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किसानो और सरकार के बीच बेनतीजा रही बैठक के बाद किसान संगठनो की सिंघु बॉर्डर पर जारी है आगे की रणनीति के लिए बैठक, जाने मुख्य बाते

तारिक खान

नई दिल्ली: तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रहने के बाद आज किसान संगठनों की सिंघु बार्डर पर बैठक हो रही है। इसमें मुख्य 32 संगठनों के लोग शामिल हैं। किसान संगठनों की तरफ से शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर बैठक में लिए गए फैसले के बारे में बताया जाएगा। गौरतलब हो कि तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को बैठक हुई थी और मसले पर बातचीत हुई जो आखिर बेनतीजा रही थी। इसके बाद आज किसान संगठनों की सिंघु बार्डर पर बैठक हो रही है। इसमें मुख्य 32 संगठनों के लोग शामिल हैं।

माना जा रहा है कि किसान बैठक में अगली रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। साथ ही गुरुवार को होने वाली केंद्र सरकार के साथ बैठक के लिए बातचीत के बिन्दुओं पर भी चर्चा हो रही है। मंगलवार को किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए एक समिति गठित करने की  पेशकश ठुकरा दिया था। हालांकि, दोनों पक्ष बृहस्पतिवार को फिर से बैठक को लेकर सहमत हुये हैं।

मंगलवार की बैठक में सरकार की ओर से तीनों नए कानूनों को निरस्त करने की मांग खारिज कर दी गई। सरकार ने किसानों संगठनों को नए कानूनों को लेकर उनकी आपत्तियों को उजागर करने तथा बृहस्पतिवार को होने वाले वार्ता के अगले दौर से पहले बुधवार को सौंपने को कहा है। किसान संगठनों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं हैं तब तक देश भर में आंदोलन तेज किया जायेगा। बैठक में 35 किसान नेताओं ने भाग लिया था। किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके विरोध प्रदर्शन का आज सातवां दिन है।

बैठक के बाद, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि वार्ता अनिर्णायक रही और सरकार का प्रस्ताव किसान संगठनों को स्वीकार्य नहीं है। बयान में कहा गया है कि किसान नेताओं ने आपत्तियों पर गौर करने और उनकी चिंताओं का अध्ययन करने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान नेताओं का कहना है कि ऐसी समितियों ने अतीत में भी कोई नतीजा नहीं निकाला है।

मंत्रियों का विचार था कि इतने बड़े समूहों के साथ बातचीत करते हुए किसी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल है और इसलिए उन्होंने एक छोटे समूह के साथ बैठक करने का सुझाव दिया, लेकिन किसान नेता दृढ़ थे कि वे सामूहिक रूप से ही मिलेंगे।यूनियन नेताओं ने कहा कि उन्हें आशंका है कि सरकार उनकी एकता और उनके विरोध की गति को तोड़ने की कोशिश कर सकती है।

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