बापुनंदन मिश्रा
रतनपुरा(मऊ)। हलधरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत तरवाडीह चट्टी पर स्थित एक झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन लगाते ही एक 3 वर्षीय मासूम की हालत बिगड़ गई। यह प्रकरण शुक्रवार की रात्रि 2:00 बजे के लगभग की है। उसे जिला मुख्यालय ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। बच्चे का शव चौराहे पर रख कर लोगों ने चक्का जाम कर दिया। इस बीच डॉक्टर ने अपने को डिस्पेंसरी में अन्दर से बंद कर लिया। अपने गांव के एक दर्जन लठैतो को सूचना देकर के अपने क्लीनिक पर बुला लिया। इन लोगों ने मृतक के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया तो बात पूरी तरह से बिगड़ गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने बच्चे के शव को कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया, तथा डॉक्टर को भी हिरासत में लेकर बच्चे की मां की तहरीर पर डॉक्टर के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया।
बच्चे को परिजन फातिमा अस्पताल ले गए ,जहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत बताकर उन्हें वापस कर दिया। इसके बाद भी परिजनों को संतोष नहीं हुआ तो वह बच्चे को लेकर बलिया जनपद के बाहरपुर मिशन अस्पताल पर गए ,वहां भी चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। परिजन बच्चे की मौत से काफी परेशान हाल थे, यह लोग बच्चे के शव को लेकर तरवाडीह चट्टी पर आये और वहां हंगामा होने लगा। क्लीनिक पर जमकर पथराव भी हुआ। यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई ,और बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्र हो गए। इस बीच डॉक्टर ने लोगों की भीड़ और आक्रोश को देखते हुए अपने को अपने डिस्पेंसरी में अंदर से बंद कर लिया, और लोग बच्चे के शव को चौराहे पर रखकर चक्का जाम कर दिए।
चक्का जाम की सूचना स्थानीय पुलिस को दी। मौके पर हलधरपुर, बेलौली, मधुबन की पुलिस पहुंच गई। रतनपुरा आउटपोस्ट पुलिस चौकी के प्रभारी शिव मूर्ति तिवारी भी पीआरबी वाहन 2284 से वहां पहुंच गए। सूचना पाकर क्षेत्राधिकारी मधुबन राजकुमार सिंह भी चक्का जाम स्थल पर पहुंच गए, और उन्होंने परिजनों को समझा-बुझाकर चक्का जाम समाप्त कराया। डिस्पेंसरी में बंद डॉक्टर को बाहर निकाल कर अपने हिरासत में ले लिया। पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है। जबकि डॉक्टर के विरुद्ध बच्चे की मां रंजना सिंह की तहरीर पर धारा 419 /420/ 467/ 468/ 352/ 504 एवं 304 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है। झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के चलते एक बच्चे की जिंदगी मौत के आगोश में चली गई।
झोलाछाप डॉक्टरों की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों की उदासीनता को लेकर लोगों में काफी आक्रोश भी दिख रहा है। या यूं कहें कि आए दिन इस तरह की घटनाएं घटती ही रहती है फिर भी सरकार न जाने क्यों मौन साधे हुए हैं। इस पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई तभी तो आज फिर वही हुआ।
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