तारिक़ आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के राजघाट पर स्थित सराय सरकारी के सम्बन्ध में हमारे समाचार बोल के लब आज़ाद है तेरे – वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र में स्थित वक्फ संपत्ति पर अदालत से स्टे होने के बावजूद भी कैसे हो रहा पक्का निर्माण का बड़ा असर सामने आया। इस खबर का संज्ञान लेकर एडीजी वाराणसी के दिशा निर्देश पर न्यायप्रिय थाना प्रभारी आदमपुर विजय कुमार चौरसिया ने मौके पर पहुच कर हो रहे गैरकानूनी निर्माण कार्य को रुकवा दिया। यही नही बिना किसी के दबाव के थाना प्रभारी आदमपुर विजय कुमार चौरसिया के इस कार्य की क्षेत्र में भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है।
प्रकरण कुछ इस प्रकार है कि राजघाट पर शेर शाह सूरी द्वारा निर्मित एक सराय है। इसको सराय सरकारी के तौर पर दस्तावेजों में जाना जाता है। मामला तब सुर्खियों में आया जब वक्फ की इस संपत्ति पर मालिकाना हक़ जताने के लिए एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा दावा किया गया। वर्ष 2016 में वक्फ संख्या 2352-वाराणसी भवन संख्या A-12/34 के इस दावे की जानकारी वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड समिति को हुई। इसके बाद समिति ने इस मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल अदालत में दावा सख्या 71/2016 दाखिल किया। मुकदमा दाखिल होने के बाद वक्फ ट्रिब्यूनल ने उक्त संपूर्ण भ-खण्ड A. 12/34 पर यथा स्थिति बरक़रार रखने का आदेश पारित कर दिया।
क्या है नवैयत
इस आदेश के बाद से उक्त सम्पत्ति पर यथास्थिति बरक़रार रही। तभी इधर बीच क्षेत्र के ही दो व्यक्ति नागेन्द्र यादव और वीरेंदर यादव ने इस संपत्ति पर निर्माण शुरू करवा दिया। स्थानीय चौकी के संदिग्ध भूमिका के कारण निर्माण कार्य ज़ोरोशोर से होने लगा। नागेन्द्र यादव और वीरेंदर यादव के द्वारा स्थानीय एक पत्रकार को ढाल बना कर पुलिस को झांसे में लेकर निर्माण कार्य ये कहकर करवाना शुरू कर दिया कि ये सम्पत्ति पर स्टे नही और ये सम्पत्ति उसने वर्ष 1996 में कथित रूप से खरीदी है।
अब सवाल दो उठता है कि वर्ष 1996 में जब संपत्ति खरीदी थी तो आखिर कहा थे अभी तक यानी कुल 24 वर्षो तक। दूसरा सवाल ये है कि आप ताजमहल किसी से खरीद लो, उसके ज़िम्मेदार ताजमहल के असली मालिक भारत सरकार तो होगी नही। और आपका अगर मालिकाना हक़ है तो जाओ आप अदालत में उसी केस में पार्टी बनो और न्यायायल से आदेश लो, या फिर पुलिस चौकी पर हनक दिखा कर निर्माण कार्य शुरू करवा देंगे आप।
क्या हो रहा था
मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने निर्माण कार्य रुकवा दिया था। मगर आज जब देखा कि पुलिस व्यस्त है और क्षेत्र में शांति व्यवस्था को सँभालने में व्यस्त है तो अचानक गैरकानूनी निर्माण कार्य शुरू करवा दिया। इसके सम्बन्ध में हमारे समाचार पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने संज्ञान लिया और तत्काल कार्यवाही हेतु थाना प्रभारी आदमपुर को निर्देशित किया गया।
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मामले की जानकारी होने के बाद खुद थाना प्रभारी आदमपुर विजय कुमार चौरसिया मौके पर सदल बल पहुचे और गैरकानूनी निर्माण कार्य रुकवा दिया। काम रुकवाने के बाद अभी थाना प्रभारी मौके से अधिकतम मछोदरी तक भी नही पहुचे होंगे तब तक मनबढ़ लोगो ने दुबारा निर्माण कार्य शुरू करने की कोशिश करनी शुरू किया था, मगर कहते है कि सांच को आंच नहीं तभी मौके पर स्थानीय एलआईयु भी पहुच गई और निर्माण कार्य करने की सोच रहे लोगो को फटकार कर भगा दिया।
बहरहाल, मौके पर अभी तो निर्माण कार्य रुका हुआ है। मगर नागेन्द्र यादव और वीरेंदर अपने समर्थक एक प्रातःकालीन बड़े अखबार के स्थानीय संवाद सूत्र के साथ पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास पूरा कर रहे है। इस क्रम में एक पत्रकार महोदय ने हमसे भी फोन पर बात करते हुवे प्रकरण की जानकारी लिया और कहा कि वह जो आपने खबर में लगाया है वह केवल प्रश्नोत्तरी है। उसका महत्व शुन्य होता है। हमारे पास भी पेपर है। तो हमने भी जवाब दे डाला गुरु अगर पेपर है तो लिखो न खबर और लगाओ अपने उस बड़े अख़बार की सुर्खियों में ताकि दुनिया को भी पता चले कि उक्त अख़बार खुद को अदालत से ऊपर समझता है। जबकि हकीकत ये है कि अख़बार के स्थानीय संपादक को प्रकरण की जानकारी ही नहीं है। अब देखना होगा कि आदमपुर पुलिस क्या इस प्रातःकालीन बड़े अख़बार के दबाव में आती है अथवा न्यायसंगत कार्य करते हुवे बिना किसी दबाव के निर्माण को अदालत के आदेश तक रोके रहती है। शायद पिक्चर अभी बाकी है।
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