तारिक आज़मी
वाराणसी। कहा जाता है कि सियासत में कोई किसी का परमानेंट दोस्त अथवा दुश्मन नही होता है। इसका जीता जागता उदहारण आज आदमपुर थाने पर देखने को मिला जब गाजीपुर के बाहुबली का खुद को करीबी बताने वाला शख्स एक गरीब बुनकर की संपत्ति कब्ज़ा करने की नियत से तहरीर लेकर पंहुचा। तहरीर लेकर पहुचे शख्स के साथ पैरवी में कुछ भाजपा नेता भी थे। वैसे उन भाजपा नेताओं का आसपास तक के किसी क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं है, मगर सालो साल अपनी पुरानी पहचान गिनवाते हुवे भाजपा नेताओं ने पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास भरपूर किया। मगर शायद वो भूल रहे थे कि थाना प्रभारी आदमपुर विजय कुमार चौरसिया बिना किसी दबाव नाजायज़ के काम करते है।
मामला कुछ इस प्रकार है कि आदमपुर थाना क्षेत्र के हसनपुरा में भवन संख्या A-26/44 निर्माणाधीन है। वैसे ये भवन पहले भी एक बार चर्चा में रह चूका है। मगर हम इसकी बात बाद में करेगे। इस भवन को बतौर रेहन संपत्ति तत्कालीन रूप से 28 मार्च 1933 को हाफिज मुहम्मद उमर खान के पास रखा गया था। जिसके बाद रेहन की रकम अदा न होने पर हाफिज मुहम्मद उमर ने नालिश नम्बरी 581 वर्ष 1941 में अदालत मुंसकी शहर बनारस दावा दाखिल कर 10 अगस्त 1942 को डिग्री हासिल कर लिया। जो इजरा नम्बर 735 वर्ष 1942 कायम हुई। जिसके बाद वर्ष 1943 में उक्त संपत्ति को बेच कर रेहन की रकम अदा किया गया।
अब जब मुन्ना खान ने अपना मकान बनवाना शुरू किया तो उनकी नीयत इस चबूतरे पर ख़राब हो गई। इस ख़राब नीयत के तहत पहले तो उन्होंने उक्त संपत्ति के मालिक को खूब लालच दिया। जब लालच से काम नही बना तो फिर धमकी और फिर अब ज़बरदस्ती उस चबूतरे के तरफ बड़ी बड़ी खिड़की दरवाज़े खोलकर संपत्ति कब्ज़ा करने की कोशिश किया। इस सम्बन्ध में जब आज सुबह निर्माण कार्य शुरू हुआ तो पड़ोस की महिलाओं ने आपत्ति किया और पुलिस को सुचना दिया। सुचना पर पहुची पुलिस ने काम रुकवा कर दोनों पक्षों को थाने पर जाने को कहा।
बाहुबली तारिक खान जिस चबूतरे को खुद की जायदाद साबित कर उसको कब्ज़ा करना चाहते है वह चबूतरा खुद उनके बैनामे के कागज़ पर ही चबूतरा मोहम्मद शरीफ दर्ज है। मगर मुन्ना खान खुद के साथ दो चार भाजपा नेताओं को लेकर दबाव बना कर उस गरीब की सपत्ति पर कब्ज़ा करने की कोशिश में है। इस कोशिश के तहत वह हर तरीके से कल बल छल लगाये पड़े है। नाम खान साहब का बड़ा है तो क्षेत्र के लोगो ने एक पंचायत भी बैठाया जिसमे सभी ने साफ़ साफ़ कहा कि चबूतरा शरीफ के वरसा का है और मुन्ना खान का उस पर कोई हक नही है। मगर गाजीपुर के बाहुबली का जोर मुन्ना खान के दिलो दिमाग पर ऐसा चढ़ा है कि वह किसी की सुनने को ही नहीं तैयार है। वर्त्तमान में थाना प्रभारी आदमपुर ने निर्माण कार्य रोक देने को कहा है और मामले में जल्द निस्तारण राजस्व टीम के साथ करने को कहा है।
पूर्व में भी रहे है मुन्ना खान विवाद का केंद्र
ऐसा नही है कि इसके पूर्व मुन्ना खान की ये संपत्ति विवाद का केंद्र नही रही हो। काफी समय से इस संपत्ति मे किराये पर एक सरकारी प्राथमिक पाठशाला चलती थी। इस पाठशाला में क्षेत्र के बच्चे पढ़ कर देश का भविष्य रोशन करने की चाहत रखते थे। सूत्रों की माने तो समय पलट गया और मुन्ना खान के परिवार के पास आय से कही अधिक संपत्ति के श्रोत हो गए। कल तक जिस स्कूल से आने वाला किराया आय का प्रमुख साधन था वही पाठशाला उनके आँखों की किरकिरी बन गयी। इसके बाद शुरू होता है बाहुबल और तिकड़म का दौर।
क्षेत्र में सुगबुगाहट को ध्यान दे तो मुन्ना खान अभी की आर्थिक स्थिति और कल की आर्थिक स्थिति में ज़मीन आसमान का फर्क समझ में आता है। आय से अधिक संपत्ति या फिर यह कहे कि देखने में आया थोड़ी और बचत करोडो को टैक्स के मद्देनज़र दूर तक देखा जा सकता है। सोचना स्थानीय प्रशासन को भी चाहिए कि इतने घने आबादी वाले क्षेत्र से मुन्ना खान के समर्थन में एक बच्चा भी नहीं आया और आया जो वह कई किलोमीटर दूर के सत्ता पक्ष से नेता जी। भले ही मंत्री नीलकंठ तिवारी अपने कार्यकर्ताओं को थाने चौकी पर पैरवी से मना करे, मगर इस प्रकरण में उनका नाम भी आने वाले नेता जी ने ज़बरदस्त भुनाया है। जबकि हकीकत तो ये है कि मंत्री नीलकंठ तिवारी की जानकारी में भी ये लोग नही होंगे। अब देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन क्या मुन्ना खान के साथ सत्ता के लोगो का दबाव देखता है अथवा फिर पुराने नियमो के अनुसार मामले में न्यायसंगत कार्यवाही होती है।
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