तारिक आज़मी
वाराणसी। वैसे कुछ लोग ऐसे होते है कि वो समझते है कि हर पुलिस वाला एक जैसा होता है। हडदब में लो और अपना काम निकाल लो। उनको पता नही शायद कि कानून के लम्बे हाथ पेड़ से आम तोड़ने के लिए नही बल्कि कानून की रक्षा के लिए बने है। और अगर थानेदार विश्वनाथ प्रताप सिंह हो जो चंद मिनटों में किसी की भी कुंडली निकाल ले तो दाल और भी नही गलती है।
मामला लोहता थाना क्षेत्र के धमरिया का है। जहा एक प्लाटिंग के बाद छुटी ज़मीदार की ज़मीन रास्ते के काम आती है। वही एक फौजी के भाई रशीद मिया का भी आवास है। वैसे राशिद मिया शायद खुद मशहूर न हो। मगर अपने सुपुत्र आर्यन के क्रियाकलापों से महीने में एक चक्कर फेमस ज़रूर हो जाते है। कभी कोई रायता तो कभी कोई रायता फैलाने वाले आर्यन बाबु हर महीने में ही अपने पिता और उनके फौजी भाई को मशहूर किया करते है। अभी कुछ ही दिनों पहले एक परिवार से भयंकर ढिशुम ढिशुम कर डाला था। मामला किसी लड़की को लेकर सामने आया था। उस समय भी आर्यन बाबु के चाचा ने खूब पैरवी किया था। राशिद बाबु भी खुद मशहूर हो जाते है।
ताज़ा घटना क्रम में राशिद मिया के घर के आगे रास्ते हेतु तत्कालीन जमीदार ने ज़मीन छोड़ रखा है। जिसका प्रयोग सभी लोग करते है। राशिद मिया को शायद मुगालता है कि उनका भाई फ़ौज में है तो वो मौज कर सकते है। खुद को बाहुबली समझने वाले राशिद मिया ने अपने साथ एक किसी अज्ञात नेता जी को मिलाया, नेता जी वईसे पता नही कहा के नेता है, और किस पार्टी के नेता है। मगर वो नेता है/। नेता जी ने अपने साथ में एक पतलकाल साहब को ले लिया और पहुच गए लोहता क्षेत्र में इस गली पर अपना कब्ज़ा करने। वैसे पतलकाल साहब के बारे में बताते चले कि जो प्रेस का कार्ड अपने गले में लटकाए थे ऊहो फर्जी था।
बहरहाल, मौके पर अपने साथ कई लोगो को लेकर निर्माण शुरू हुआ। जानकारी इसकी दुसरे पक्ष को पता चली। वही दुसरे पक्ष ने इस पर आपत्ति किया और मामला पुलिस में जा पंहुचा। नेता जी और उनके पतलकाल साथी ने सोचा पुलिस को मैनेज कर डालेगे और अपना अवैध काम जारी रखेगे। मगर उनको क्या पता कि इस बार उनका सामना विश्वनाथ प्रताप सिंह से पड़ा था, जो अपने निष्पक्षता के लिए जाने जाते है। कार्यशैली भी ऐसी कि कोई शक न शुबहा। मामले की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुची पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने की सैर करवा डाली। मौजूदा हाल में राशिद मिया, उनके सुपुत्र आर्यन के साथ दुसरे पक्ष का एक व्यक्ति भी थाने में बैठे है।
मौके की नजाकत देख कर खुद की दाल न गलती देख धीरे से नेता जी और उनका पतलकाल साथी सरक लिए। पहले तो बड़ा भौकाल नेता जी और उनके पतलकाल साथ दे रहे थे। मगर पुलिस की निष्पक्ष कार्यवाही देख कर सरक लेना ही बेहतर समझे। मगर तब तक तस्वीरे हमारे कैमरे में कैद हो चुकी थी। नेता जी बड़े भौकाल में गाडी पर बैठ डायरेक्शन दे रहे थे और पतलकाल साहब के तो कहने ही क्या ? दुनिया के सबसे बड़े पतलकाल साहब बन रहे थे। मगर जब थानेदार विश्वनाथ प्रताप सिंह की निष्पक्ष कार्यवाही देखा तो धीरे से नेता जी और पतलकाल साहब सरक कर रफूचक्कर हो गए। पुलिस कार्यवाही मामले में जारी है। मौके पर तत्काल पुलिस ने हो रहे अवैध निर्माण को रुकवा दिया है। राशिद मिया और आर्यन साहब का साथ देने के लिए उनके साथी भी थाने के अन्दर बैठे है।
कौन थे पतलकाल साहब
पतलकाल साहब खुद को इंडिया न्यूज़ का पतलकाल बता रहे थे। बड़े जोश ओ खरोश के साथ खुद की महिमा लोगो को बता रहे थे कि दो मिनट में फलनवा से लेकर धिमकाना काम कर डाला। वो खबर मेरी टीवी पर चलती है। हमने भी उनके भौकाल को देख कर पतलकाल साहब के बारे में पता करना शुरू किया। जानकारी इकठ्ठा करने पर पता चला कि पतलकाल साहब कक्षा 5 पास है। किस वेब पोर्टल के कार्ड को स्कैन करवा कर खुद का कार्ड फर्जी तरीके से बनवा लिया है।
पतलकाल साहब के बारे में जब उनके सम्पादक अनुराग पाण्डेय से बात किया गया तो मालूम चला कि पतलकाल साहब जिनका नाम शहाबुद्दीन है वो इसी प्रकार का कार्य किया करते है। खुद को पतलकाल कहने वाले साहब केवल कक्षा 5 पास कर पाए थे कि अध्यापको ने बता दिया होगा कि ये पतलकाल साहब है और अब ये और अधिक नही पढ़ सकते है। वही जिस पोर्टल का कार्ड पतलकाल साहब प्रयोग कर रहे थे उसके सम्पादक अनुराग पाण्डेय ने हमसे फोन पर हुई बातचीत में बताया कि शाहबुद्दीन को इसके पहले भी कार्ड का दुरूपयोग करने के लिए चेतावनी दिया गया था। कार्ड उन्होंने स्कैन करके बनाया है। बड़ा सवाल ये होता है कि संपादक साहब कैसे कक्षा 5 पास को पत्रकार बना डाला। अब आप कहते है कि वो पत्रकार नही पतलकाल है। तो आपको जब इस सम्बन्ध में जानकारी है फिर आपने कोई कार्यवाही क्यों नही किया।
क्षेत्र में पुलिस की कार्यवाही बनी प्रशंसा का केंद्र
घटना के सम्बन्ध में क्षेत्र में चर्चा है। चर्चाओं में पुलिस की निष्पक्ष कार्यवाही की प्रशंसा चतुर्दिक हो रही है। लोग दबी जबान में कब्ज़ा करने का प्रयास करने वाले परिवार की आलोचना करते हुवे कहते दिखाई दे रहे है कि पहली बार पुलिस ने निष्पक्ष कार्यवाही किया है। इस दबंग होते जा रहे परिवार पर आज तक किसी ने शिकंजा नही कसा था। मगर इमानदार थानेदार ने साबित कर दिया है कि क्षेत्र में कानून का राज चल रहा है।
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