मुकेश यादव
मधुबन(मऊ): देर आये अंततः दुरुस्त तो आये। शायद इसी तर्ज पर मऊ जिला प्रशासन ने कार्यवाही किया है। आज से लगभग एक वर्ष पहले हमारे समाचार का संज्ञान जिला प्रशासन ने तो ले लिया था और मामला विचाराधीन रखा था। आखिर कल उसके ऊपर कार्यवाही भी हुई और अवैध रूप से संचालित विद्यालय पर जिला प्रशासन का बुलडोज़र गरज पड़ा। अवैध रूप से निर्माण हुवे कमरों को तोडा गया। मगर आज भी शिक्षा विभाग शायद सो रहा है। शिक्षा विभाग की जाँच तो शुरू हुई मगर जाँच आज कहा है इसका अनुमान किसी को नहीं है।
इस मांग के बाद एक लम्बे समय तक विद्यालय के खिलाफ जाँच ठन्डे बसते में चली गई थी। इस प्रकरण का संज्ञान मिलने के बाद हमारे द्वारा इस विद्यालय के अवैध कार्यो को लेकर एक बड़ी खबर प्रमुखता से उठाया गया। इस खबर के बाद शिक्षा माफियाओं से हमको अनेक धमकी और प्रलोभन भी आया, जिला प्रशासन ने धुल जम चुकी फाइल पर से धुल हटाया और कार्यवाही के लिए जाँच शुरू किया। जाँच में हमारी खबरों की सत्यता पाई गई और आखिर इसके ऊपर कार्यवाही करते हुवे जिला प्रशासन ने इस ज़मीन से कब्ज़ा खाली करवा लिया।
हमारे द्वारा उठाये गए प्रकरण पर जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार मधुबन को जाँच कर कार्रवाई करनें के निर्देश दिए थे। तत्कालीन तहसीलदार ने जाँच किया तो मामला सही पाया गया। जिसके बाद 122बी के तहत कार्रवाई करतें हुए सरकारी भूमि पर हुए कब्जे को हटवाने का आदेश पारित किया था। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर बड़ी पकड़ रखने वाले शिक्षा माफिया के द्वारा मामले को ठन्डे बसते में डलवाने की पुरजोर कोशिश किया गया। इसी बीच सरकार के एन्टी भूमाफिया कानुन के बढते दबाव के बाद बर्तमान जिलाधिकारी ने उक्त विद्यालय को जमीनदोज करनें का निर्देश दिए जानें के बाद उपजिलाधिकारी लालबाबू दुबे, तहसीलदार ओमप्रकाश पाण्डेय प्रभारी निरीक्षक रामपुर राजकेशर सिंह व राजस्व टीम के साथ पहुँच कर अवैध तरीके से बनें विद्यालय के तीन कमरों, बाऊंड्री बाल, शौचालय आदि से अतिक्रमण हटवाया। प्रशासन की इस कार्यवाही से शिक्षा माफियाओं में हडकम्प सा मच गया है।
जहा एक तरफ देर आये दुरुस्त आये के तर्ज पर जिला प्रशासन ने अपनी कार्यवाही किया वही दूसरी तरफ अभी भी शिक्षा विभाग गहरी नींद में सो रहा है। इस प्रकरण की जानकारी पुरे शिक्षा विभाग को है। तत्कालीन उच्चाधिकारियों का आदेश भी हमारी खबरों पर हुआ। तत्कालीन शिक्षा विभाग के कई उच्चाधिकारियों ने उस समय हमसे संपर्क कर मामले में कड़ी कार्यवाही का आश्वासन दिया था। मगर पूरा शिक्षा सत्र खत्म होने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही शिक्षा विभाग के द्वारा नही होना इस बात को दर्शाता है कि शिक्षा विभाग में शिक्षा माफियाओं की कितनी चलती है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग अपनी कुम्भकर्ण की नींद से कब जागता है। आखिर कब शिक्षा माफियाओं पर सख्त होता है। शायद अभी पिक्चर बाकी ही नहीं बल्कि पूरी फिल्म ही बाकी है।
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