फारुख हुसैन
पलिया कलां खीरी. दुधवा नेशनल पार्क के गौरीफंटा इलाके में इन दिनों पड़ोसी देश नेपाल के लोग खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं । जंगल को बचाने के लिए जो तारों की मदद से जो बाढ़ लगाई गई थी वह भी पड़ोसी नेपालियों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दी गई है। क्योंकि नेपाल से भारत आने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है ऐसे में एसएसबी भारतीय आधार कार्ड और नेपाली नागरिकता देखकर ही भारत में एंट्री कर रही है। जिन लोगों के पास भारतीय आधार कार्ड और नेपाली नागरिकता नहीं होती है
पड़ोसी देश नेपाल में सीमा पर जंगलों के सफाए के बाद अब खीरी समेत तराई के जंगल नेपाली वन माफिया के निशाने पर हैं। हाल ही में वन विभाग की उच्चस्तरीय टीम की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि यहां भी अवैध कटान के मामलों इंकार नहीं किया जा सकता है। उच्चस्तरीय टीम ने बॉर्डर पर नेपाल की ओर लगे ईट भट्ठा में दुधवा की लकड़ी जलाए जाने की संभावना व्यक्त की थी। नेपाली ईट भट्ठा मालिक स्थानीय लोगों से नगद पैसा देकर सुखी जलौनी भारतीय क्षेत्र से मंगाते हैं जिससे दुधवा को रोज नुकसान हो रहा है।
दुधवा नेशनल पार्क की 55 किलोमीटर और उत्तर खीरी वन प्रभाग की करीब 20 किलोमीटर सीमा नेपाल से सटी हुई है। सीमा पर जंगलों की सुरक्षा का दायित्व वन विभाग के साथ-साथ एसएसबी के हवाले है। तमाम खुफिया एजेंसियों, वन विभाग और एसएसबी की तैनाती के बावजूद वन माफिया खुली सीमा से जंगल में घुस कर रातों रात सीमा पार कर पेड़ों को काटकर लकड़ी नेपाल उठा ले जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में नेपाल में सीमा के पास कई आरा मशीनें लग गई हैं। जहां लकड़ियों का चिरान हो रहा है।
दुधवा नेशनल पार्क समेत खीरी के जंगल कीमती साल और सागौन के पेड़ों से भरे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कितने पेड़ों का कटान हुआ, इसका आकलन किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में सैकड़ों पेड़ों का कटान हो चुका है।
खीरी के वन प्रभागों में जंगल की स्थिति
दुधवा नेशनल पार्क 68000 हैक्टेयर
उत्तर खीरी वन प्रभाग 40000 हैक्टेयर
दक्षिण खीरी वन प्रभाग 44000 हैक्टेयर
किशनपुर सेंक्चुरी 20400 हैक्टेयर
दुधवा की नेपाल से लगी सीमा 55 किलोमीटर
उत्तर खीरी वन प्रभाग की सीमा 20 किलोमीटर
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