आदिल अहमद
कानपुर। सत्ता का नशा शायद सत्ताधारी दल के लोगो को कम हो मगर उनके आस पास रहने वाले कथित लोगो पर सत्ता का नशा दूना नही बल्कि चौगुना हो गया है। उन्हें किसी के मान सम्मान से कोई मतलब नही है बल्कि खुद की कथित सियासत चमकाने के लिए वह किसी को कही भी अपमानित करने का प्रयास कर सकते है। उसपर कोढ़ में खाज तो तब हो जाता है कि ऐसे लोगो के सामने पुलिस भी खुद को मूकदर्शक बना लेती है।
मामला कानपुर के सरकारी अस्पताल उर्सला का है। प्रकरण में दर्ज मुक़दमे और वायरल होती ऑडियो क्लिप तथा पीड़ित चिकित्सक के अनुसार जो सीन सामने आता है उसको देख कर आप कानून व्यवस्था पर ज़रूर सोच में पड़ जायेगे कि जब सरकारी चिकित्सक ही सुरक्षित नही है तो फिर आम इंसानों की क्या वसत है। हुआ कुछ इस प्रकार कि 15 अक्टूबर शाम को लगभग 5 बजे उर्सला के चिकित्सक डॉ सपन गुप्ता को फोन करके अस्पताल के सीएमएस ने उनको अस्पताल किसी मरीज़ को देखने के लिए बुलाया। डॉ गुप्ता के अनुसार जब वह अस्पताल पहुचते है तो वहा गर्वित नारंग नाम का एक युवक धरने पर बैठा हुआ था।
बहरहाल, मौके पर स्थिति को भापते हुवे डॉ सपन गुप्ता और उनकी टीम वह से वापस हट गई। जाते समय का भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे गर्वित नारंग को भद्दी गालियाँ देते हुवे देखा जा सकता है। अब सवाल ये उठता है कि फिल्म परिषद के अध्यक्ष बने राजू श्रीवास्तव का खुद को पीआरओ बताने वाले गर्वित नारंग को क्या राजू श्रीवास्तव ने कोई स्पेशल अधिकार दे रखा है कि एक सरकारी चिकित्सक को सरेराह गालियाँ दे। क्या नियमो के अनुसार सरकारी कार्य में बाधा डालने का विशेष अधिकार खुद को भाजपा कार्यकर्ता कहने वाले गर्वित नारंग को मिला हुआ है।
बहरहाल, डॉ सपन गुप्ता के तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। अब मामले में क्या होता है ये देखने वाली बात होगी क्योकि उर्सला के चिकित्सक भी लामबंध होते दिखाई दे रहे है। जिस भी चिकित्सक को ये घटना पता चली है उसने इसकी कड़ी आलोचना किया है। अब देखना होगा कि पुलिस कार्यवाही क्या करती है। वही सबसे अधिक नज़रे राजू श्रीवास्तव के ऊपर भी लोगो की टिकी हुई है क्योकि कानपुर ने राजू श्रीवास्तव को जो स्नेह दिया है वह उनके शिष्टाचार पर ही दिया है। अब खुद को राजू श्रीवास्तव का पीआरओ बताने वाला इतना अभद्र होगा ये किसी को आशा नही रही होगी। शायद मामले में अभी पूरी पिक्चर बाकी है।
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