तारिक़ आज़मी
फिरोजाबाद: शायद ये खबर नफरत के सौदागरों के मुह पर ज़ोरदार तमाचा होगी। नफरते जितनी भी कोई फैला ले, मगर मुहब्बत अपना रास्ता खुद तलाश लेती है। सम्प्रदाय के नाम पर नफरत की खेती करने वालो के लिए वायरल होता हुआ वीडियो शायद एक बड़ा सबक होगा कि तुम्हारी नफरतो की फसले भले लहलहा रही है, मगर मुहब्बत अपना मकाम कायम रखे हुवे है। मामला फिरोजाबाद जनपद का है जब एक हिन्दू चिकित्सक के शव यात्रा को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग अंतेष्टि करने के लिए पहुचे। जिधर से शव यात्रा गुज़रती लोग अचम्भे से देखते रह जाते थे क्योकि शव यात्रा में सरो पर टोपी लगाये मुस्लिम समुदाय के लोग “राम नाम सत्य है, प्रभु का नाम सत्य है, सत्य बोलो सत्य है” बोलते हुवे जा रहे थे।
डॉ विनोद गुप्ता अपने इन मरीजों को ही अपना संसार और परिवार समझते थे। इलाके के लोग भी उनसे बेपनाह की मुहब्बत करते थे। डॉ गुप्ता के साथ हमेशा खड़े रहने वाले लोग उनका सुख दुःख मिलकर बाटते थे। डॉ गुप्ता के निधन की जानकारी होते ही इलाके के लोगो में शोक की लहर दौड़ गई। इसके बाद उनके अंतिम संस्कार की तैयारी हुई और मुस्लिम समुदाय के लोगो ने उनको कंध देकर उनकी शव यात्रा निकाली। पुरे रास्ते मुस्लिम समुदाय के लोग “राम नाम सत्य है” के साथ अन्य सम्बन्धित मंत्र का जाप करते रहे।
डॉक्टर विनोद गुप्ता के आखरी सफ़र पर पूरा मोहल्ला ही हमसफर होने को बेताब था। इस दौरान फिरोजाबाद सदर से विधायक मनीष असीजा ने भी शव यात्रा में शिरकत किया। असीजा ने बताया कि डॉक्टर गुप्ता का क्लिनिक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है और उनके ज्यादातर मरीज भी मुसलमान ही थे। गुप्ता अविवाहित थे और वह इलाके के लोगों में बेहद लोकप्रिय थे। जब डॉ गुप्ता की शव यात्रा निकली तो यह देखकर लोग हैरान रह गये। बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने अन्त्येष्टि के लिये ले जाये जा रहे गुप्ता के पार्थिव शरीर को कांधा दिया और बाकायदा ”राम नाम सत्य है” और शव यात्रा के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्रों का भी उच्चारण किया।
उन्होंने बताया कि मुसलमान डॉ गुप्ता के पार्थिव शरीर को शवदाह गृह तक ले गये जहां पूरे रीति रिवाज से उनकी अन्त्येष्टि की गयी। असीजा ने बताया कि गुप्ता के परिवार की ओर से उनके दो चाचा और भतीजे अंत्येष्टि में शामिल हुए। भतीजे ने मुखाग्नि दिया।
इस मुहब्बत को शायद नफरत के सौदागर नही मिटा सके है। हिन्दुस्तान की इसी मिटटी को मुहब्बत कहते है। यहाँ गंगा जमुनी तहजीब के मरकज़ को आकर देखे, सुबह से लेकर शाम तक हर एक चौराहे और नुक्कड़ पर आपको इस मुहब्बत का एक न एक उदहारण मिल जायेगा। मगर फिर भी ये आखिर कौन है जो नफरतो की सौदागरी कर रहा है। हम आपको क्षमा सहित बताते चलते है कि संप्रदाय विशेष के नामो सहित इस खबर को लिखने में पहली बार हमने दोनों समुदायों का नाम केवल इसीलिए लिखा है कि नफरतो की सौदागरी में इस मुहब्बत को भी बड़ा मुकाम हासिल हो।
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