लौटाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक देंवेंद्र सिंह के मुताबिक, महामेधा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड को आरबीआई द्वारा 27 फरवरी 2001 को बैंकिंग कारोबार की अनुमति मिली थी। बैंक का मुख्यालय नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित नई बस्ती गाजियाबाद में है।  बैंक द्वारा गबन, धन अपहरण व वित्तीय अनियमितताओं के चलते आरबीआई ने 11 अगस्त 2017 को बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। साथ ही शासन द्वारा वित्तीय अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे। इसके तहत 27 जून 2018 को विशेष ऑडिट कराने की अनुमति प्रदान की गई। 2019 में एफआईआर व गबन की धनराशि वसूलने के निर्देश दिए गए थे।

एफआईआर के मुताबिक, मैसर्स एमआरएस एंड कंपनी द्वारा बैंक का ऑडिट कराया गया, जिसमें बैंक की प्रबंध समिति के पूर्व पदाधिकारियों व बैंक अधिकारियों पर गंभीर आरोप साबित हुए। तृतीय पक्षों के ऋणों का समायोजन एवं फर्जी बिल वाउचर के जरिये जमाकर्ताओं के 99,85,12,347 रुपये का गबन किया गया। आरोपियों में पदाधिकारियों व अधिकारियों के अलावा विभिन्न फर्म, समिति सदस्य व कंपनियां भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रबंध समिति के पूर्व सभापति पप्पू भाटी की सितंबर 2009 में मृत्यु हो चुकी है। साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विवेचना के दौरान गबन की धनराशि और गबन के आरोपियों की संख्या घट-बढ़ सकती है। पुलिस का कहना है कि जांच में जिन आरोपियों के नाम सामने आएंगे उन्हें भी मुकदमे में शामिल किया जाएगा। आरबीआई ने महामेधा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक को गाजियाबाद, हापुड़ और गौतमबुद्धनगर में बैंकिंग की सशर्त मंजूरी दी थी। शुरूआती दौर में ही बैंक अनियमितताओं को लेकर चर्चा में आ गया था। बैंक के नाम से एक समाचार-पत्र का प्रकाशन भी शुरू हुआ था, जो बाद में बंद हो गया। बताया गया कि एफआईआर दर्ज होने के साथ-साथ गबन के आरोपियों से रिकवरी भी किया जायेगा।

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