आफताब फारुकी
डेस्क। एक तरफ कोरोना महामारी से परेशान और दूसरी तरफ लॉक डाउन की मार झेलने वाले किसानो पर एक और आफत सामने नागिहानी आई है। किसान खरीफ और रबी की फसलों पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का पुराना ऋण नहीं चुकता कर सकने वाले पांच हजार खातों को बैंकों ने एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) करार कर दिया है। बैंक अधिकारियों ने बताया कि यदि किसान समय से खातों का नवीनीकरण नहीं कराते हैं तो उन्हें तीन प्रतिशत की सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। इस दशा में बैंक किसानों से सात प्रतिशत ब्याज वसूलेगी। सरकार प्रति वर्ष किसानों को बैंकों के माध्यम से रबी, खरीफ, जायद फसलों की बुवाई के लिए सात प्रतिशत ब्याज पर फसली ऋण मुहैया कराती है।
समय से पुराना बकाया न चुकाने वाले किसानों के खातों को बैंक एनपीए कर देती है। ऐसी स्थिति में किसानों को न केवल ब्याज पर दी जाने वाली तीन प्रतिशत छूट खत्म कर दी जाती है। बल्कि अगली फसल के लिए भी ऋण पर रोक लगाई जाती है। जिले में सहकारी और व्यवसायिक बैंकों ने जिले के 45950 किसानों को केसीसी के तहत ऋण प्रदान किया गया था। जिनमें पांच हजार किसानों पर पांच करोड़ 40 लाख के करीब का ऋण बताया है। बैंकों ने इन किसानों के खातों को एनपीए कर दिया है।
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