मो0 सलीम
वाराणसी. बिजली में मिल रही सब्सिडी पर सरकार द्वारा रोक लगाने के खिलाफ बुनकरों ने “मुर्री बंद” कर दी है। वह बिजली में सब्सिडी वापस देने की मांग कर रहे हैं। वाराणसी के बजरडीहा में बुनकर पवार लूम को बंद कर विरोध कर रहे हैं। बुनकरों का ये विरोध-प्रदर्शन पूरे पूदेश में है, लेकिन इसका ज्यादा असर वाराणसी में ज़बरदस्त देखने को मिल रहा है। गुरुवार से ही बुनकर बाहुल्य इलाकों मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, भेलूपुर, बजरडीहा, लोहता, दोषीपुरा, बड़ीबाजार, कोयला बाजार, नक्खी घाट, सरैया, पीलीकोठी, गोलगड्डा, जलालीपुरा, ओमकारलेश्वर आदि इलाके में पावर लूम और हैंडलूम की खटर-पटर बंद हो गई। किसी भी बुनकर के घर काम नहीं हुआ।
बताते चले कि बुनकरों को 3 सितंबर को प्रदेश सरकार ने आश्वासन दिया था, जिसके बाद बुनकर काम पर वापस लौटे थे। सरकार के आशवसन के बाद एक महीने से अधिक का समय बीत गया, पर पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं की गई। इस सम्बन्ध में बुधवार की रात में कैबिनेट ने जो प्रस्ताव पास किया है वह जुलाई तक की बिजली के लिए है। मार्च से लेकर जून तक पूरी तरह से लॉकडाउन था। इस दौरान ना तो पावरलूम चले और ना ही कोई काम हुआ। बावजूद इसके सरकार द्वारा उस समय का भी बिल लिया जा रहा है।
हम पहले से कर्ज़दार है, अब और कर्ज़दार हो जायेगे तो हमारे बच्चे कहा से खायेगे – हाजी ओकास अंसारी
इस क्रम में बात करते हुवे पार्षद हाजी ओकास अंसारी का कहना है कि सरकार हमें बिजली पर सब्सिडी देती थी। फ्लैट बिजली बिल का भुगतान हम करते आए हैं। कई बार कर्ज लेने की वजह से कर्जदार भी हैं। ऐसे में सरकार ने फ्लैट बिजली रेट व्यवस्था खत्म करके अन्याय किया है। अब हम और कर्जदार हो जाएंगे तो हमारे बच्चे खाएंगे क्या? बिजली का बिल हम कैसे भरेंगे? सरकार जब तक हमारी मांग नहीं मांगेगी हम हड़ताल नहीं खत्म करेंगे।
अतिरिक्त बिजली का भार कैसे वहन करेगा बुनकर – साजिद अंसारी
इसी क्रम में कांग्रेस नेता साजिद अंसारी ने हमसे बात करते हुवे समस्याओं को विस्तार से बताया और कहा कि जो पावर लूम चलाते हैं वो बिजली से ही चलता है आज की तारीख में 700 की साड़ी बुनकर बना रहे हैं, तो उस पर उन्हें सिर्फ 500 रुपया मिल रहा है। जिससे 200 रुपये तक का नुकसान हो रहा है। ऐसे में बिजली बिल का अतिरिक्त भार बुनकरों को पूरी तरह से खत्म कर देगा।
बदहाली और तंगदस्ती के कगार पर है बुनकर – इम्तेयाज़ फारुकी
बुनकर बाहुल्य क्षेत्र लोहता के जनप्रतिनिधि इम्तियाज़ फारुकी ने कहा कि बुनकरों की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. बुनकर के कारोबार पर पड़ी मंदी की मार, फिर उसके बाद तालाबंदी होने से बुनकर कंगाली के कगार पर पहुच चुके है. वो अपनी रोज़ी रोटी के लिये चाय तक बेचने लगे है. जो थोडा बहुत बुनकरों को काम मिल रहा है वह भी काफी कम रेट पर मिल रहा है. इस सबके बीच सरकार ने वायदा खिलाफी किया और बुनकरों के लिए कोई योजना नही लागू किया. कैसे बुनकर बिजली की बिल जमा करेगे ?
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